Friday, April 26, 2024
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Russia Ukraine War: विनाशकारी युद्ध के बाद यूक्रेन को एक बार फिर से खड़ा करने आगे क्यों आएंगी अंतरराष्ट्रीय शक्तियां

Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दोनों देशों को आर्थिक तौर पर बहुत नुकसान हुआ है। एक तरफ IMF के अनुसार ऐसा कहा गया है कि युद्ध के बाद यूक्रेन की GDP में 35% तक कमी आ सकती है तो वहीं लगातार जारी युद्ध से रूस को भी आर्थिक रूप से बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है।

Pankaj Yadav Written By: Pankaj Yadav
Updated on: August 03, 2022 16:55 IST
Russia-Ukraine War- India TV Hindi
Russia-Ukraine War

Highlights

  • यूक्रेन को आर्थिक रूप से तोड़ चुका है युद्ध
  • युद्ध के बाद यूक्रेन की GDP में 35% की कमी
  • यूक्रेन की मदद के लिए अमेरिका और यूरोपीयन यूनियन आगे आए

Russia Ukraine War: रूस के आक्रमण के बाद यूक्रेन पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है। पैसों की इतनी किल्लत है कि देश जैसे-तैसे अपनी जूरूरत पूरी कर पा रहा है। यूक्रेन पर पहले से ही लदा कर्ज उतर नहीं रहा था और IMF के अनुसार युद्ध के बाद यूक्रेन की GDP में 35% की कमी आ सकती है। देश के अंतरराष्ट्रीय अनाज निर्यात को गंभीर रूप से बाधित किया गया है, हाल ही में निर्यात को फिर से शुरू करने संबंधी करार के बाद इसके कुछ मौजूदा स्टॉक को निर्यात किए जाने की संभावना है। 

हालत इतनी खराब हो सकती है कि यूक्रेन अपने कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे पाएगा

Russia-Ukraine War

Image Source : AP
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देश ने पिछले साल 27.8 अरब अमेरिकी डॉलर के कृषि उत्पाद अन्य देशों को भेजे थे, जो इसके कुल निर्यात का 41% है। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि देश का सार्वजनिक वित्त संकट में है। यूक्रेन के वित्त मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि उसका सार्वजनिक क्षेत्र का घाटा मार्च 2022 में दो अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर मई तक सात अरब डॉलर तक हो गया है। यदि यूक्रेन के पास धन की कमी हो जाती है तो यह न केवल युद्ध के प्रयासों को प्रभावित करेगा, बल्कि अन्य महत्वपूर्ण कर्मचारियों के साथ नर्सों, शिक्षकों और पुलिस अधिकारियों को वेतन देने में असमर्थ हो सकता है। यूक्रेन के लोगों के लिए इसके नकारात्मक प्रभाव अलग-अलग होंगे, महत्वपूर्ण सेवाओं के टूटने से लेकर घरों में बिलों का भुगतान करने और भोजन खरीदने में असमर्थता तक। यह निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है, लेकिन हालात उतने विनाशकारी नहीं है जितना कुछ लोग सोच सकते हैं। 

यूक्रेन की मदद को आगे आए अमेरिका और यूरोपीयन संघ

यूक्रेन को पहले से ही सहयोगियों से धन प्राप्त हो चुका है, और अधिक देने के वादे के साथ। उदाहरण के लिए, अमेरिका ने बाइडेन प्रशासन की शुरुआत के बाद से यूक्रेन को सुरक्षा सहायता में लगभग 5.3 अरब अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें ‘‘रूस के अकारण आक्रमण’’ के दौरान लगभग 4.6 अरब अमेरिकी डॉलर शामिल हैं। यह यूक्रेन को मिली एकमात्र मदद नहीं है। जी7 और ईयू ने यूक्रेन के लिए 29.6 अरब अमेरिकी डॉलर की आधिकारिक वित्तीय प्रतिबद्धताओं की घोषणा की है। यूरोपीय संघ के नेताओं ने पिछले €1.2 अरब के आपातकालीन ऋण के अलावा नौ अरब तक के अतिरिक्त वित्तीस समर्थन का भी वादा किया है।

अंतरराष्ट्रीय साझेदारों का यह पैसा यूक्रेन को राहत प्रदान करेगा। हालांकि इस ऋण पर ब्याज का भुगतान करना और इसके आगामी बिलों का प्रबंधन करना यूक्रेन के लिए तत्काल समस्या नहीं होगी, हालांकि यह एक चिंता का विषय तो होगा। एक अधिक दबाव वाली चुनौती इसके बकाया ऋणों और बांडों को चुकाना होगा। कम पैसे आने से यूक्रेन के लिए इन दायित्वों को पूरा करना मुश्किल होगा। दरअसल, देश ने पहले ही इस महीने की शुरुआत में लगभग 20 अरब अमेरिकी डॉलर के कर्ज को फ्रीज करने की अनुमति मांगी थी। इस अनुरोध को तुरंत पश्चिमी सरकारों, विशेषकर जर्मनी द्वारा अनुमोदित कर दिया गया था। 

लगातार जारी युद्ध से यूक्रेन के साथ रूस की भी हालत कमजोर

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Image Source : AP
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यूक्रेनी अर्थव्यवस्था के लिए अभी एक और चुनौती युद्ध की निरंतरता है - निश्चित रूप से लोगों पर चल रहे युद्ध के नकारात्मक प्रभाव के कारण ही नहीं, बल्कि वित्तीय परिणामों के कारण भी है। एक लंबा युद्ध केवल देश की अर्थव्यवस्था के लिए और अधिक अनिश्चितता लाएगा। यूक्रेन के प्रमुख शहर रूसी मिसाइलों की चपेट में आ रहे हैं और रेलवे और बंदरगाहों सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर लगातार हमले हो रहे हैं। इसके आसपास की अल्पकालिक चिंताओं के अलावा, यह इस समय देश में निवेश करने के लिए बहुत कम वजह छोड़ता है, यूक्रेन के आर्थिक दृष्टिकोण के लिए यह एक और दीर्घकालिक चुनौती है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि, यूक्रेन के लिए आर्थिक स्थिति जितनी खराब है, रूसी अर्थव्यवस्था भी पीड़ित है, जो युद्ध की लंबाई और परिणाम को प्रभावित कर सकती है। 

रिपोर्ट है कि रूस ने प्रतिबंधों का सामना किया है और इनका उसकी अर्थव्यवस्था पर असर भी पड़ा है। शायद यही वजह है कि रूस ने अब प्रमुख आर्थिक संकेतकों पर डेटा जारी नहीं करने का फैसला किया है। जेफरी सोनेनफेल्ड और येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के सहयोगियों द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है कि प्रतिबंधों के चलते रूस ने अपने सकल घरेलू उत्पाद के 40% का प्रतिनिधित्व करने वाली कंपनियों को खो दिया है, लगभग तीन दशकों के विदेशी निवेश को गंवा दिया है। युद्ध की शुरुआत के बाद से उसे अनुमानित 75 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है। 

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