Ratan Tata Death Anniversary: बॉस बनने का मतलब सिर्फ ऑफिस में कर्मचारियों को दिशा दिखाना नहीं होता, बल्कि अपने कर्मों और इंसानियत से लोगों के जीवन में बदलाव लाना भी होता। रतन टाटा (Ratan Tata) इसी बात का सबसे बड़े उदाहरण थे। आज उनकी पहली पुण्यतिथि पर हम सिर्फ उनके बिजनेस और दान दानवीर के रूप में नहीं बल्कि उनकी दिल छू लेने वाली इंसानियत और पालतू जानवरों के प्रति स्नेह की कहानी भी याद कर रहे हैं। रतन टाटा ने अपने कर्मचारियों और पालतू जानवरों को अपनी विरासत का हिस्सा बनाकर दिखा दिया कि असली बॉस वही होता है, जो दिल से भी बड़ा हो।
शांतनु नायडू
रतन टाटा ने अपने पर्सनल संबंधों में भी गहरी सेंसेटिविटी दिखाई। उनके वसीयत (Will) में शांति नायडू का नाम शामिल था। रतन टाटा ने नायडू के ओवरसीज शिक्षा के लिए लोन माफ किया और उनके स्टार्टअप Goodfellows का अधिकार भी उन्हें दिया। यह न केवल रतन टाटा के विश्वास और देखभाल को दर्शाता है बल्कि उनकी मेंटरशिप और भविष्य में नायडू के योगदान पर भरोसे का भी प्रतीक है। शांतनु आज भी रतन टाटा के आदर्शों को आगे बढ़ाते हुए Goodfellows के माध्यम से समाज सेवा और अकेलापन दूर करने की पहल में एक्टिव हैं। इतना ही नहीं, वह अभी टाटा मोटर्स में जनरल मैनेजर और स्ट्रैटेजिक इनिशिएटिव्स के हेड के रूप में जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
टीटो- रतन टाटा का प्यारा जर्मन शेफर्ड
रतन टाटा का डॉग टीटो उनकी विरासत का अहम हिस्सा था। रतन टाटा ने अपनी वसीयत में टीटो के जीवनभर के खर्च और देखभाल की व्यवस्था की थी। इसके लिए 12 लाख रुपये की राशि अलग रखी गई थी और देखभाल का जिम्मा उनके लंबे समय के कुक, राजन शॉ को सौंपा गया था। टाटा ने बॉम्बे हाउस को पालतू जानवरों के लिए सुरक्षित स्थान बनाया और भारत का पहला नॉन-प्रॉफिट स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल स्थापित किया। टीटो टाटा की दयालुता और जानवरों के प्रति प्रेम का प्रतीक बन गया।

गोवा- गोवा में मिला प्यार और वफादारी का उदाहरण
गोवा नाम का स्ट्रे कुत्ता रतन टाटा ने गोवा में मिलाकर उसे अपनाया। इस डॉग के प्रति उनकी निष्ठा और स्नेह का असर तब देखने को मिला जब गोवा उनकी अंतिम यात्रा में उनके ताबूत के पास शांति से बैठा रहा। गोवा आज भी बॉम्बे हाउस में है और टाटा की याद और उनकी करुणा का प्रतीक बनकर लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।
रतन टाटा
रतन टाटा ने साबित कर दिया कि एक सच्चा बॉस सिर्फ बिजनेस में नहीं बल्कि अपने कर्म, इंसानियत और स्नेह से दूसरों के जीवन में स्थायी प्रभाव छोड़ता है। शांतनु नायडू, टीटो और गोवा उनकी विरासत के ऐसे हिस्से हैं, जो उनकी मानवता, दयालुता और नेतृत्व की मिसाल आज भी दुनिया को प्रेरित करती है।






































