Thursday, May 02, 2024
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Mahavir Jayanti 2024: भगवान महावीर के प्रमुख सिद्धांत क्या हैं, बहुत कम लोग जानते हैं इसके बारे में

Mahavir Jayanti 2024: भगवान महावीर ने अपने जीवन काल में जो शिक्षाएं दीं वो आज भी प्रासंगिक हैं। साल 2024 में महावीर जयंती कब हैं और उनके कौन से सिद्धांत हमारे जीवन में अच्छे बदलाव ला सकते हैं, आइए जानते हैं।

Naveen Khantwal Written By: Naveen Khantwal
Updated on: April 19, 2024 17:46 IST
Mahavir Jayanti 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Mahavir Jayanti 2024

महावीर जयंती 2024 में 21 अप्रैल को है। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हुआ था। हर साल इसी तिथि को महावीर जयंती मनाई जाती है। भगवान महावीर ने अपने जीवनकाल में कई ऐसी शिक्षाएं दी हैं जो आज भी प्रासंगिक हैं। इनकी प्रमुख शिक्षाओं और सिद्धांतों के बारे में आज हम विस्तार से जानेंगे। 

भगवान महावीर के प्रमुख सिद्धांत 

भगवान महावीर के प्रमुख सिद्धांतों में अहिंसा, सत्य, अस्तेयस, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह हैं। अहिंसा यानि हर स्थिति में किसी पर भी हिंसा न करना। सत्य यानि किसी भी स्थिति में झूठ का साथ न देना, सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ना। अस्तेय यानि संयम से रहना। ब्रह्मचर्य यानि भोग-विलास से दूरी बनाना और इंद्रियों को अपने वश में रखना। अपरिग्रह यानि भोग से जुड़ी वस्तुओं का त्याग करना। उनके इन सिद्धांतों के बारे में कई लोग जानते हैं, लेकिन इन सिद्धांतों के अलावा भी भगवान महावीर ने कई और शिक्षाएं दी हैं, इनमें से कुछ नीचे दी गयी हैं। 

भगवान महावीर के ये सिद्धांत हैं बेहद खास

भगवान महावीर की कुछ अन्य शिक्षाएं भी हैं जिनको अपनाकर अच्छे बदलाव जीवन में लाए जा सकते हैं। 

अप्पाणमेव जुज्झाहि, किं ते जुज्झेण बज्जझयो।

अप्पाणमेव अप्पाणं, जइत्ता, सुहमेह ए।।

अर्थ- भगवान महावीर ने कहा है कि, हमें अपनी आत्मा के साथ ही युद्ध करना चाहिए। बाहरी शत्रुओं के साथ लड़कर क्या होगा? आत्मा द्वारा आत्मा को जीतने से ही सत्य सुख की प्राप्ति होती है। 

अप्पा कत्ता विकत्ता य, दुक्खाण य सुहाणय।
अप्पा मित्तममित्तं च, दुप्पट्ठिय सुपट्ठिओ।।

अर्थ- आत्मा खुद दुख और सुख को जन्म देती और नाश भी करती है। जो आत्मा सत्यमार्ग पर चलती है वो मित्र की तरह है और जो कुमार्ग पर चलती है वो शत्रु की तरह। 

धम्मो शुद्धस्स चिट्टई। 

अर्थ- धर्म शुद्धात्मा, शुद्ध मन में ही निवास करता है। इसलिए जो भी व्यक्ति धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहता है उसको सबसे पहले अपने मन में शुद्धता लानी चाहिए। 

खणं जाणाहि पंडिए।

अर्थ- जो क्षण यानि हर पल के महत्व को जानता है, हर पल को लेकर जो जागरुक है वो जीवन में सफलता के मार्ग पर अग्रसर होता है। यानि इन शब्दों के जरिये महावीर जी हमें एकाग्रता के महत्व को समझा रहे हैं। 

आज भी अगर कोई व्यक्ति भगवान महावीर की इन शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाएं तो क्रांति घटित हो सकती है। जीवन का अर्थ हमें समझ में आ सकता है। महावीर जयंती के शुभ अवसर पर हर किसी को इन सिद्धांतों पर आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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