देश के बैंकों ने छोटे-मोटे लेनदेन पर ग्राहकों को मिलने वाले SMS अलर्ट को बंद करने की दिशा में कदम उठाया है। बैंक इस कदम के पीछे मुख्य वजह बताते हैं कि डिजिटल लेनदेन, खासकर UPI के माध्यम से छोटे-छोटे लेनदेन में भारी बढ़ोतरी हुई है और लगातार अलर्ट आने से ग्राहकों को नॉटीफिकेशन थकान हो रही है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि इससे बड़े और महत्वपूर्ण लेनदेन के अलर्ट मिस होने का खतरा भी बढ़ गया है।
जानकार सूत्रों के अनुसार, यह प्रस्ताव बैंकिंग सेक्टर के रेगुलेटर्स रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के सामने रखा गया है। इस कदम से ग्राहकों को केवल बड़े या निर्धारित संख्या/मूल्य से ज्यादा लेनदेन के लिए ही अलर्ट भेजे जाएंगे। एक बैंक अधिकारी ने बताया कि हमने इस प्रस्ताव को पिछले महीने सभी पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के साथ आंतरिक विचार-विमर्श के बाद RBI के पास भेजा है। इसके साथ ही हमने सुरक्षा उपायों की एक सूची भी प्रस्तुत की है, ताकि धोखाधड़ी की आशंका कम रहे।
RBI की गाइडलाइंस
वर्तमान में RBI की गाइडलाइंस के अनुसार, बैंक ग्राहकों से SMS अलर्ट के लिए अनिवार्य सहमति लेते हैं और जहां संभव हो, ईमेल अलर्ट भी प्रदान करते हैं। SMS अलर्ट अनिवार्य रूप से भेजे जाते हैं, जबकि ईमेल अलर्ट उन ग्राहकों को भेजे जाते हैं जिन्होंने इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराया हो। नए प्रस्ताव के तहत ग्राहक 100 रुपये से कम के लेनदेन के लिए SMS अलर्ट बंद करने का विकल्प चुन सकेंगे। इच्छुक ग्राहक ऐप या ईमेल के माध्यम से अलर्ट प्राप्त करना जारी रख सकते हैं।
SMS भेजने में कितना पैसा लगता है?
बैंक अधिकारियों ने यह भी बताया कि SMS भेजने की लागत प्रति संदेश लगभग ₹0.20 है, जिसे ग्राहक से वसूला जाता है। वहीं, ईमेल अलर्ट मुफ्त में उपलब्ध हैं। प्रस्तावित बदलाव के लागू होने पर बैंक हर ग्राहक की सहमति लेंगे। बैंकों का कहना है कि तकनीक का बेहतर उपयोग करके और टेलीकॉम प्रदाताओं के साथ समन्वय कर ग्राहक को वास्तविक उपयोग के अनुसार ही चार्ज किया जाना चाहिए। पिछली बार संसद की एक समिति ने भी वित्तीय लेनदेन प्रणाली में गंभीर विसंगति की ओर ध्यान दिलाया था, जिसमें यह पाया गया कि ग्राहकों को हमेशा उनके खाते में राशि जमा या डेबिट होने पर SMS नोटिफिकेशन नहीं मिल रहे हैं।



































