Sunday, May 05, 2024
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Pradosh Vrat 2022: प्रदोष व्रत करते वक्त इस बात का रखें ध्यान, महादेव हर लेंगे सारे कष्ट

 भगवान भोलेनाथ की पूजा विधि विधान से करने से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं। अकाल मृत्यु भी नहीं होती है और सौभाग्य प्राप्त होता है।

Jyoti Jaiswal Edited by: Jyoti Jaiswal @TheJyotiJaiswal
Published on: April 27, 2022 12:17 IST
Pradosh Vrat 2022- India TV Hindi
Image Source : PIXABAY Pradosh Vrat 2022

Pradosh Vrat 2022: इस बार प्रदोष व्रत 28 अप्रैल को किया जाएगा। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत किया जाता है। इस दिन प्रदोष काल यानि संध्या के समय में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। सूर्यास्त के बाद के समय को प्रदोष काल कहते हैं। सप्ताह के सातों दिनों में से जिस दिन प्रदोष व्रत पड़ता है, उसी के नाम पर उस प्रदोष का नाम रखा जाता है और गुरुवार को पड़ने वाला प्रदोष गुरु प्रदोष है। 

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कैसे करें भगवान शिव की पूजा

प्रातः काल में स्नान आदि के बाद सबसे पहले भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत और धूप-दीप आदि से पूजा की जाती है। फिर संध्या में, यानि प्रदोष काल के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस प्रकार जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा आदि करता है और प्रदोष का व्रत रखता है, वह सभी बन्धनों से मुक्त होकर सभी प्रकार के सुख-समृद्धि को प्राप्त करता है और उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। 

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प्रदोष व्रत का महत्व

पुराणों के मुताबिक त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है, उसे जीवन में अप्रतिम लाभ मिलते हैं । भगवान भोलेनाथ की पूजा विधि विधान से करने से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं। अकाल मृत्यु भी नहीं होती है और सौभाग्य प्राप्त होता है।

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प्रदोष व्रत की पूजा विधि

इस दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, ये समय सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय होता है। इस वक्त भगवान शिव का बेलपत्र और दूध से अभिषेक करें। शिव के मंत्रों का जाप करें, प्रदोष व्रत कथा कहें और आखिर में आरती करके प्रसाद बांटे।

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प्रदोष व्रत का मुहूर्त

भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त 28 अप्रैल को शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 9 बजकर 4 मिनट तक का है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाता है। सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल माना जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का अभिषेक करें व बेलपत्र भी अर्पित करें।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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