Monday, July 14, 2025
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Jagannath Ratha Yatra 2025: आग पर रखते हैं एक के ऊपर एक पात्र, फिर भी पकता सबसे ऊपर की हांडी का चावल; विज्ञान भी है इस रहस्यमयी तरीके से हैरान

जगन्नाथ पुरी यात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि से आरंभ होती है, इस दौरान बड़ी संख्या में लोग भगवान के धाम पहुंचते हैं और महाप्रसाद ग्रहण करते हैं। जून के आखिरी सप्ताह में यह यात्रा शुरू होने वाली है, इससे पहले आइए जानते हैं महाप्रसाद से जुड़ा रहस्य...

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jun 13, 2025 14:21 IST, Updated : Jun 13, 2025 14:32 IST
Jagannath Ratha Yatra 202
Image Source : INDIA TV Jagannath Ratha Yatra 202

जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा साल 2025 में 26 जून से शुरू हो जाएगी। पंचांग के अनुसार हर वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की  द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभारंभ किया जाता है। 2025 में दोपहर 1 बजकर 27 मिनट पर द्वितीया तिथि शुरू हो जाएगी और इसी समय से रथ यात्रा का शुभारंभ होगा। लाखों की संख्या में जगन्नाथ रथ यात्रा में भक्त शामिल होते हैं और यहां बनने वाले महाप्रसाद का भोग लगाते हैं। आपको बता दें कि यहां जिस रसोई में महाप्रसाद बनता है उसे दुनिया की सबसे बड़ी रसोई माना जाता है। यहां बनने वाले महाप्रसाद से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में आज हम आपको जानकारी देंगे।

रोजाना आते हैं 2 लाख तक श्रद्धालु

उड़ीसा के पुरी जिले में भगवान जगन्नाथ मंदिर में देश-विदेश के लोग श्रद्धाभाव से भगवान के दर्शन करने आते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक, जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान हर दिन मंदिर में 2000 से 2,00,000 के बीच में लोग दर्शन करने आते हैं। इन सभी श्रद्धालुओं को खिचड़ी रुपी महाप्रसाद दिया जाता है, जो तैयार होता है रहस्यमयी तरीके से, इस प्रसाद के तैयार होने के तरीके से विज्ञान भी हैरान और परेशान है।

दुनिया की सबसे बड़ी रसोई

जानकारी दे दें कि जगन्नाथ पुरी मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी रसोई स्थित हैं, जिसमें करीबन 500 रसोइए और 300 के करीब सहयोगी काम करते हैं। यह सभी मिलकर भगवान के लिए 56 भोग बनाते हैं।

क्या है भगवान जगन्नाथ का मुख्य प्रसाद?

जानकारी दे दें कि भगवान जगन्नाथ का मंदिर हजारों वर्ष पुराना है। यह हजारों वर्षों से भगवान को मुख्य प्रसाद के रूप में भात का भोग लगाया जाता है। इसे आम बोलचाल में चावल की खिचड़ी भी कहा जाता है। इस प्रसाद के बारे में एक प्रचलित वाक्य है जो ग्रहण के दौरान बोले जाते हैं- 'जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ' यानी कि भगवान को चढ़ाया यह भात भक्तों के लिए बेहद खास है। इस प्रसाद को पाने के लिए लोग लंबी-लंबी लाइन में घंटों खड़े रहते हैं। Jagannath Ratha Yatra 2025

Image Source : FILE PHOTO
महाप्रसाद

रहस्यमयी तरीके से बनता है यह भात

भगवान जगन्नाथ का यह महाप्रसाद किसी धातु के बर्तनों में नहीं बनता बल्कि इसे पकाने के लिए 7 मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है, इन्हें आग पर एक के ऊपर एक रखा जाता है। सबसे ज्यादा रहस्यमयी और हैरानी की बात यह है कि आग पर रखी हुई आखिरी हांडी जिसे सामान्यत: पहले पकना चाहिए वह सबसे बाद में पकती है और जिस पात्र का अनाज कच्चा रह जाना चाहिए वह पहले पकता है। आसान भाषा में समझाएं तो आग पर रखे 7 मिट्टी के हांडी में से सबसे ऊपर वाली हांडी का चावल पहले पकता है और उसके बाद दूसरा और फिर तीसरा... ऐसे ही आग पर रखी हांडी का चावल सबसे अंत में पक कर तैयार होता है। इसे ही भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद कहा जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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