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यूपी सरकार के प्रमुख सचिव ने कहा- डॉक्टर कफील को नहीं दी गई है क्लीन चिट, जांच अभी भी जारी

गोरखपुर के बाबा राघव दास (BRD) मेडिकल कॉलेज में अगस्त, 2017 के दौरान ऑक्सीजन की कमी से 70 बच्चों की मौत होने के मामले में डॉ. कफील को किसी ने क्लीन चिट नहीं दी है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : Oct 04, 2019 08:28 am IST, Updated : Oct 04, 2019 08:28 am IST
No clean chit to Kafeel Khan yet; probe against him still underway: UP official | Facebook- India TV Hindi
No clean chit to Kafeel Khan yet; probe against him still underway: UP official | Facebook

लखनऊ: गोरखपुर के बाबा राघव दास (BRD) मेडिकल कॉलेज में अगस्त, 2017 के दौरान ऑक्सीजन की कमी से 70 बच्चों की मौत होने के मामले में डॉ. कफील को किसी ने क्लीन चिट नहीं दी है। अभी किसी भी विभागीय कार्रवाई में अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। यह बात प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) रजनीश दुबे ने यहां गुरुवार को कही। प्रमुख सचिव ने कहा कि चंद रोज पहले से डॉ. कफील जिन बिंदुओं पर क्लीन चिट मिलने का दावा कर रहे हैं, उन बिंदुओं पर जांच अभी पूरी भी नहीं हुई है। इसलिए क्लीन चिट की बात बेमानी है।

कफील पर साबित हुए हैं ये आरोप

उन्होंने कहा कि डॉ. कफील अहमद खान द्वारा मीडिया और सोशल मीडिया पर जांच रिपोर्ट के निष्कर्षो की भ्रामक व्याख्या करते हुए खबरें प्रकाशित कराई जा रही हैं। प्रमुख सचिव ने कहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में घटित घटना में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के बाद डॉ. कफील के विरुद्ध 4 मामलों में विभागीय कार्यवाही की संस्तुति की गई थी। डॉ. कफील के विरुद्ध सरकारी सेवा में सीनियर रेजीडेंट व नियमित प्रवक्ता के सरकारी पद पर रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने व निजी नर्सिग होम चलाने का आरोप साबित हो गया।

‘गलत प्रचार कर रहे हैं डॉ. कफील’
इसके अलावा, डॉ. कफील बाल रोग विभाग के प्रवक्ता पद पर योगदान करने के बाद बाद भी अनाधिकृत रूप से निजी प्रैक्टिस कर रहे थे तथा मेडिस्प्रिंग हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से जुड़े हुए थे। उन पर निर्णय लिए जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। अन्य 2 आरोपों पर अभी शासन द्वारा अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। रजनीश दुबे ने बताया कि बच्चों की मौत के मामले में तत्कालीन प्राचार्य डॉ़ राजीव कुमार मिश्रा, एनेस्थीसिया विभाग के सतीश कुमार और बाल रोग विभाग के तत्कालीन प्रवक्ता डॉ. कफील अहमद को निलंबित किया गया था। प्रमुख सचिव ने कहा कि डॉ. कफील जो खुद को निर्दोष करार दिए जाने का प्रचार कर रहे हैं, वह गलत है।

‘की गई है विभागीय कार्रवाई की संस्तुति’
उन्होंने कहा कि डॉ. कफील पर एक और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई है। उन पर अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार, कर्तव्य पालन में घोर लापरवाही करने का आरोप लगाया गया है। इसकी जांच के लिए प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण) को जांच अधिकारी बनाया गया है। इस प्रकार उन पर कुल 7 आरोप अभी प्रक्रियाधीन है। ज्ञात हो कि 70 बच्चों की मौत के मामले में आरोपी डॉ. कफील को चार मामलों में से सिर्फ एक में ही क्लीन चिट मिली है। उनके बारे में यह बात निराधार साबित हुई है कि घटना के वक्त 100 बेड वाले एईएस वार्ड के नोडल प्रभारी डॉ. कफील थे।

एक महीना पहले सौंपी गई रिपोर्ट
विभागीय जांच के लिए तत्कालीन प्रमुख सचिव (स्टाम्प) हिमांशु कुमार को जांच अधिकारी बनाया गया था। लंबे समय से चल रही जांच के बाद लगभग एक महीना पहले ही शासन को रिपोर्ट सौंपी गई थी। (भाषा)

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