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पापमोचिनी एकादशी: इस शुभ मुहूर्त में पूजाकर करें भगवान विष्णु को प्रसन्न, मिलेगी हर पाप से मुक्ति

हिंदू पंचाग के अनुसार 13 मार्च की एकादशी बहुत ही शुभ एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजाकर हर पाप से मुक्ति पा सकते है। जानिए पूजा विधि, मुहूर्त और कथा के बारें में..

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : March 12, 2018 20:34 IST
Paapmochini Ekadashi lord vishnu- India TV Hindi
Paapmochini Ekadashi lord vishnu

धर्म डेस्क: 13 मार्च, मंगलवार के दिन भगवान विष्णु का बहुत ही खास दिन है। इस दिन एकादशी पड़ रही है। होली और चैत्र नवरात्रि के बीच जो एकादशी आती है उसे पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है। यह इस साल की अंतिम एकादशी है। यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायी होती है।

 

पुराण ग्रंथों के अनुसार अगर कोई इंसान जाने-अनजाने में किए गये अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहता है तो उसके लिये पापमोचिनी एकादशी ही सबसे बेहतर दिन होता है। इस साल पापमोचिनी एकादशी ग्रेगोरियन पंचांग के अनुसार 13 मार्च को है।  जानिए इसका शुब मुहूर्त, पूजा विधि और कथा के बारें में।

शुभ मुहूर्त

पारण का समय: 06:36 से 08:57 बजे (14 मार्च 2018)
पारण के दिन द्वादशी तिथि समाप्त:  शाम 3:45 बजे
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 11:13 बजे (12 मार्च 2018)
एकादशी तिथि समाप्त: दोपहर 1:41 बजे (13 मार्च 2018)

पापमोचिनी एकादशी के दिन इस पूजा विधि से करें भगवान विष्णु को प्रसन्न
इस धिन बगवान विष्णु की पूजा कर संकल्प लेकर व्रत रखा जाता है। इसके बाद कथा सुनकर व्रत खोला जाता है।

इस दिन प्रात:काल सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा पर घी का दीपक जलाएं। जाने-अनजाने में आपसे जो भी पाप हुए हैं उनसे मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। इस दौरान ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप निरंतर करते रहें। एकादशी की रात्रि प्रभु भक्ति में जागरण करे, उनके भजन गाएं। साथ ही भगवान विष्णु की कथाओं का पाठ करें। द्वादशी के दिन उपयुक्त समय पर कथा सुनने के बाद व्रत खोलें।

एकादशी व्रत दो दिनों तक होता है लेकिन दूसरे दिन की एकादशी का व्रत केवल सन्यासियों, विधवाओं अथवा मोक्ष की कामना करने वाले श्रद्धालु ही रखते हैं। व्रत द्वाद्शी तिथि समाप्त होने से पहले खोल लेना चाहिए लेकिन हरि वासर में व्रत नहीं खोलना चाहिए और मध्याह्न में भी व्रत खोलने से बचना चाहिये। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो रही हो तो सूर्योदय के बाद ही पारण करने का विधान है।

अगली स्लाइड में पढ़े व्रत कथा के बारें में

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