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टमाटर की ​अजब-गजब कहानी, कभी ₹100 में मिलना मुश्किल तो आज 5 रुपये में भी खरीदार नहीं! मजदूरी भी नहीं मिल पा रही

गंजाम ब्लॉक के सत्रुसल गांव के टमाटर उत्पादक सुरथ पाहन ने कहा, ‘‘ पिछले तीन महीनों से फसल पर इतना समय और पैसा खर्च करने के बाद हम कटाई पर खर्च की गई मजदूरी भी नहीं वसूल पा रहे हैं।’’

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Feb 10, 2025 14:39 IST, Updated : Feb 10, 2025 14:40 IST
Tomato
Photo:FILE टमाटर

टमाटर की कीमत कभी आसमान छूती कीमत को लेकर अखबारों में सुर्खियां बटोरती है तो कभी किसानों की बेचारगी को लेकर। कभी टमाटर 100 रुपये प्रति किलो मिलना मुश्किल हो जाता है तो आज इसको 3 से 5 रुपये में भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं। मामला ओडिशा का है। ओडिशा के गंजाम जिले में टमाटर की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि बाजार में टमाटर 10 से 15 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकने के बावजूद, खेती करने वालों को इसकी कीमतें 3 से 5 रुपये प्रति किलोग्राम ही मिल रही है। बुनियादी उत्पादन लागत भी वसूल न कर पाने के कारण कई किसान अपनी फसल कम दाम पर बेचने को मजबूर हो गए हैं, जबकि कुछ ने तो अपनी फसल को मवेशियों के खाने के लिए ही छोड़ दिया है। 

मजदूरी भी नहीं मिल पा रही 

गंजाम ब्लॉक के सत्रुसल गांव के टमाटर उत्पादक सुरथ पाहन ने कहा, ‘‘ पिछले तीन महीनों से फसल पर इतना समय और पैसा खर्च करने के बाद हम कटाई पर खर्च की गई मजदूरी भी नहीं वसूल पा रहे हैं।’’ पाहन ने शुक्रवार को तीन प्रति किलोग्राम के हिसाब से करीब 15 क्विंटल टमाटर बेचे। एक एकड़ जमीन पर टमाटर की खेती करने वाले पाहन ने कहा, ‘‘ हमारे इलाके में कुछ किसानों ने व्यापारियों द्वारा मात्र दो रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत दिए जाने के बाद अपनी फसल ही छोड़ दी।’’ मठ मुकुंदपुर गांव के दया प्रधान ने बताया, ‘‘ लाभ की बात तो भूल ही जाएं हम बीज, खाद, कीटनाशक और परिवहन पर होने वाले बुनियादी खर्च भी नहीं निकाल पाते।’’ 

मवेशियों को खिलाने का फैसला

शत्रुसोला गांव के किसान उपेंद्र पोलाई ने कहा, ‘‘ इतने कम दाम पर टमाटर बेचने के बजाय, मैंने फसल को अपने मवेशियों को खिलाने का फैसला किया।’’ बागवानी विभाग के उप निदेशक कांड जेना ने बताया कि पिछले सप्ताह जिले में टमाटर की कीमतों में भारी गिरावट आई है। उन्होंने कहा, ‘‘ इस साल अत्यधिक फसल की वजह से कीमतों में गिरावट आई है।’’ कम अवधि की मौसमी फसल होने की वजह से कई किसानों ने टमाटर की खेती की जिसके कारण आपूर्ति अधिक हो गई और कीमत में गिरावट आई। जेना ने कहा, ‘‘ गंजाम में इस सत्र में करीब 1,500 हेक्टेयर में टमाटर की खेती की गई।’’ किसान नेता एवं जिला परिषद के पूर्व सदस्य ब्रुन्दाबन खतेई ने कहा कि जिले में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों और ‘कोल्ड स्टोरेज’ की कमी के कारण टमाटर उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। 

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