Saturday, April 27, 2024
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सरकार और न्यायपालिका, दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका, दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है। इसलिए, दोनों ही जुड़वां संतानें हैं। संविधान की वजह से ही ये दोनों अस्तित्व में आए हैं। इसलिए, व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो अलग-अलग होने के बाद भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 26, 2021 19:09 IST
सरकार और न्यायपालिका, दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है: पीएम मोदी- India TV Hindi
Image Source : TWITTER/@BJP4INDIA सरकार और न्यायपालिका, दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है: पीएम मोदी

Highlights

  • शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में 2 दिवसीय संविधान दिवस समारोह की शुरुआत की
  • 'सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास, ये संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है'
  • संविधान के लिए समर्पित सरकार, विकास में भेद नहीं करती और ये हमने करके दिखाया है: PM मोदी

नई दिल्ली। दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित संविधान दिवस समारोह में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज़ादी के लिए जीने-मरने वाले लोगों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों के प्रकाश में और हज़ारों साल की भारत की महान परंपरा को संजोए हुए, हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें संविधान दिया। कोरोना काल में पिछले कई महीनों से 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज सुनिश्चचित किया जा रहा है। PM गरीब कल्याण अन्न योजना पर सरकार 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च करके गरीबों को मुफ्त अनाज दे रही है। अभी कल ही हमने इस योजना को अगले वर्ष मार्च तक के लिए बढ़ा दिया है।

पीएम मोदी ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका, दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है। इसलिए, दोनों ही जुड़वां संतानें हैं। संविधान की वजह से ही ये दोनों अस्तित्व में आए हैं। इसलिए, व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो अलग-अलग होने के बाद भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। आजादी के आंदोलन में जो संकल्पशक्ति पैदा हुई, उसे और अधिक मजबूत करने में ये Colonial Mindset बहुत बड़ी बाधा है। हमें इसे दूर करना ही होगा। इसके लिए, हमारी सबसे बड़ी शक्ति, हमारा सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत, हमारा संविधान ही है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जो देश लगभग भारत के साथ आज़ाद हुए वो आज हमसे काफी आगे हैं, मतलब अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। हमारे संविधान में समावेश पर कितना जोर दिया गया है लेकिन आज़ादी के इतने दशकों बाद भी बड़ी संख्या में देश के लोग बहिष्करण (एक्सक्लूजन) को भोगने के लिए मजबूर रहे हैं। जब देश का सामान्य मानवी, देश का गरीब विकास की मुख्यधारा से जुड़ता है, जब उसे समान मौके मिलते हैं, तो उसकी दुनिया पूरी तरह बदल जाती है। जब रेहड़ी, पटरी वाले भी बैंक क्रेडिट की व्यवस्था से जुड़ता है, तो उसे राष्ट्र निर्माण में भागीदारी का एहसास होता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि वो करोड़ों लोग जिनके घरों में शौचालय तक नहीं था, बिजली के अभाव में अंधेरे में अपनी ज़िंदगी बिता रहे थे उनकी तकलीफ समझकर उनका जीवन आसान बनाने के लिए खुद को खपा देना मैं संविधान का असली सम्मान मानता हूं। सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास, ये संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है। संविधान के लिए समर्पित सरकार, विकास में भेद नहीं करती और ये हमने करके दिखाया है। Gender Equality की बात करें तो अब पुरुषों की तुलना में बेटियों की संख्या बढ़ रही है। गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में डिलिवरी के ज्यादा अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। इस वजह से माता मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर कम हो रही है।

पीए मोदी ने कहा कि पूरे विश्व में कोई भी देश ऐसा नहीं है जो प्रकट रूप से किसी अन्य देश के उपनिवेश के रूप में exist करता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उपनिवेशवादी मानसिकता, Colonial Mindset समाप्त हो गया  है। हम देख रहे हैं कि यह मानसिकता अनेक विकृतियों को जन्म दे रही है। इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण हमें विकासशील देशों की विकास यात्राओं में आ रही बाधाओं में दिखाई देता है। जिन साधनों से, जिन मार्गों पर चलते हुए, विकसित विश्व आज के मुकाम पर पहुंचा है, आज वही साधन, वही मार्ग, विकासशील देशों के लिए बंद करने के प्रयास किए जाते हैं। सरदार पटेल ने मां नर्मदा पर सरदार सरोवर डैम जैसे एक डैम का सपना देखा था, पंडित नेहरु ने इसका शिलान्यास किया था। लेकिन ये परियोजना दर्शकों तक अप-प्रचार में फंसी रही। पर्यावरण के नाम पर चले आंदोलन में फंसी रही। न्यायालय तक इसमें निर्णय लेने से हिचकते रहे। 

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