
हमारी भारतीय संस्कृति इस जगत की सबसे महान संस्कृतियों में से एक है, जिसमें प्रेम और वात्सल्य की अपनी खास जगह है। प्रेम जो अपने आप मे एक महान शब्द है, जिसमें समर्पण की भावना है, विश्वास की भावना है, जो श्री राधा – कृष्ण की प्रेम लीला से प्रेरित है। श्री राधा और भगवान श्री कृष्ण की लीला सदियों से हम भारतीयों को प्रेरणा देती आई है। लेकिन आज के समय में प्रेम की परिभाषा थोड़ी बदली बदली नजर आती है। आज के रिश्तों में प्रेम, विश्वास और समर्पण की कमी देखने को मिलती है। रिश्तों की डोर और कमजोर होती नजर आती है। लोग अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को पूरा करने में इतने व्यस्त हैं, कि उनके पास अपने रिश्तों के लिए समय ही नहीं है। सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी के विकास ने भी रिश्तों को प्रभावित किया है। लोग अब आमने-सामने बात करने के बजाय ऑनलाइन चैट करना पसंद करते हैं।
राधा-कृष्ण का निस्वार्थ प्रेम
वर्तमान में प्रेम बंधन पीड़ी दर पीड़ी बदलता नजर आ रहा है। जिस पर हमारी आधुनिक कथाएं, कविताएं और फिल्मों का प्रभाव ज्यादा नजर आता है। एक शुद्ध प्रेम हमेशा विश्वास से बंधा होता है, जिसमे निस्वार्थता की भावना होती है लेकिन आज वह प्रेम एक अविश्वास का धनी हो गया है। कलियुग में लोग स्वार्थ के हेतु रिश्ते बना रहे हैं। जिसे निभाने के लिए वह बहुत सारे झूठ और अविश्वास का सहारा लेते है, जिस कारण वह और ज्यादा तनाव का सामना करते है। श्रीकृष्ण चरित मानस के अनुसार श्री राधा और भगवान श्री कृष्ण की लीला प्रेम, विश्वास और समर्पण का अभूतपूर्व प्रतीक है। हालांकि आज के रिश्तों में पश्चिमी संस्कृति का ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है। यहां हमें यह जानना जरूरी है की उनकी संस्कृति और हमारी संस्कृति मे बहुत सारे भेद है; उनके भावों और हमारे भावों मे बहुत सारी भिन्नता है।
राधा-कृष्ण के प्रेम से लें ये सीख
- डॉ. कृष्ण किंकर जी महाराज के मुताबिक हमें राधा-कृष्ण के प्रेम से यह सीखना चाहिए कि, रिश्तों में प्रेम, विश्वास और समर्पण का होना बहुत जरूरी है। हमें अपने रिश्तों के लिए समय निकालना चाहिए और साथी के साथ खुलकर बातें करनी चाहिए। आज के रिश्तों की चुनौतियों का समाधान श्री राधा-कृष्ण के प्रेम में छिपा है। हमें उनके प्रेम से प्रेरणा लेकर अपने रिश्तों को मजबूत बनाना चाहिए।
- हमारा प्रेम एक आईने की तरह साफ होना चाहिए। श्री राधा-कृष्ण की भांति हमें एक दूसरे पर विश्वास करना चाहिए और एक दूसरे के प्रति समर्पित रहना चाहिए। हमें सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी का उपयोग भी रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए करना चाहिए, न की रिश्ते में दरार पैदा करने के लिए।
- राधा-कृष्ण का प्रेम हमें सिखाता है कि सच्चा प्रेम निःस्वार्थ होता है और यह हर मुश्किल का सामना कर सकता है। हमें अपने रिश्तों को इस तरह से निभाना चाहिए कि, वे राधा-कृष्ण के प्रेम की तरह जगत में अमर हो जाएं।
- राधा-कृष्ण का प्रेम हमें सिखाता है कि शरीर और वासना से ऊपर उठकर हमें अपने साथ में एक ईश्वर का ही स्वरूप देखना चाहिए। छल-कपट और द्वेष कभी भी अपने साथी के प्रति नहीं लाना चाहिए। साथ ही राधा-कृष्ण का प्रेम हमें यह सीख भी देता है कि केवल मिलन ही नहीं जुदाई भी प्रेम का ही प्रतीक है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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