
दिग्गज अमेरिकी टेक कंपनी एप्पल के शेयरों में आज बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। शुक्रवार को एप्पल के शेयरों का भाव 4% गिरकर 193.46 डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गया। बताते चलें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आज ही एप्पल को धमकी दी थी कि अगर कंपनी अमेरिका में बेचे जाने वाले आईफोन की मैन्यूफैक्चरिंग अमेरिका के बजाय भारत या किसी अन्य देश में करता है तो उसे इंपोर्ट पर 25 प्रतिशत का टैरिफ चुकाना होगा। ट्रंप की इस धमकी से अमेरिकी शेयर बाजार में एप्पल के शेयरों में भारी बिकवाली शुरू हो गई और निवेशक हिस्सेदारी बेचकर बाहर निकलने लगे।
लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं अमेरिकी शेयर बाजार के तमाम बड़े एक्सचेंज
शुक्रवार को रात 11.32 बजे (अमेरिका में दोपहर 2.02 बजे) एप्पल के शेयर Nasdaq पर 2.55% (5.13 डॉलर) की गिरावट के साथ 196.23 डॉलर के भाव पर कारोबार कर रहे थे। शुक्रवार को ट्रंप के ट्रूथ पर किए गए टैरिफ से जुड़े पोस्ट के बाद वॉल स्ट्रीट पर बिकवाली शुरू हो गई और शुरुआती कारोबार में Dow 30 0.94 प्रतिशत (391.47 अंक) गिरकर 41,467.60 पर आ गया। इसके अलावा, S&P500 भी सुबह 10:15 बजे के आसपास 64.68 1.11% गिरकर 5777.33 पर कारोबार कर रहा था। नैस्डैक कंपोजिट को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, जो 261.83 अंक (1.38%) की गिरावट के साथ 18,663.90 अंकों पर कारोबार कर रहा था।
माइक्रोसॉफ्ट, एनवीडिया के शेयरों में भी गिरावट
हालांकि, अमेरिकी शेयर बाजार में आज सिर्फ एप्पल के शेयरों में ही गिरावट नहीं देखी जा रही बल्कि कई अन्य बड़ी कंपनियों के शेयरों में भी नुकसान देखने को मिल रहा है। माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन, एनवीडिया कॉर्पोरेशन, अमेजन, अल्फाबेट और मेटा जैसे अन्य प्रमुख कंपनियों के शेयरों में भी 2 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिली। अगर डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आईफोन के इंपोर्ट पर 25 प्रतिशत टैरिफ लागू हो जाता है, निश्चित रूप से अमेरिका में एप्पल आईफोन की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
अमेरिका में बिक रहे हैं मेड इन इंडिया आईफोन
बताते चलें कि अमेरिका में अभी बिक रहे आईफोन भारत में बने हुए हैं। डोनाल्ड ट्रंप नहीं चाहते कि अमेरिका में बिकने वाले आईफोन की मैन्यूफैक्चरिंग भारत या किसी अन्य देश में हो। इसके लिए उन्होंने एप्पल के सीईओ टिम कुक के साथ भी बातचीत की है। ट्रंप ने सीधे तौर पर कुक से कहा है कि वे भारत या किसी अन्य देश में आईफोन बनाने के बजाय अमेरिका में ही इसकी मैन्यूफैक्चरिंग करें।