Wednesday, May 15, 2024
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अडानी विवाद पर बोले शरद पवार, 'जेपीसी की बजाय सुप्रीम कोर्ट समिति की जांच ज्यादा भरोसेमंद'

पवार ने कहा कि अधिकांश पार्टियां जेपीसी जांच की मांग कर रही हैं, अगर उनके सदस्यों की संख्या को ध्यान में रखा जाए तो वे जेपीसी का हिस्सा नहीं हो पाएंगे।

Namrata Dubey Reported By: Namrata Dubey
Updated on: April 08, 2023 14:39 IST
शरद पवार- India TV Hindi
Image Source : PTI शरद पवार

मुंबई:  एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि अडानी मुद्दे पर जेपीसी की बजाय सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त समिति ज्यादा विश्वसनीय और निष्पक्ष होगी। उन्होंने इसकी वजह भी बताई और कहा- किसी भी जेपीसी की एक निश्चित संरचना होती है। उदाहरण के लिए, यदि एक जेपीसी 21 सदस्यों से बनती है, तो 15 सदस्य केवल सरकार की ओर से होंगे और अन्य सभी दलों में केवल 6 सदस्य होंगे। इससे भी कुछ खास लाभ नहीं है। 

शरद पवार ने कहा कि मुझे नहीं पता कि हिंडनबर्ग क्या है, एक विदेशी कंपनी इस देश के एक आंतरिक मामले पर एक स्टैंड ले रही है और हमें सोचना चाहिए कि इस कंपनी का हमसे कितना संबंध है। उन्होंने कहा कि मेरे जैसे व्यक्ति को उचित परिश्रम के बाद हिंडनबर्ग जैसी कंपनी पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए लेकिन मैं हिंडनबर्ग के बारे में ज्यादा नहीं जानता हमें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति द्वारा उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग करनी चाहिए । पवार ने कहा कि अधिकांश पार्टियां जेपीसी जांच की मांग कर रही हैं, अगर उनके सदस्यों की संख्या को ध्यान में रखा जाए तो वे जेपीसी का हिस्सा नहीं हो पाएंगे।

हमने हाल ही में मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बैठक की और सावरकर का मुद्दा मैंने उठाया था। वहां चर्चा हुई थी। इस तरह की चर्चाएं होती रहती हैं। हमारे सामने 3 प्रमुख मुद्दे हैं। बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि और किसानों के मुद्दे। विपक्ष के रूप में हम इन प्रासंगिक मुद्दों को उठाएंगे।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान पहले भी अन्य लोगों ने दिए हैं और कुछ दिनों तक संसद में हंगामा भी हुआ है, लेकिन इस बार इस मुद्दे को जरूरत से ज्यादा महत्व दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘जो मुद्दे रखे गए, किसने ये मुद्दे रखे, जिन लोगों ने बयान दिए उनके बारे में हमने कभी नहीं सुना कि उनकी क्या पृष्ठभूमि है। जब वे ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिससे पूरे देश में हंगामा होता है, तो इसकी कीमत देश की अर्थव्यवस्था को चुकानी पड़ती है, इन चीजों की हम अनदेखी नहीं कर सकते। ऐसा लगता है कि इसे निशाना बनाने के मकसद से किया गया।’

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