Tuesday, March 19, 2024
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सचिन तेंदुलकर को 2011 वर्ल्ड कप के लिए मिला लॉरियस स्पोर्टिंग मोमेंट अवॉर्ड

सचिन तेंदुलकर को लॉरियस बेस्ट स्पोर्टिंग मोमेंट के अवॉर्ड से नवाजा गया है। सचिन को ये अवॉर्ड 2011 वर्ल्ड कप जीत के दौरान उस क्षण के लिए मिला है जिसमें टीम के साथी उन्हें अपने कंधों पर उठाए हुए हैं।

India TV Sports Desk Written by: India TV Sports Desk
Updated on: February 18, 2020 16:14 IST
सचिन तेंदुलकर को 2011...- India TV Hindi
Image Source : GETTY IMAGES सचिन तेंदुलकर को 2011 वर्ल्ड कप के लिए मिला लॉरियस स्पोर्टिंग मोमेंट अवॉर्ड

सचिन तेंदुलकर को लॉरियस बेस्ट स्पोर्टिंग मोमेंट के अवॉर्ड से नवाजा गया है। सचिन को ये अवॉर्ड 2011 वर्ल्ड कप जीत के दौरान उस क्षण के लिए मिला है जिसमें टीम के साथी खिलाड़ियों ने उन्हें अपने कंधों पर उठाया था। तेंदुलकर को लॉरियस अवॉर्ड जिताने में भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों की अहम भूमिका रही जिनकी वजह से उन्हें सबसे अधिक वोट मिले।

बता दें कि महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने 2011 में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए फाइनल में श्रीलंका को 6 विकेट से हराकर 28 साल बाद वर्ल्ड कप का खिताब जीता था। वर्ल्ड कप जीतने के बाद सचिन को भारतीय टीम ने कंधे पर उठाकर स्टेडियम का चक्कर लगाया था। इसी शामदार लम्हे को बीते 20 साल में खेलों का सबसे शानदार लम्हा चुना गया। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने टेनिस के दिग्गज खिलाड़ी बोरिस बेकर द्वारा शानदार समारोह में विजेता की घोषणा करने के बाद तेंदुलकर को ट्रॉफी सौंपी।

तेंदुलकर ने अवॉर्ड जीतने के बाद कहा, "यह अविश्वसनीय है। विश्व कप जीतने की भावना को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। कितनी बार ऐसा होता है कि किसी टूर्नामेंट में अलग-अलग तरह के विचार निकल कर सामने आते हैं। बहुत कम होता है कि पूरा देश एक साथ मिलकर जश्न मनाए।" उन्होंने आगे कहा, "यह बताता है कि खेल कितनी बड़ी ताकत है और ये हमारी जिंदगी पर क्या जादू करता है। अभी भी जब मैं उस पल को देखता हूं तो यह मेरे साथ ही रहता है।"

तेंदुलकर ने आगे कहा, ‘‘ मेरी यात्रा (क्रिकेट) की शुरुआत तब हुई थी जब मैं 10 साल का था। भारत ने विश्व कप जीता था। मुझे उस समय उसके महत्व के बारे में पता नहीं था। चूंकि हर कोई जश्न मना रहा था तो मैं भी उस में शामिल हो गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन कहीं न कहीं मुझे पता था कि देश के लिए कुछ अच्छा हुआ है और मैं भी एक दिन इसका अनुभव करना चाहता था। और यहीं से मेरा सफर शुरू हुआ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विश्व कप जीतना मेरी जिंदगी का सबसे गौरवान्वित करने वाला पल था। मैंने 22 साल तक इसका पीछा किया लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारा। मैं सिर्फ अपने देश की तरफ से ट्रॉफी उठा रहा था।’’ 

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