Sunday, December 07, 2025
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर फीस लगाने से इन टेक कंपनियों पर पड़ेगा सबसे बुरा असर, आईटी प्रोफेशनल्स संकट में

H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर फीस लगाने से इन टेक कंपनियों पर पड़ेगा सबसे बुरा असर, आईटी प्रोफेशनल्स संकट में

अमेरिका के संघीय आंकड़ों के अनुसार, भारत की टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) 2025 तक 5000 से ज्यादा स्वीकृत H-1B वीजा के साथ इस प्रोग्राम की दूसरी सबसे बड़ी लाभार्थी है।

Edited By: Sunil Chaurasia
Published : Sep 20, 2025 03:29 pm IST, Updated : Sep 20, 2025 03:30 pm IST
H-1B, H-1B Visa, H-1B Visa fees, donald trump, us president, us it sector, us it industry, us immigr- India TV Paisa
Photo:FREEPIK गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं भारतीय आईटी और पेशेवर कर्मचारी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक नया आदेश जारी किया। जिसके तहत अब कंपनियों को H-1B वीजा के जरिए विदेशी कर्मचारियों को स्पॉन्सर करने के लिए हर साल 100,000 डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) की फीस देनी होगी। अमेरिकी सांसदों और सामुदायिक नेताओं ने H-1B वीजा आवेदनों पर 1,00,000 डॉलर की फीस लगाने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने ट्रंप के इस कदम से आईटी इंडस्ट्री पर काफी बुरा प्रभाव पड़ने की भी आशंका जताई है।

H-1B वीजा का लाभ उठाने वाली कंपनियों में कौन सबसे आगे

अमेरिका के संघीय आंकड़ों के अनुसार, भारत की टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) 2025 तक 5000 से ज्यादा स्वीकृत H-1B वीजा के साथ इस प्रोग्राम की दूसरी सबसे बड़ी लाभार्थी है। इस लिहाज से पहले स्थान पर अमेरिकी टेक कंपनी अमेजन है। अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं (USCIS) के अनुसार, जून 2025 तक अमेजन के 10,044 कर्मचारी H-1B वीजा का उपयोग कर रहे थे। दूसरे स्थान पर 5,505 स्वीकृत H-1B वीजा के साथ टीसीएस रही। अन्य शीर्ष लाभार्थियों में माइक्रोसॉफ्ट (5189), मेटा (5123), एप्पल (4202), गूगल (4181), डेलॉइट (2353), इंफोसिस (2004), विप्रो (1523) और टेक महिंद्रा अमेरिकाज (951) शामिल हैं। 

गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं भारतीय आईटी और पेशेवर कर्मचारी 

ट्रंप प्रशासन द्वारा H-1B वीजा पर एक लाख अमेरिकी डॉलर की फीस लगाने के फैसले से अमेरिका में भारतीय आईटी और पेशेवर कर्मचारी गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं। इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी मोहनदास पई ने शनिवार को कहा कि H-1B वीजा आवेदकों पर एक लाख अमेरिकी डॉलर की सालाना फीस लगाने से कंपनियों के नए आवेदन कम होंगे। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले महीनों में अमेरिका में आउटसोर्सिंग बढ़ सकती है।

सिर्फ भारतीय ही नहीं अमेरिकी कंपनियों पर भी पड़ेगा बुरा असर

पई ने इस धारणा को खारिज किया कि कंपनियां अमेरिका में सस्ते श्रम भेजने के लिए H-1B वीजा का इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के कथन को ''बेतुकी बयानबाजी'' करार दिया। एक आईटी इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि भारतीय आईटी कंपनियों को हर साल 8,000-12,000 नए स्वीकृतियां मिलती हैं। इसका असर सिर्फ भारतीय कंपनियों पर ही नहीं, बल्कि अमेजन, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी ग्लोबल टेक कंपनियों पर भी होगा। 

ये भी पढ़ें

Latest Business News

Google पर इंडिया टीवी को अपना पसंदीदा न्यूज सोर्स बनाने के लिए यहां
क्लिक करें

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement