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भारत कृषि व्यापार वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में गति पकड़ सकता है: फिच साल्युशन्स

विश्लेषक कंपनी फिच साल्युशन्स ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि देश के कृषि व्यापार के कैलेंडर वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में वापस गति पकड़ने की उम्मीद है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 23, 2020 19:10 IST
India's farm trade may rebound in second half of 2020: Fitch Solutions- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

India's farm trade may rebound in second half of 2020: Fitch Solutions

नयी दिल्ली। विश्लेषक कंपनी फिच साल्युशन्स ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि देश के कृषि व्यापार के कैलेंडर वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में वापस गति पकड़ने की उम्मीद है। यह मार्च-जून में लॉजिस्टिक्स की समस्या मुद्दों के कारण कोविड -19 रोकथाम के लिए लॉकडाउन के दौरान बाधित हो गया था। केंद्र सरकार ने कोरोनावायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए 25 मार्च से 30 अप्रैल तक सख्ती से राष्ट्रव्यापी लॉकडाऊन को लागू किया और फिर मई में आंशिक रुप से लॉकडाऊन को लागू किया था। 

रिपोर्ट में कहा गया है, 'इन उपायों में आजीविका की सुरक्षा के लिए घरेलू स्तर पर कोविड-19 संक्रमण में निरंतर वृद्धि के बावजूद, आठ जून से विभिन्न चरणों में ढील दी गई। हमें संज्ञान में लेना होगा कि कुछ राज्य मई से आगे भी लॉकडाउन की स्थिति में रहेंगे, जो अर्थव्यवस्था और कृषि व्यवसाय परिचालन को बाधित करना जारी रखेगा।' लॉजिस्टिक मुद्दों के कारण लॉकडाउन के दौरान कृषि व्यापार बहुत बाधित हो गया था, यह बताते हुए फिच सॉल्यूशंस ने कहा कि मार्च-जून में निर्यात (चावल, चीनी) और आयात (पाम ऑयल) दोनों लड़खड़ा गए। 

इसमें कहा गया है, 'हम वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में जोरदार तरीके से वापस व्याार के गति पकड़ने की उम्मीद करते हैं, लेकिन हम वर्ष 2020 की पहली छमाही में दर्ज हुई गिरावट के कारण वर्ष 2020 का कुल व्यापार का आकार वर्ष 2019 के स्तर या उससे नीचे रहने का अनुमान लगाते हैं।' मजदूरों की कमी- का एक आंशिक कारण यह भी है कि कई प्रवासी मजदूर आजीविका तलाशने के लिए अपने गांव घर लौट गये थे। इस मजदूरों की कमी की वजह से धान की रोपाई व बागवानी के काम में कुछ कठिनाई होने की संभावना है। 

रिपोर्ट में डेयरी और पशुधन उत्पादन क्षेत्र के पर्याप्त रूप से प्रभावित होने की बात करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि पशुधन का परिवहन प्रतिबंधित था या यह काम काफी जटिल हो गया था, जबकि मांस की दुकानें या बूचड़खाने बंद हो गए जिसके बारे में कुछ व्यापारिक कंपनियों ने कहा कि उन्हें 'आवश्यक सेवा' नहीं माना गया था। 'आवश्यक सेवा' वाले काम को लॉकडाउन के दौरान संचालित करने की अनुमति थी। छोटे मांस कारोबारी कठिनाई में जूझ रहे हैं।परिवहन की समस्या के कारण चारे की कीमतें बढ़ रही हैं। इस स्थिति में ऐसे कई मांस व्यापारी वर्ष 2020 में धंधे से बाहर हो सकते हैं। 

आर्थिक विकास पर महामारी के प्रभाव के कारण विश्व स्तर पर कम क्रय शक्ति होने से भी वर्ष 2020 में कम गुणवत्ता वाले और सस्ते भारतीय ‘बीफ’ (गोमांस) के मांस की मांग बढ़ सकती है यह मांग, विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के विकासशील देशों से हो सकती है। हालांकि, हम मानते हैं कि आर्थिक मंदी के कारण इन बाजारों में कुल मांस की खपत में कमी आएगी। नतीजतन, भारत में वर्ष 2020 में गोमांस के निर्यात में तेज वृद्धि की संभावना नहीं है। डेयरी क्षेत्र के संबंध में, फिच सॉल्यूशंस ने कहा कि फल और सब्जियों जैसे जल्दी खराब होने की संभावना वाले खाद्य वस्तुओं में कई बार कीमतों में काफी घट बढ़ देखी गई। लेकिन इसके विपरीत, पूरे भारत में उपभोक्ताओं को दूध की आपूर्ति अपेक्षाकृत व्यवधानमुक्त रही है। 

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