Thursday, December 12, 2024
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अयोध्या में भगवान राम ही नहीं इस जगह की जाती है श्री कृष्ण की पूजा, जानिए इसके पीछे क्या है रहस्य

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान कृष्ण ने अयोध्या के एक मंदिर में पूजा-अर्चना भी की थी। वो मंदिर आज भी अयोध्या में मौजूद है और करोड़ों भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है। इसके अलावा भी अयोध्या में कृष्ण की कई और निशानियां मौजूद हैं। जानिए इसके बारें

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : March 26, 2018 16:49 IST
Kanak bhavan temple ayodhya uttar pradesh unknown facts- India TV Hindi
Kanak bhavan temple ayodhya uttar pradesh unknown facts

धर्म डेस्क: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान कृष्ण ने अयोध्या के एक मंदिर में पूजा-अर्चना भी की थी। वो मंदिर आज भी अयोध्या में मौजूद है और करोड़ों भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है। इसके अलावा भी अयोध्या में कृष्ण की कई और निशानियां मौजूद हैं।

ये अयोध्या की दशरथ गद्दी है। जिसके बारे में कहा जाता है कि अयोध्या में रुकने के दौरान भगवान कृष्ण के कदम इस जगह पर भी पड़े थे। वैसे तो अयोध्या के ज्यादातर मठ-मंदिरों में भगवान राम समेत चारों भाइयों, माता सीता और हनुमान जी की मूर्तियां हैं। लेकिन इस दशरथ गद्दी में भगवान कृष्ण और राधा रानी की मूर्तियां भी विराजमान हैं।

कहां है ये दशरथ गद्दी

अयोध्या के रामकोट पर ये दशरथ की गद्दी है। इस मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन और सीता जी की मूर्तियां दिखाई देंगी। लेकिन यहां पर भगवान कृष्ण और राधा जी की मूर्ति भी स्थापित हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण द्वापर में अयोध्या आए थे। कहा जाता है कि कनक भवन में एक दिन रुके थे। चूंकि ये दशरथ जी की गद्दी है। इसलिए वो यहां भी आए थे।

गद्दी में ये मूर्तियां है स्थापित
धर्म के जानकारों के मुताबिक चूंकि ये गद्दी मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पिता दशरथ महाराज की है। ऐसे में द्वापर युग में श्री कृष्ण ने भी दशरथ की गद्दी पर आकर मत्था टेका। बाद में जब अयोध्या नगरी को दोबारा बसाया गया और इस मंदिर का पुननिर्माण हुआ तो यहां भगवान राम के साथ-साथ भगवान कृष्ण की भी मूर्ति स्थापित की गई। यहां हम भगवान राम के साथ भगवान कृष्ण की भी पूजा करते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी में इनका जन्म भी मनाया जाता है।

क्या कहते है पुजारी
दशरथ गद्दी के पुजारी कहते हैं कि सनातन धर्म में आस्था रखने वाले भलीभांति जानते हैं कि त्रेता युग में धर्म की स्थापना के लिए भगवान राम ने अवतार लिया, तो द्वापर युग में धर्म की ध्वज पताका फहराने के लिए भगवान कृष्ण ने जन्म लिया।

शास्त्रों में भी बताया गया है इस गद्दी के बारें में
सनातन धर्म के सबसे बड़े धर्मग्रंथों में से एक श्रीमद्भगवद्गीता में भी त्रेता युग के भगवान राम और द्वापर युग के भगवान कृष्ण के संबंध की कहानी का उल्लेख मिलता है।

गीता का एक श्लोक है-
पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम्।
झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी

इस श्लोक में भगवान कृष्ण कहते हैं- रामः शस्त्रभृतामहम्। जिसका अर्थ है- मैं धनुर्धारियों में राम हूं।

अगली स्लाइड में पढ़ें कब, क्यों और कैसे आएं श्री कृष्ण अयोध्या

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