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दुनिया के नंबर-1 दुग्ध उत्पादक भारत में गहराया संकट, 2011 के बाद पहली बार पड़ सकती है आयात की नौबत

देश में दूध की कमी के चलते इस साल एक बार फिर दूध की कीमतों में तीखी बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है।

Sachin Chaturvedi Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: April 05, 2023 21:00 IST
Milk Production in India- India TV Paisa
Photo:FILE Milk Production in India

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। करीब 22 करोड़ टन दूध के साथ दुनिया का लगभग 24 प्रतिशत दुग्ध उत्पादन भारत में ही होता है। लेकिन बीते साल आई दुधारू पशुओं के लिए काल बनकर आये लंपी रोग ने स्थिति एक दम पलट दी है। सरकार को इस साल अनुमान से कहीं कम उत्पादन की चिंता सता रही है। इस बीच सरकार ने यह भी संकेत दिए हैं कि देश जरूरत पड़ने पर डेयरी उत्पादों के आयात पर विचार कर सकता है। 

इस खबर का दूसरा पक्ष यह भी है कि देश में दूध की कमी के चलते इस साल एक बार फिर दूध की कीमतों में तीखी बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि दक्षिणी राज्यों में दूध के स्टॉक की स्थिति का आकलन करने के बाद यदि जरूरी हुआ, तो सरकार मक्खन और घी जैसे डेयरी उत्पादों के आयात करने के मामले में हस्तक्षेप करेगी। दक्षिणी राज्यों में अब उत्पादन का चरम समय शुरू हो गया है। 

2021-22 में 22.1 करोड़ टन रहा उत्पादन 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में दूध उत्पादन वर्ष 2021-22 में 22.1 करोड़ टन रहा, जो इससे पिछले वर्ष के 20.8 करोड़ टन से 6.25 प्रतिशत अधिक था। पशुपालन और डेयरी सचिव राजेश कुमार सिंह ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मवेशियों में गांठदार त्वचा रोग यानि लंपी रोग के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में देश के दुग्ध उत्पादन में ठहराव रहा, जबकि महामारी के बाद की मांग में उछाल के कारण इसी अवधि में घरेलू मांग में 8-10 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 

दूध से ज्यादा मक्खन और घी की होगी कमी 

उन्होंने कहा, ’देश में दूध की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं है। स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) का पर्याप्त भंडार है। लेकिन डेयरी उत्पादों, विशेष रूप से वसा, मक्खन और घी आदि के मामले में पिछले वर्ष के मुकाबले स्टॉक कम है।’’ उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों में दूध के स्टॉक की स्थिति का आकलन करने के बाद यदि आवश्यक हो, तो सरकार मक्खन और घी जैसे डेयरी उत्पादों के आयात में हस्तक्षेप करेगी। हालाँकि, सिंह ने पाया कि आयात इस समय लाभकारी नहीं हो सकता है क्योंकि हाल के महीनों में अंतरराष्ट्रीय कीमतें मजबूत बनी हुई हैं। 

विदेशी बाजारों में ज्यादा है कीमत 

उन्होंने कहा, ‘‘अगर वैश्विक कीमतें ऊंची हैं, तो आयात करने का कोई मतलब नहीं है। हम देश के बाकी हिस्सों में उत्पादन का आकलन करेंगे और फिर कोई फैसला करेंगे।श्’ उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में यह कमी कम रहेगी, जहां पिछले 20 दिन में बेमौसम बारिश के कारण तापमान में गिरावट के साथ स्थिति अनुकूल हुई है। 

लंपी रोग से 1.89 लाख पशुओं की मौत

सचिव के अनुसार, पिछले साल गांठदार त्वचा रोग के प्रभाव की वजह से 1.89 लाख मवेशियों की मौत और दूध की मांग में महामारी के बाद के उछाल के कारण देश का दूध उत्पादन स्थिर रहा। सिंह ने कहा, ’मवेशियों पर गांठदार त्वचा रोग का प्रभाव इस हद तक महसूस किया जा सकता है कि कुल दूध उत्पादन में थोड़ा ठहराव रहा। आमतौर पर दूध उत्पादन सालाना छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। हालांकि, इस साल (2022-23) यह कम होगा। या तो स्थिर रहे या 1-2 प्रतिशत की दर से बढ़े।’ 

दूध उत्पादन में ठहराव 

सिंह ने कहा कि चूंकि सरकार सहकारी क्षेत्र के दूध उत्पादन के आंकड़ों को ध्यान में रखती है, न कि पूरे निजी और असंगठित क्षेत्र का, इस कारण ‘‘हम मानते हैं कि दूध उत्पादन में ठहराव रहेगा।’’ उन्होंने कहा कि सही मायने में चारे की कीमतों में जो वृद्धि हुई है उसके कारण दूध की महंगाई बढ़ी है। उन्होंने कहा कि चारे की आपूर्ति में समस्या है क्योंकि पिछले चार वर्षों में चारे की फसल का रकबा भी स्थिर रहा है, जबकि डेयरी क्षेत्र सालाना छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। भारत ने आखिरी बार वर्ष 2011 में डेयरी उत्पादों का आयात किया था। 

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