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प्रॉपर्टी बुक करने से पहले ध्यान रखिए ये 10 बातें, भविष्‍य में नहीं होगी कोई परेशानी

प्रॉपर्टी बुक करने से पहले अगर ग्राहक इस चेकलिस्ट में लिखे गए बिंदुओं के जवाब खोज लेता है तो गलती की गुंजाइश काफी कम रह जाती है।

Ankit Tyagi Ankit Tyagi
Updated on: September 15, 2016 7:29 IST
प्रॉपर्टी बुक करने से पहले ध्यान रखिए ये 10 बातें, भविष्‍य में नहीं होगी कोई परेशानी- India TV Paisa
प्रॉपर्टी बुक करने से पहले ध्यान रखिए ये 10 बातें, भविष्‍य में नहीं होगी कोई परेशानी

नई दिल्‍ली। घर खरीदने से पहले ग्राहकों को कुछ बाते जहन में रखनी चाहिए। प्रॉपर्टी कंसल्टिंग फर्म फिनलेस के निदेशक पवन जसूजा का मानना है कि प्रॉपर्टी बुक करने से पहले अगर ग्राहक इस चेकलिस्ट में लिखे गए बिंदुओं के जवाब खोज लेता है तो गलती की गुंजाइश काफी कम रह जाती है।

1 जमीन की रजिस्ट्री देखें

डेवलपर या बिल्डर से उस जमीन की रजिस्ट्री दिखाने की मांग करें जिसपर वह बिल्डिंग बना रहा है। यह साफ कर लें कि इस जमीन पर किसी तरह का कोई भी विवाद तो नहीं चल रहा है। बैंक केवल उन्ही जमीनों पर लोन देता है जिसपर किसी तरह का कोई विवाद न हो। ऐसे में किसी प्रोजेक्ट के लिए बैंक से लोन का आवेदन ग्राहकों की समस्या का समाधान हो सकता है।

2 प्रोजेक्ट का अप्रूव्ड लेआउट मैप देखें

किसी बिल्डर की के किसी प्रोजेक्ट में कितने टावर, कितने फ्लैट और कितने मंजिल को मंजूरी मिली है यह बात एथोरिटी की ओर से अप्रूव्ड लेआउट मैप देखकर साफ पता चल जाती है। साथ ही इसमें किसी फ्लैट या प्रोजेक्ट में इस्तेमाल होने वाली जगह का स्पष्ट पता चलता है। ये चीजें कंपनी के ब्रॉशर में साफ नहीं हो पाती हैं।

3 लोकेशन और वास्तविक फ्लैट करें विजिट

ब्रॉशर में दिए गए फ्लैट के एरिया पर भरोसा न करके जहां प्रोजेक्ट बन रहा है उस जगह को खुद जाकर विजिट करें। इससे जहां आप एक ओर आपके फ्लैट में इस्तेमाल होने वाले रॉ मैटेरियल को देख पाएंगे, वहीं दूसरी ओर आपको आसपास की लोकेशन जैसे हॉस्पिटल की दूरी, स्कूल, बाजार, रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड जैसी चीजों से अपने घर की दूरी को मापने में मदद मिलेगी। सिर्फ ब्राशर पर यकीन करने से आप गलतफहमी के शिकार हो सकते हैं।

4 बिल्टअप एरिया, सुपर एरिया और कार्पेट एरिया में न हों कनफ्यूज

ग्राहक कई बार फ्लैट में लिखे सुपर एरिया को अपने फ्लैट का साइज मानकर फ्लैट की बुकिंग कर देते हैं। जबकि असल फ्लैट इससे काफी कम होता है। ऐसे में ग्राहकों को बिल्टअप, सुपर और कार्पेट एरिया का गणित भलिभांति समझ लेना चाहिए। कारपेट एरिया उस एरिया को कहते है जिस पर आप कारपेट बिछा सकें। इस एरिया में फ्लैट की दीवारें शामिल नहीं होती हैं। यह फ्लैट का अंदर का खाली स्थान होता है। बिल्टअप एरिया में फ्लैट की दीवारों को लेकर मापा जाता है, यानि इसमें कारपेट एरिया के साथ ही साथ पिलर, दीवारों और बालकनी की जगह शामिल होती है।

वहीं सुपर एरिया उस एरिया को कहते हैं, जिसमें उस प्रोजेक्ट के अंदर कॉमन यूज की चीजें को शामिल किया जाता है जैसे जेनरेटर रूम, पार्क, जिम, स्वीमिंग पूल, लॉबी, टेनिस कोर्ट आदि। सभी बिल्डर्स फ्लैट को सुपर एरिया के आधार पर बेचते हैं।

5 पजेशन टाइम का रखें ध्यान

कई बिल्डर्स और डेवलपर प्रोजेक्ट के पजेशन टाइम में 6 महीने का ग्रेस पीरियड भी जोड़ देते हैं। ऐसे में किसी भी ग्राहक का पजेशन टाइम दो साल न होकर 30 महीने हो जाता है। पजेशन डेट से 6 महीने देरी से पजेशन देने के बाद डेवलपर्स इसको लेट प्रोजेक्ट की श्रेणी में नहीं डालते हैं। ऐसे में ग्राहक बिल्डर या डेवलपर्स से लेट पजेशन की पेनल्टी भी चार्ज नहीं कर पाते हैं।

6 पेनल्टी क्लॉज को ध्यान से पढ़े

तय समय तक प्रोजेक्ट पर पजेशन न दे पाने पर डेवलपर्स ग्राहकों को पेनल्टी देने का प्रावधान रखते हैं। कई डेवलपर्स पजेशन तक ग्राहकों की ओर से भुगतान की जाने वाली किसी एक भी किश्त में देरी होने पर पनेल्टी न देने की शर्त रखते हैं। पूरे 2 साल के दौरान ग्राहकों के पास कई बार डिमांड ऑर्डर आते हैं। अगर ग्राहक किसी एक भी पेमेंट डेट से चूक जाता है तो डेवलपर्स पेनल्टी देने में आनाकानी करते हैं।

7 पेमेंट स्कीम ध्यान से समझें

डेवलपर्स की ओर से बड़े-बड़े ब्रॉण्ड एंबेसडर ईजी पेमेंट प्लान के जरिए ग्राहकों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें 10% बुकिंग अमाउंट बाकी पजेशन पर, 12/24/42 महीनों के लिए ब्‍याज छूट, 20:80 स्‍कीम (बिना बैंक फंडिंग के), 20:80’ / ‘10:90’ / ‘8:92’ / ‘5:95’ जैसी स्‍कीमें काफी लोकप्रिय हैं। इन सभी स्कीमों की अपनी अपनी खासियतें होती है। फ्लैट के बुकिंग रेट और प्रोजेक्ट की कीमत पर भी इसका काफी असर पड़ता है। ऐसे में ग्राहक को प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इन सभी की बारीकियों को सही से समझकर अपने लिए उचित पेमेंट स्कीम का चुनाव करना चाहिए।

8 हिडन चार्जेज का रखें ख्याल

बुकिंग के समय पर कई तरह के चार्जेज का जिक्र बुकिंग एजेंट की ओर से नहीं किया जाता है। हिडन चार्जेज में पार्किंग चार्ज, सोसाइटी चार्ज, पावर बैक-अप जैसे चार्जेज को शामिल किया जाता है। इन सभी चार्जेज के बारे में बुकिंग के समय पर ही डेवलपर से समझ लें।

9 डेवलपर की पिछली हिस्ट्री –

जिस डेवलपर या बिल्डर के साथ आप अपना फ्लैट बुक करने जा रहे हैं उसकी ओर से पहले डिलिवर किए जा चुके प्रोजेक्ट जरुर देखें। इससे आपको कंस्टक्शन क्वालिटी, समय से पजेशन देना, बिल्डर की परफॉर्मेंस जैसी चीजों को समझने में मदद मिलेगी।

10 एक्सक्लेशन फ्री हों फ्लैट के रेट

कई बार डेवलपर प्रोजेक्ट पर एक्सक्लेशन चार्जेज लगा देते हैं। जैसे सीमेंट, सरिया आदि कच्चे माल के दाम बढ़ने पर डेवलपर ग्राहकों के लिए फ्लैट की कीमत को बढ़ा देते हैं। ऐसे में ग्राहकों को बुकिंग के समय यह साफ कर लेना चाहिए कि फ्लैट पर किसी तरह के एक्सक्लेशन चार्जेज तो नहीं हैं।

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