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ब्रांच ऑफिस के कर्मचारियों की ओर से हेड ऑफिस को मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं पर लगेगा 18 प्रतिशत जीएसटी

शाखा कार्यालय इंजीनियरिंग, डिजाइन एवं लेखा जैसी सेवाएं अपने मुख्यालय को मुहैया कराता है। कंपनी की दलील थी कि कर्मचारी कंपनी में नियुक्त हुए हैं और वे मुख्यालय या शाखा कार्यालय के बजाय पूरी कंपनी के लिए काम करते हैं।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Apr 18, 2023 16:41 IST, Updated : Apr 18, 2023 16:41 IST
जीएसटी- India TV Paisa
Photo:INDIA TV जीएसटी

किसी कंपनी के अलग राज्यों में स्थित ब्रांच ऑफिस के कर्मचारियों की तरफ से उसके हेड ऑफिस को मुहैया कराई जाने वाली सेवाएं 18 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में आएंगी। एडवांस रूलिंग प्राधिकरण (एएआर) ने यह व्यवस्था दी है। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संबंधित विवादों में फैसला करने वाले निकाय एएआर ने प्रॉफिसॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के मामले में यह निर्णय दिया है। कंपनी ने एएआर से यह जानने की कोशिश की थी कि मुख्यालय को दी जाने वाली सेवाएं भी क्या जीएसटी के दायरे में आएंगी। प्रॉफिसॉल्यूशंस का कर्नाटक में पंजीकृत कार्यालय है जबकि तमिलनाडु में उसका शाखा कार्यालय है।

सेवाएं जीएसटी के दायरे में आएंगी

शाखा कार्यालय इंजीनियरिंग, डिजाइन एवं लेखा जैसी सेवाएं अपने मुख्यालय को मुहैया कराता है। कंपनी की दलील थी कि कर्मचारी कंपनी में नियुक्त हुए हैं और वे मुख्यालय या शाखा कार्यालय के बजाय पूरी कंपनी के लिए काम करते हैं। हालांकि एएआर ने कहा कि जीएसटी प्रावधानों के मुताबिक भौतिक उपस्थिति रखने वाले हरेक राज्य में जीएसटी पंजीकरण कराना जरूरी होता है। अगर एक ही संस्था के दो पंजीकरण नंबरों के बीच सेवाओं की आपूर्ति होती है तब भी उस पर कर लगेगा। इसका मतलब है कि किसी कंपनी के अलग राज्यों में स्थित शाखा कार्यालय के कर्मचारियों की तरफ से उसके मुख्यालय अथवा मुख्यालय से शाखा को कर्मचारियों द्वारा दी जाने वाली सेवाएं जीएसटी के दायरे में आएंगी।

दूसरे को दी जाने वाली सेवाओं पर जीएसटी देनदारी बनेगी

प्राधिकरण ने कहा, "अगर मुख्यालय एवं शाखा कार्यालय के पंजीकरण अलग-अलग हैं तो एक से दूसरे को दी जाने वाली सेवाओं पर जीएसटी देनदारी बनेगी।" एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ साझेदार रजत मोहन ने कहा कि एएआर का यह निर्णय एक ही पैन नंबर पर पंजीकृत दो अलग-अलग जीएसटी पंजीकरणों के बीच सेवाओं की आपूर्ति पर 18 प्रतिशत की दर से कर लगने की व्यवस्था देता है। हालांकि कारोबार पर कर जोखिम बढ़ाए बगैर इस कर की गणना के तरीके पर स्थिति साफ नहीं है।

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