
कर्ज लेकर घी पीना मुहावरा का सही में चरितार्थ इस वक्त कोई कर कर रहा है तो वह पाकिस्तान है। दुनियाभर के देशों से कर्ज लिए जा रहा है लेकिन उस कर्ज को चुकाएगा कैसे, इसकी कोई चिंता नहीं। उल्टे शेखी ऐसे बघारता है कि दुनिया के बड़े से बड़े देश शार्मा जाए। आपको बता दें कि पाकिस्तान का कर्ज चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में बढ़कर 76,007 अरब पाकिस्तानी रुपया हो गया है। यह जानकारी खुद पाकिस्तान सरकार की ओर से दी गई है। हाल ही में पाकिस्तान ने IMF और ADB से बड़ा कर्ज लिया है। कर्ज लेकर पाकिस्तानियों के लिए दो जून की रोटी का बंदोबस्त कर रहा पाकिस्तानी नेताओं की हेकड़ी इसके बावजूद कम नहीं हुई है।
10 साल में कर्ज 5 गुना बढ़ा
पाक पर कर्ज का बोझ बढ़कर 76,007 अरब पाकिस्तानी रुपया हो गया है। यह आंकड़ा भारतीय रुपये में 23.1 खरब रुपये या लगभग 269.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है, जो बताता है कि ऋण का बोझ केवल चार वर्षों में लगभग दोगुना हो गया है। पाकिस्तान पर 2020-21 में 39,860 अरब पाकिस्तानी रुपया कर्ज था। आर्थिक रिपोर्ट में देश की वित्तीय स्थिति को लेकर चेतावनी दी गई है कि "अत्यधिक या खराब तरीके से प्रबंधित ऋण गंभीर कमज़ोरियां पैदा कर सकता है, जैसे कि ब्याज का बोझ बढ़ना और अगर इसे अनदेखा किया गया तो यह दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता और आर्थिक सुरक्षा को कमज़ोर कर सकता है।" एक दशक पहले, देश का सार्वजनिक ऋण 17,380 अरब पाकिस्तानी रुपये था, जिसका अर्थ है कि दस वर्षों में ऋण लगभग पांच गुना बढ़ गया है।
कर्ज मांगने के लिए बदनाम पाकिस्तान
पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ-साथ ‘मित्र देशों’ से भी राहत पैकेज मांगने के लिए बदनाम रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तो यहां तक कह दिया कि “आज जब हम किसी मित्र देश के पास जाते हैं या फोन करते हैं तो उन्हें लगता है कि हम उनसे पैसे मांगने आए हैं।” शरीफ ने पहले भी कहा था कि छोटी अर्थव्यवस्थाएं भी पाकिस्तान से आगे निकल गई हैं, “और हम पिछले 75 सालों से भीख का कटोरा लेकर भटक रहे हैं।”
वहीं, दूसरी ओर विश्व बैंक के अनुसार भारत ने रिकॉर्ड संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है, लेकिन पाकिस्तान पर विश्व बैंक के नवीनतम अनुमान के अनुसार इसकी लगभग 45 प्रतिशत आबादी गरीबी में रहती है, जबकि 16.5 प्रतिशत लोग अत्यधिक गरीबी में रहते हैं। यानी ये आबादी दो जून की रोटी के लिए मोहताज है लेकिन नेताओं की हेकड़ी कम नहीं हो रही है।
सुधार की लगा रहे उम्मीद
पाकिस्तान का वित्त वर्ष एक जुलाई से शुरू होता है। समीक्षा के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में सरकार का कर्ज बढ़कर 76,000 अरब पाकिस्तानी रुपये हो गया, जिसमें स्थानीय बैंकों से 51,500 अरब पाकिस्तानी रुपये और बाह्य स्रोतों से 24,500 अरब पाकिस्तानी रुपये का कर्ज शामिल है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने कहा कि अर्थव्यवस्था पिछले दो वर्षों से सुधार की राह पर है, और चालू वित्त वर्ष में यह प्रक्रिया और मजबूत हुई है। समीक्षा वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार के आर्थिक प्रदर्शन पर प्रकाश डालने वाला एक प्रमुख दस्तावेज है।