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रायबरेली का पहला 'गांधी', जिसे भूल गए राहुल गांधी? जानें क्या है पूरी कहानी

रायबरेली में लोकसभा चुनाव के दौरान एक नाम की चर्चा तेज हो गई है। यह नाम है फिरोज गांधी का। फिरोज गांधी रायबरेली लोकसभा के पहले सांसद थें, जो गांधी परिवार से आते थे। तभी से यह सीट कांग्रेस परिवार का गढ़ मानी जाने लगी। लेकिन राहुल गांधी एंड टीम ने उनके नाम से दूरी बना रखी है।

Reported By : Manish Bhattacharya Edited By : Avinash Rai Published : May 16, 2024 13:36 IST, Updated : May 16, 2024 13:47 IST
Rae Bareli first Gandhi Feroze Gandhi whom Rahul Gandhi forgot Know what is the whole story- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO रायबरेली का पहला 'गांधी', जिसे भूल गए राहुल गांधी?

लोकसभा चुनाव के लिए रायबरेली की सीट से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी चुनावी मैदान में हैं। इस सीट पर राहुल गांधी की जीत को सुनिश्चित करने के लिए प्रियंका गांधी लगातार प्रयास कर रही हैं। रायबरेली की सीट हॉट सीट बन चुकी है। कहते हैं कि रायबरेली सीट गांधी परिवार की है। लेकिन ये जानना बेहद अहम होगा कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी से पहले इस सीट पर फिरोज गांधी सांसद हुआ करते थे। राहुल गांधी फिरोज गांधी। प्रियंका गांधी हों या राहुल गांधी, दोनों ही फिरोज गांधी का नाम कम ही लेते हैं। लेकिन भाजपा के नेता फिरोज गांधी का नाम इस बार ज्यादा ले रहे हैं। दरअसल भाजपा ने रायबरेली सीट से दिनेश प्रताप सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। वो सीधा पूछ रहे हैं कि राहुल दादा फिरोज गांधी का नाम कब लेंगे। प्रियंका गांधी फिरोज गांधी की कब्र पर कब जाएंगी। ऐसे में रायबरेली में फिरोज गांधी अब चुनावी मुद्दा बन चुके हैं। भाजपा जिस कब्र की बात कर रही है, वहां के हालात क्या हैं हम वो भी आपको बताने वाले हैं। तो चलिए बताते हैं कि रायबरेली से प्रयागराज तक गुमनाम गांधी का पूरा किस्सा अब बताते हैं। 

कौन थे फिरोज गांधी, जिन्हें भूले राहुल गांधी

बता दें कि साल 1952 में पहली बार राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ा था। 1957 में फिरोज गांधी दुबारा चुनाव जीत गए, जो नींव फिरोज गांधी ने रायबरेली में रखी थी, उसी पर  गांधी परिवार की सियासत की इमारत खड़ी होती गई। फिरोज गांधी की मौत के बाद इंदिरा गांधी ने 1967, 1971 और 1980 में रायबरेली से जीत हासिल की। इसके बाद से लगातार रायबरेली की सीट गांधी परिवार या उनके करीबियों के कब्जे में रही। साल 2004 से सोनिया गांधी इस सीट से जीतती आ रही हैं। बता दें कि रायबरेली के अलावा अमेठी भी गांधी परिवार की खानदानी सीट मानी जाती थी। पिछली बार राहुल गांधी खानदानी सीट अमेठी हार गए थे। गांधी परिवार के पास यूपी में इकलौती सीट रायबरेली बची है और राहुल को इस बार रायबरेली में सियासत के साथ परिवार की साख भी बचानी है। लेकिन राहुल के लिए ये भी आसान नहीं है। बता दें कि कांग्रेस का वोट मार्जिन घट रहा है ना कि बढ़ नहीं रहा है। 

रायबरेली के चुनाव में फिरोज गांधी की एंट्री

बता दें कि फिरोज गांधी की मौत को करीब 70 साल बीत चुके हैं। इस बीच अब फिरोज गांधी रायबरेली की चुनाव में फिर से जिंदा हो गए हैं। वो अलग बात है कि उनका नाम उनके परिवार के लोगों की जुबान पर नहीं है, लेकिन भाजपा की जुबान पर फिरोज गांधी का भरपूर नाम है। क्योंकि रायबरेली का मुद्दा इस बार फिरोज गांधी से जुड़ चुका है। बता दें कि फिरोज गांधी की कब्र प्रयागराज में मौजूद है। उनकी कब्र पर लिखा हुआ है He is Not Dead, हां तो सच ही है, फिरोज गांधी मरे नहीं हैं। लेकिन सच तो ये है कि गांधी परिवार आज उन्हें भूल चुका है। 

फिरोज गांधी से क्यों गांधी परिवार ने मुंह मोड़ा?

फिरोज गांधी के कब्र की देखभाल करने वाले केयर टेकर बृजलाल की मानें तो 15-16 साल पहले कोई कभी-कभार कब्र को देखने आता था। लेकिन सवाल यह है कि आखिर फिरोज गांधी का गुनाह क्या था। क्या वो इसके हकदार थे। बताने वाले तो बहुत सी बाते बताते हैं और समझने वाले कब्र देखकर ही समझ जाते हैं। गांधी परिवार के नाम से फिरोज जहांगीर हट गया है, सिर्फ गांधी रह गया है। बता दें कि फिरोज गांधी की कब्र से गांधी को भी हटा दिया गया है। ऐसा कहा जाता है कि यही नाम चिपक गया। फिरोज नाम में मजहब दिख गया, इसलिए गांधी परिवार बदल गया। 

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