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मुख्तार अंसारी की क्रूरता की गाथा! कृष्णानंद राय हत्याकांड का वो काला दिन, जब 500 गोलियों की तड़तड़ाहट से कांप उठा पूर्वांचल

वैसे तो मुख्तार अंसारी के खिलाफ कई आपराधिक मुकदमें दर्ज थे, लेकिन मुख्तार की क्रुरता की कहानियां भी कम नहीं थीं। इनमें से सबसे क्रूर घटना कृष्णानंद राय की हत्या का है। साल 2005 में कृष्णानंद राय के काफिले पर 500 गोलियां बरसाई गई थीं, जिसके बाद से मुख्तार का नाम अपराध की दुनिया में सबसे ऊपर रखा जाने लगा था।

Written By: Amar Deep
Published : Mar 29, 2024 16:36 IST, Updated : Mar 29, 2024 16:36 IST
कृष्णानंद राय और मुख्तार अंसारी।- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL MEDIA कृष्णानंद राय और मुख्तार अंसारी।

पूर्वांचल में अपराध का दूसरा नाम कहे जाने वाले मुख्तार अंसारी की गुरुवार की रात कार्डियक अरेस्ट की वजह से मौत हो गई। माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पूरे उत्तर प्रदेश को हाई अलर्ट पर रखा गया है। इसकी बड़ी वजह ये भी है कि कभी मुख्तार के एक इशारे पर शहर में दंगे हो जाया करते थे। उस समय मुख्तार का ना सिर्फ अपराध की दुनिया में बोलबाला था, बल्कि उसे राजनीति में भी उसके नाम की तूती बोलती थी। यही वजह थी कि यदि पूर्वांचल में कोई पत्ता भी हिलता तो उसे मुख्तार की परमिशन लेनी पड़ती थी। वो मुख्तार अंसारी ही था जिसने कृष्णानंद राय से अपनी राजनीतिक दुश्मनी साधने के लिए उनके काफिले पर 500 गोलियों की बौछार करा दी। आज हम इसी कृष्णानंद राय हत्याकांड के बारे में बात करने वाले हैं।

चुनाव में हार से शुरू हुई दुश्मनी 

दरअसल, ये घटना साल 2005 की है, लेकिन इस कहानी की शुरुआत 2002 से ही हो गई थी। साल 2002 के विधानसभा चुनाव में अंसारी परिवार के वर्चस्व वाली गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर कृष्णानंद राय ने जीत हासिल कर ली थी। लेकिन राजनीति में मिली ये हार अंसारी बंधुओं को इतनी खली कि उन्होंने इसे अपनी जाती दुश्मनी बना ली। मन में बसी इस कसक को दूर करने का दिन तब आया जब कृष्णानंद राय एक क्रिकेट प्रतियोगिता का उद्घाटन करके वापस लौट रहे थे। इसी बीच मुख्तार गैंग के लोगों ने रास्ते में ही कृष्णानंद राय के काफिले पर गोलियों की बरसात कर दी। अपराधियों ने जब गोलियां चलानी शुरू की तो फिर उन्होंने फायरिंग के राउंड नहीं गिने। बताया जाता है कि उस दिन कृष्णानंद राय के काफिले पर 500 राउंड गोलियां चलाई गई थीं। इस पूरी घटना में 7 लोगों की मौत हो गई थी।

सात लोगों के शरीर हुए छलनी

फायरिंग किस कदर हुई इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मरने वाले 7 लोगों के शरीर से ही 67 गोलियां बरामद की गईं। सभी सातों लोगों के शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया गया था। हत्या की इस घटना को इस तरह से अंजाम दिया गया कि लोगों के जहन में मुख्तार के नाम का खौफ बैठ गया। हालांकि 2006 में कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की याचिका पर हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया। बाद में 3 जुलाई 2019 को दिल्ली की सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और मुख्तार अंसारी सहित सभी 8 आरोपियों को बरी कर दिया।

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