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20 साल तक दिया झांसा, अदालत ने घोषित किया था मृत, अब CBI ने किया गिरफ्तार

भारतीय स्टेट बैंक से धोखाधड़ी के बाद फरार चल रहे और बाद में अदालत द्वारा मृत घोषित कर दिए गए शख्स को सीबीआई ने 20 साल की कड़ी मेहनत के बाद गिरफ्तार कर लिया।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Aug 06, 2024 23:44 IST, Updated : Aug 06, 2024 23:44 IST
SBI Fraud Case, 2004 SBI fraud case,CBI probe in SBI fraud case- India TV Hindi
Image Source : PEXELS REPRESENTATIONAL CBI ने 20 साल के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर ही लिया।

हैदराबाद: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में 20 साल से फरार घोषित अपराधी वी. चलपति राव को गिरफ्तार किया है। हैरानी की बात यह है कि हैदराबाद की एक अदालत ने कुछ साल पहले राव को मृत करार दे दिया था। CBI ने सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि वी. चलपति राव ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी पहचान और जगह बार-बार बदली। मई 2002 में CBI ने आरोपी के खिलाफ बैंक के साथ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 50 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में मामला दर्ज किया था।

2004 से ही लापता चल रहा था आरोपी

घटना के समय राव हैदराबाद में भारतीय स्टेट बैंक की चंदूलाल बिरादरी शाखा में कम्प्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम कर रहा था। CBI ने 31 दिसंबर 2004 में दो आरोपपत्र दाखिल किए थे। आरोपी 2004 से लापता था। धोखाधड़ी मामले में उसकी पत्नी भी आरोपी है। उसने हैदराबाद पुलिस में एक शिकायत दर्ज करायी थी। उसने राव के कथित तौर पर लापता होने के 7 साल बाद उसे मृत घोषित करने के लिए दीवानी अदालत का भी रुख किया था। इसके बाद हैदराबाद की एक दीवानी अदालत ने उसे मृत घोषित करने का आदेश दिया था।

2007 में बदल लिया नाम, की दूसरी शादी

आरोपी बार-बार अपनी जगह, मोबाइल नंबर और पहचान बदलता रहा। हालांकि, CBI भी उसके पीछे लगी रही और आखिरकार उसे तमिलनाडु के एक गांव से दबोच लिया गया। CBI द्वारा जुटायी सूचना के अनुसार, आरोपी सलेम भाग गया था। वहां उसने एम. विनीत कुमार बनकर 2007 में एक महिला से शादी कर ली और आधार नंबर भी हासिल कर लिया। CBI को उसकी दूसरी पत्नी के जरिए पता चला कि वह अपनी पहली पत्नी से हुए बेटे के संपर्क में था। हालांकि, 2014 में वह बिना बताए सलेम छोड़कर चला गया।

रुद्रपुर में आरोपी ने एक स्कूल में काम किया

सलेम से आरोपी भोपाल पहुंचा जहां उसने ‘लोन रिकवरी एजेंट’ के तौर पर काम किया और फिर वह उत्तराखंड के रुद्रपुर चला गया। रुद्रपुर में आरोपी ने एक विद्यालय में काम किया। जब CBI की टीम रुद्रपुर पहुंची तो पता चला कि वह 2016 में फरार हो गया था और औरंगाबाद के वेरुल गांव में एक आश्रम में चला गया। आश्रम में उसका नाम स्वामी विधितात्मानंद तीर्थ था और वहां भी उसने आधार कार्ड बनवा लिया था। दिसंबर 2021 में उसने आश्रम से करीब 70 लाख रुपये की धोखाधड़ी की और वहां से चला गया।

10 बार बदला था अपना मोबाइल नंबर

आश्रम से निकलने के बाद वह राजस्थान गया और इस साल 8 जुलाई तक वहां रहा। भरतपुर से वह तिरुनलवेली चला गया। इस दौरान उसने करीब 10 बार अपना मोबाइल नंबर बदला और उसकी समुद्र मार्ग से श्रीलंका भागने की योजना था। आखिरकार उसे 4 अगस्त को तिरुनेलवेली के नरसिंगानल्लूर गांव से गिरफ्तार कर लिया गया जहां वह छिपा हुआ था। उसे एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया है जहां उसे 16 अगस्त तक रिमांड पर भेज दिया गया।

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