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संसदीय समिति ने मनरेगा में मजदूरी बढ़ाने की मांग की, आवंटन में कटौती पर जताई चिंता

रिपोर्ट में कहा गया है कि मनरेगा की भूमिका और महत्ता कोरोना काल में स्पष्ट दिखायी दी जब यह जरूरतमंद लोगों के लिए संकट काल में आशा की किरण बनी।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: March 16, 2023 11:47 IST
मनरेगा - India TV Paisa
Photo:FILE मनरेगा

संसद की एक समिति ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को बेरोजगारों के लिए संकट काल में आशा की किरण बताते हुए इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि वर्ष 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में वर्ष 2023-24 में मनरेगा के बजट अनुमान में 29,400 करोड़ रुपये की कटौती की गई है। समिति ने मनरेगा के अंतर्गत काम की मौजूदा काम के मांग का सही आकलन करने की भी सिफारिश की है। साथ ही मौजूदा मार्केट रेट के आधार पर मजदूरी बढ़ाने का भी सुझाव दिया है। लोकसभा में बुधवार को पेश, द्रमुक सांसद कनिमोई करूणानिधि की अध्यक्षता वाली ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। 

संकट काल में आशा की किरण

रिपोर्ट में कहा गया है कि मनरेगा की भूमिका और महत्ता कोरोना काल में स्पष्ट दिखायी दी जब यह जरूरतमंद लोगों के लिए संकट काल में आशा की किरण बनी। इस योजना की महत्ता वर्ष 2020-21 और 2021-22 में संशोधित अनुमान स्तर पर क्रमश: 61,500 करोड़ रुपये से 1,11,500 करोड़ रुपये और 73,000 करोड़ रुपयेसे 99,117 करोड़ रुपये की भारी वृद्धि से स्पष्ट होती है। चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भी मनरेगा के लिए राशि को 73,000 करोड़ रुपयेके बजट अनुमान से बढ़ाकर संशोधित अनुमान के स्तर पर 89,400 करोड़ रुपये कर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आरंभिक स्तर पर ही ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मनरेगा के लिए 98,000 करोड़ रुपये की प्रस्तावित मांग की तुलना में 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है समिति मनरेगा के तहत आवंटन में कमी के औचित्य को समझ नहीं पायी है।

मनरेगा पर आवंटन बढ़ाने की जरूरत 

इसमें कहा गया है कि चूंकि योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन आवश्यक है, इसलिए समिति का दृढ़ मत है कि धनराशि में कटौती के मामले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। समिति ने कहा कि यह एक स्थापित प्रक्रिया है कि मनरेगा एक मांग आधारित योजना है और संशोधित अनुमान स्तर पर धनराशि में वृद्धि की जा सकती है, फिर भी मंत्रालय को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ग्रामीण विकास विभाग ने किस प्रकार मनरेगा के प्रस्ताव के चरण में 98,000 करोड़ रुपये की मांग की गणना की। 

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