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इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए देश में बड़े लीथियम-आयन बैटरी प्‍लांट लगाने की है जरूरत : नीति आयोग

नीति आयोग ने कहा है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में वैश्विक इकाई बनने के लिए लीथियम-आयन बैटरी विनिर्माण को लेकर बड़े आकार के कारखाने लगाने की जरूरत है।

Manish Mishra Manish Mishra
Published on: October 08, 2017 17:01 IST
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए देश में बड़े लीथियम-आयन बैटरी प्‍लांट लगाने की है जरूरत : नीति आयोग- India TV Paisa
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए देश में बड़े लीथियम-आयन बैटरी प्‍लांट लगाने की है जरूरत : नीति आयोग

नई दिल्ली। नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने कहा है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में वैश्विक इकाई बनने के लिए लीथियम-आयन बैटरी (एलआईबी) विनिर्माण को लेकर बड़े आकार के कारखाने लगाने की जरूरत है। सारस्वत ने कहा कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाने पर ध्यान दे रही है, ऐसे में इस प्रकार के वाहनों में लीथियम-आयन बैटरी के उपयोग की लागत में कमी एक बड़ी चुनौती होगी। भारत ने 2030 तक देश में सिर्फ इलेक्ट्रिक कारें चलाने का लक्ष्य रखा है। इसका मकसद ईंधन आयात बिल तथा वाहनों को चलाने में आने वाले खर्च में कमी लाना है।

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सारस्‍वत ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी में वैश्विक इकाई बनने के लिये हमें मूल्यवर्द्धन (वैल्‍यू एडिशन) करना होगा। सारस्वत ने कहा कि केवल कलपुर्जों को असेंबल करने से मदद नहीं मिलेगी, हमें देश में बड़े आकार के लीथियम आयन बैटरी विनिर्माण का कारखाना लगाना होगा। नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि फिलहाल लीथियम-आयन बैटरी का देश में विनिर्माण नहीं होता और इसीलिए देश को जापान या चीन से आयात पर निर्भर रहना पड़ रहा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि आयात की गुणवत्‍ता पर सवाल है।

सारस्वत ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों का अंतिम लक्ष्य प्रदूषण से लड़ना है, ऐसे में तब देश इस प्रकार के वाहनों को अपना रहा है तो बिजली सौर और पवन जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोत से ही होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि देश को इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग के लिये बुनियादी ढांचा भी तैयार करने की जरूरत होगी।

सारस्वत ने कहा कि,

पेट्रोल पंपों पर भी चार्जिंग स्टेशन होने चाहिए और हमें इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए अक्षय ऊर्जा या जैव-ईंधन का उपयोग करना होगा।

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए हमें बिजली वितरण कंपनी बनानी होगी और साथ ही एक नियामकीय मसौदे का अनुकरण करना होगा। सारस्वत ने कहा कि कम लागत वाली लीथियम-आयन बैटरी विकसित करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा तैयार बैटरी को नया रूप दिया जा रहा है ताकि इसका उपयोग वाहनों में हो सके। लेकिन इसरो द्वारा तैयार बैटरी का बड़े पैमाने पर उत्पादन में समय लगेगा।

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सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन कार्यक्रम को भारी उद्योग मंत्रालय से नीति आयोग को स्थानांतरित कर दिया है, ऐसे में सारस्वत का बयान खासा मायने रखता है। सरकार आक्रमक तरीके से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और उत्पादन को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। सार्वजनिक क्षेत्र की ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (ईईएसएल) ने 10,000 इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

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