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बंदरगाहों पर पड़ी है हजारों टन दाल, फिर भी आम लोगों को चुकानी पड़ रही है ज्यादा कीमत

सरकार के लगातार उठाए जा रहे कदमों का कुछ असर दाल की कीमतों पर दिखा है, लेकिन बाजार में भाव गिरने का पूरा फायदा आम आदमी को नहीं मिला है।

Ankit Tyagi
Published : Sep 12, 2016 07:30 am IST, Updated : Sep 12, 2016 07:32 am IST
Need to Know: बंदरगाहों पर पड़ी है हजारों टन दाल, फिर भी आम आदमी चुका रहा है ज्यादा कीमत- India TV Paisa
Need to Know: बंदरगाहों पर पड़ी है हजारों टन दाल, फिर भी आम आदमी चुका रहा है ज्यादा कीमत

नई दिल्‍ली। सरकार के लगातार उठाए जा रहे कदमों का कुछ असर दाल की कीमतों पर दिखा है, लेकिन बाजार में भाव गिरने का पूरा फायदा आम आदमी को नहीं मिला है। ऐसे में सरकार के लिए दलहन फिर से सिरदर्द बन सकती है। क्योंकि, देश में दलहन के दाम नीचे आने के बाद सरकारी दाल को कोई पूछने को तैयार नहीं है। नतीजतन लगभग 40 हजार टन दालें मुंबई पोर्ट पर पड़ी हुई हैं और इंपोर्ट प्राइस से बेहद कम पर भी राज्‍य सरकारें और ट्रेडर इन्हें खरीद नहीं रहे हैं।

अभी भी चुकानी पकड़ रही है ज्यादा कीमत

बीते छह महीने के दौरान दिल्ली के थोक बाजार में अरहर दाल की कीमत में 30 फीसदी गिरावट आई है। लेकिन खुदरा बाजार में अरहर की कीमत सिर्फ 16 फीसदी घटी है। रिटेल के दाम ज्यादा होने की वजह दुकानदारों की मनमानी है। हाल में दाल के थोक व्यापारियों ने सरकार के सामने अपना पक्ष भी रखा। उपभोक्ता मामलों ने मंत्रालय से मिलकर बताया कि दाल की बढ़ती कीमत के लिए वो जिम्मेदार नहीं हैं और सरकार को छोटे दुकानदारों की लगाम कसनी चाहिए। वैसे तो हर दुकानदार सामान पर कुछ मार्जिन यानी अपना मुनाफा वसूलता है, लेकिन खाने-पीने की चीजों को देखें तो दालों के मामले में ये मार्जिन कुछ ज्यादा ही है। रिपोर्ट के मुताबिक 31 अगस्त को दिल्ली में खुदरा व्यापारी अरहर दाल को 35.6 फीसदी के मुनाफे पर बेच रहे थे। यानि अगर अरहर दाल की कीमत थोक बाजार में 100 रुपए प्रति किलो थी तो आपको घर में 135-140 रुपए की बेची जा रही थी।

सरकार ने किए हैं 1.76 लाख टन दाल इंपोर्ट के सौदे

लगातार कई साल से देश में दाल की कमी को दूर करने के लिए सरकार दाल इंपोर्ट कर रही है। इस साल भी दालों की कमी के कारण ही दालों के भाव 200 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए। इस साल अप्रैल से अब तक की बात करें तो सरकार और प्राइवेट कंपनियां लाखों टन दालों का इंपोर्ट के सौदे कर चुके हैं। इनमें से सरकार ने एमएमटीसी के माध्‍यम से 1.76 लाख टन दालों के इंपोर्ट के सौदे किए थे। इनमें से लगभग 40 हजार टन दालें मुंबई के जेएनपीटी बंदरगाह और चेन्‍नई के बंदरगाह पर आ चुकी हैं। इस दाल को विभिन्‍न राज्‍य सरकारों को दिया जाना था ताकि देश में महंगी हुई दाल से लोगों को राहत दिलाई जा सके।

104 की दाल 66 में भी खरीदने को तैयार नहीं

केंद्रीय नागरिक एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारी ने बताया कि इनमें से लगभग 36 हजार टन दालें विभिन्‍न देशों से 104 रुपए प्रति किलोग्राम के औसत भाव से आकर मुंबई और चेन्‍नई पोर्ट तक आई हैं। ऐसे में सरकार ने राज्‍यों से 66 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से अरहर और 82 रुपए प्रति‍किलोग्राम की दर से उड़द के लिए आवेदन मंगाए थे। लेकिन, केवल 5 राज्‍यों आंध्र प्रदेश, राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु राज्‍यों ने सिर्फ 7 हजार टन दाल ही पोर्ट से उठाई। इसके बाद अब चूंकि देश में बंपर फसल के आसार हैं तो दाल के भाव भी कम हो गए हैं। ऐसे में किसी भी राज्‍य ने अब रूचि दिखाना बंद कर दिया है।

भाव कम होने पर रद्द हुई नीलामी

जब राज्‍यों की बेरूखी के बाद सरकार ने प्राइवेट ट्रेडर्स के लिए नीलामी का विचार बनाया। 23 अगस्‍त को नीलामी का आयोजन हुआ लेकिन प्राइवेट ट्रेडर्स ने सिर्फ 58 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से ही अधिकतम बोली लगाई। ऐसे में सरकार को नीलामी रद्द करनी पड़ी। अब इस दाल की खपत कहां हो इसके लिए सरकारी विभागों में मंथन चल रहा है। केंद्रीय नागरिक एंव आपूर्ति विभाग के अनुसार इन दालों को खपाने के लिए अब आर्मी और सीआरपीएफ को पत्र लिखे गए हैं। इसके बाद ही पोर्ट से ये दालें हटाई जा सकती हैं।

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