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Rail Budget 2016: सुरेश प्रभु को अगर बदलनी है रेलवे की तस्‍वीर, तो बजट में उठाने होंगे ये 5 बड़े कदम

देश के करोड़ों रेलयात्रियों की निगाहें एक बार फिर रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु पर टिकीं हैं। गुुरुवार 25 फरवरी को प्रभु रेल बजट पेश करेंगे।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: February 25, 2016 9:53 IST
Rail Budget 2016: सुरेश प्रभु को अगर बदलनी है रेलवे की तस्‍वीर, तो बजट में उठाने होंगे ये 5 बड़े कदम- India TV Paisa
Rail Budget 2016: सुरेश प्रभु को अगर बदलनी है रेलवे की तस्‍वीर, तो बजट में उठाने होंगे ये 5 बड़े कदम

नई दिल्‍ली। देश के करोड़ों रेलयात्रियों की निगाहें एक बार फिर रेल मंत्री सुरेश प्रभु पर टिकीं हैं। गुुरुवार 25 फरवरी को प्रभु रेल बजट पेश करेंगे। इस बार भी सभी को प्रभु के पिटारे से खस्‍ताहाल इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और जड़ हो चुकी रेल सेवाओं में बदलाव से जुड़ी घोषणाओं और योजनाओं की उम्‍मीद है। 162 साल पुराना यह ढ़ाचा दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। लेकिन कई वर्षों तक मिस मैनेजमेंट और सरकार की अनदेखी का शिकार रही रेलवे एक बेहद खराब दौर से गुजर रही है। रेलवे में बड़े सुधार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्‍थापित कमेटी ने रेलवे में बड़े सुधारों की फेहरिस्‍त सरकार के सामने रखी है। आइए जानते हैं कमेटी द्वारा सुझाए गए पांच बड़े कदम, जो रेलवे को पटरी से उतरने से बचा सकते हैं।

प्राइवेट ऑपरेटों की एंट्री

मौजूदा समय में रेलवे राज्य के अधीन है। कमेटी ने सिफारिश की है कि रेलवे प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। साथ ही उनका कहना है कि प्राइवेट रेल ऑपरेटरों को यात्री ट्रेनों और मालगाडि़यों के संचालन की अनुमति दी जाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे रेवेन्यू पर असर ज्‍यादा दिखाई नहीं देगा, लेकिन रेलवे की तस्‍वीर सुधारने में इससे मदद मिल सकती है। प्राइवेट ट्रेन ऑपरेटर टिकट के किराए तय करेंगे मगर पूर्ण रुप से इसके निजीकरण को मना कर दिया है।

रेलवे बोर्ड का फिर से गठन

सरकार की ओर से गठित सात सदस्यों का रेलवे बोर्ड सभी पॉलिसी के फैसलों को इंपलिमेंट करती है। हालाकि रेलवे बोर्ड के पास और स्वतंत्रता होनी चाहिए, कमेटी का कहना था कि आखिर में रेलवे बोर्ड भारतीय रेलवे के लिए एक कॉरपोरेट की तरह काम करना चाहिए। कमेटी ने यह भी बताया कि रेलवे बोर्ड का चेयरमैन सीईओ की तरह काम करना चाहिए।

स्वतंत्र नियामक

रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु ने अपनी बजट स्पीच में रेलवे नियामक की जरूरत पर जोर दिया था। कमेटी ने भी इस तरह की संस्था की मांग की है। रिपोर्ट के मुताबिक संवैधानिक रूप से रेलवे नियामक प्राधिकरण को स्थापित किया जाए, स्वतंत्र बजट की मदद से ताकि रेलवे मंत्रालय असल में स्वतंत्र हो सके। प्राधिकरण के पास किराए, सुरक्षा मानक और तकनीकी बैंचमार्क को तय करने की जिम्मेदारी होगी।

तस्वीरों में देखिए रेल के जुड़े फैक्ट्स

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समझदारी से नियुक्ति

कमेटी ने रेलवे के सैलरी और वेजेज से जुड़े खर्चों पर भी चिंता जताई है। कमेटी का कहना है कि भारतीय रेलवे को कर्मचारियों की संख्या उनकी सैलरी और मजदूरी पर एक बार फिर से विचार करना होगा। रेलवे को कितनी मैनपावर की जरूरत है, और किस तरह सैलरी के बोझ को कम किया जा सकता है, इस पर भी विचार करना होगा।

बेहतर सेवाएं

कमेटी के मुताबिक यात्रियों के किराएं मे बढ़ोत्तरी सेवाओं को बेहतर बनाने मे लगाना चाहिए। फरवरी मे सरकार सुविधाओं को बेहतर बनाने से जुड़ी योजनाओं को पेश किया। इनमें नए टॉयलेट्स, बेहतर सीट्स और आसान टिकटिंग विकल्प शामिल है। यहां तक कि डॉमिनोज पिज्जा ने भी टाई अप किया था जिसके तहत यह 12 स्टेशन्स पर पिज्जा  डिलिवर किया जाएगा।

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