नई दिल्ली। इस समय भारत सहित विश्व स्तर पर लाखों विद्यार्थी घर में ही ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं। ऐसे समय में निजी शिक्षा क्षेत्र के साथ-साथ सरकार के पास दुनिया भर में छह करोड़ से अधिक कॉलेज छात्रों और 1.5 अरब स्कूली छात्रों को ऑनलाइन ई-लनिर्ंग की पेशकश करने की एक बड़ी जिम्मेदारी है। यह बात विशेषज्ञों ने गुरुवार को कही। भारत में निजी कॉलेज, जो पहले से ही पिछले दो दशकों से ऑनलाइन शिक्षा की पेशकश कर रहे थे, वहीं अब ई-लनिर्ंग की मांग पूरी करने की भी बड़े भारी जरूरत आ पड़ी है।
आईटीयू एपीटी इंडिया के उपाध्यक्ष और गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व सलाहकार प्रोफेसर एन. के. गोयल ने कहा, ई-लनिर्ंग या ऑनलाइन शिक्षा आजकल सामान्य बात हो गई है। कोविड-19 के बाद भविष्य में हम सूचना प्रौद्योगिकी और उपकरणों के प्रसार को देखेंगे, लेकिन इंटरनेट और ब्रॉडबैंड एक मुद्दा बना रहेगा।
वर्तमान में अगर देखा जाए तो बीवाईजेयू (बायजू) और खान एकेडमी जैसे ई-लनिर्ंग एप स्कूलों को लक्षित कर रहे हैं, तो अड्डा 24 गुणा 7 जैसे अन्य प्लेटफॉर्म आईआईटी और जेईई जैसी प्रवेश परीक्षाओं के लिए विशेष कोचिंग की पेशकश कर रहे हैं।
ई-लनिर्ंग की सफलता के लिए मजबूत कनेक्टिविटी निस्संदेह महत्वपूर्ण है।सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक राजन एस. मैथ्यूज के अनुसार, कोविड-19 के बाद देश में स्कूलों और कॉलेजों द्वारा ऑनलाइन शिक्षा में वृद्धि होगी।
मैथ्यूज ने कहा, दूरसंचार उद्योग 99.9 प्रतिशत नेटवर्क क्षमता के साथ पूरी तरह से तैयार है। दूरसंचार कंपनियों ने दूरसंचार बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए ऑनलाइन शिक्षा और अन्य ऑनलाइन गतिविधियों के कारण होने वाली ट्रैफिक में वृद्धि को संतुलित करने के लिए उचित उपाय किए हैं।
केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास (एचआरडी) मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने हाल ही में कहा है कि सरकार स्कूल और उच्च शिक्षा संस्थानों दोनों के लिए शैक्षिक अनुप्रयोगों और प्लेटफार्मों की एक बड़ी पेशकश कर रही है।शिक्षकों के अलावा निशंक ने माता-पिता और छात्रों से आग्रह किया कि वे अपनी शैक्षणिक निरंतरता बनाए रखने के लिए ऑनलाइन शिक्षा का अधिकतम उपयोग करें।वल्र्ड यूनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन (डब्ल्यूयूडी) का दावा है कि उसने पिछले एक साल के दौरान अपने पाठ्यक्रमों में ऑनलाइन सीखने के लिए सामग्री एकत्र की है।