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कांग्रेस ने मोदी सरकार पर अर्थव्यवस्था को तबाह करने का लगाया आरोप, नोटबंदी और जीएसटी को बताया समस्‍याओं की जड़

रविवार को कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर देश की अर्थव्यवस्था को तबाह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि नोटबंदी एवं जीएसटी को जल्दबाजी में लागू करने से आम आदमी, युवाओं, किसानों और उद्योगों की समस्याएं बहुत बढ़ गयी हैं

Manish Mishra Edited by: Manish Mishra
Published on: March 18, 2018 15:51 IST
Congress Plenary Session- India TV Paisa
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नई दिल्ली रविवार को कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर देश की अर्थव्यवस्था को तबाह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि नोटबंदी एवं जीएसटी को जल्दबाजी में लागू करने से आम आदमी, युवाओं, किसानों और उद्योगों की समस्याएं बहुत बढ़ गयी हैं। कांग्रेस के 84वें महाधिवेशन के दूसरे दिन पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम द्वारा पेश आर्थिक प्रस्ताव में यह बात कही गई। पार्टी ने अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए इस प्रस्ताव में कई सुझाव भी दिए हैं। इनमें कहा गया है कि आर्थिक उत्पीड़न, कर आतंकवाद तथा कठोर नियमनों के बिना आर्थिक मौकों के जरिए सबकी समृद्धि की जानी चाहिए।

प्रस्ताव में कहा गया है कि श्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राजग सरकार का शासनकाल ग​लतियों, कुप्रबंधन और खराब जोखिमों से भरपूर रहा है। उसकी सबसे भारी विफलता अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन रहा है। पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की नीचे आई कीमतों, मजबूत वैश्विक आर्थिक विकास और लोकसभा में पूर्ण बहुमत से मिले बहुमूल्य मौकों को गंवा दिया है।

पार्टी ने आरोप लगाया कि अर्थव्यवस्था अज्ञानी एवं अक्षम नीति निर्माताओं के हाथों में है, जिन्होंने नोटबंदी तथा त्रुटियों से भरी वस्‍तु एवं सेवा कर प्रणाली को जल्दबाजी में लागू करने जैसी लापरवाहीपूर्ण एवं विचित्र नीतियों के कारण आर्थिक विकास को पटरी से उतार दिया है।

पार्टी ने अपनी और भगवा पार्टी की आर्थिक नीतियों की भी इसमें तुलना की है। कांग्रेस ने कहा​ कि भाजपा का आर्थिक दर्शन भारत के आकार, कदम एवं विविधता पर आंखें मूंदे हुये है तथा यह केवल एक के कृत्रिम सिद्धांत पर आधारित है। कांग्रेस पार्टी का आर्थिक दृष्टिकोण भारत की विविध और संघीय ढांचे को स्वीकार करता है।

पार्टी ने मोदी सरकार के नवंबर 2016 में किए गए नोटबंदी के फैसले को हाल के भारत का बहुत ही खराब ढंग से सोचा गया और लापरवाही भरा आर्थिक जोखिम बताया। पार्टी ने कहा कि इससे न तो काला धन समाप्त हुआ और न ही इसने कैशलेस समाज के लक्ष्य को हासिल किया।

जीएसटी को जल्दबाजी में लागू करने का विरोध करते हुए प्रस्ताव में कहा गया कि मोदी सरकार द्वारा लागू जीएसटी एक बेहद जटिल कर प्रणाली है तथा यह सहयोगात्मक संघवाद के सिद्धांत के विरूद्ध है।

कांग्रेस ने सरकार पर देश की बैंकिंग प्रणाली को तबाह करने का भी आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि संप्रग सरकार के शासनकाल में जितने ऋण माफ किए गए, उसकी तुलना में पिछले तीन साल में चार गुना से अधिक ऋण माफ किए गए। पिछले तीन साल में 4.5 लाख करोड़ रुपये के कॉरपोरेट ऋण माफ किए गए।

पार्टी ने कहा कि जिन बैंकों में लोग भरोसे के साथ अपना धन रखते हैं, उन्हीं बैंकों को विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी एवं जतिन मेहता जैसे लोगों को निर्भयता से लूटने दिया गया। पार्टी ने आरोप लगाया कि ऐसे लोगों को सत्ता में बैठे लोगों की साठगांठ से भाग जाने दिया गया।

पार्टी ने सार्वजनिक क्षेत्र, बढ़ती असमानता, कृषि क्षेत्र के संकट, निर्यात में आयी गिरावट, सामाजिक क्षेत्र की अनदेखी, बढ़ती बेरोजगारी तथा सत्तारूढ़ दल द्वारा किये गये विभिन्न वादों को पूरा नहीं करने के कारण सरकार को आड़े हाथ लिया।

पार्टी ने अपने प्रस्ताव में आगे के रास्ते का सुझाव देते हुए कहा है कि देश के समक्ष आने वाले दशकों में युवाओं के लिए उत्पादक रोजगार, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल एवं सामाजिक सुरक्षा, संतुलित श्रम नीति, अनुबंध कामगारों के हितों की रक्षा तथा कृषि उत्पादकता बढ़ाना पांच चुनौतियां होंगी।

पार्टी ने कहा कि उसकी आर्थिक नीति के सिद्धांत जिन बातों पर आश्रित होंगे, उनमें आर्थिक उत्पीड़न, कर आतंकवाद एवं कड़े नियमों के बिना सभी को समृद्धि दिलाना शामिल है। इस तरह के कार्यक्रम बनाए जाएं जो गरीब एवं मध्यम वर्ग की जरूरतों एवं आकांक्षाओं को पूरा कर सकें। शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सामाजिक सुरक्षा में व्यापक निवेश होना चाहिए।

पार्टी ने यह भी कहा कि व्यापार में विश्वास बहाल करने, जोखिम उठाने के लिए प्रोत्साहन तथा सुरक्षा के साथ रोजगार को बढ़ावा देने के लिए समुचित सामाजिक एवं नीतिगत वातावरण बनाया जाए।

कांग्रेस ने कहा कि सतत आर्थिक विकास तभी हासिल किया जा सकता है जब देश को अक्षम आर्थिक प्रबंधकों के हितों से मुक्त कराया जाए और उन लोगों के हाथों में दिया जाए जिन्होंने वर्षों तक अर्थव्यवस्था को मजबूती दी और उसे चहुंमुखी आर्थिक विकास के पथ पर दिशानिर्देशित किया।

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