Friday, April 19, 2024
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चीनी सरकार के बड़े विरोधी नोबेल पुरस्कार विजेता लियू शियाओबो का निधन

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और चीन सरकार के मुखर विरोधी लियू शियाओबो का गुरुवार को 61 साल की उम्र में निधन हो गया।

Vineet Kumar Singh Edited by: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published on: July 13, 2017 21:06 IST
Liu Xiaobo | AP Photo- India TV Hindi
Liu Xiaobo | AP Photo

शेनयांग: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और चीन सरकार के मुखर विरोधी लियू शियाओबो का गुरुवार को 61 साल की उम्र में निधन हो गया। जीवन के आखिरी पल तक वह हिरासत में थे और चीन सरकार ने उनको रिहा करने और विदेश जाने देने के अंतरराष्ट्रीय आग्रह की उपेक्षा की थी। लोकतंत्र के प्रबल समर्थक शियाओबो कैंसर से जूझा रहे थे और एक महीने पहले उनको कारागार से अस्पताल में स्थानांतरित किया गया था। शेनयांग शहर के विधि ब्यूरो ने उनके निधन की पुष्टि की है। वह इसी शहर के फर्स्ट हॉस्पिटल ऑफ चाइना मेडिकल यूनिवर्सिटी के ICU में भर्ती थे।

इस लेखक के निधन के साथ ही चीन की सरकार की आलोचना करने वाली आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई। वह कई दशकों से चीन में विरोध के प्रतीक बने हुए थे। शियाओबो दूसरे ऐसे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बन गए हैं जिनका हिरासत में निधन हुआ। इससे पहले 1938 में जर्मनी में नाजी शासन के दौरान कार्ल वोनल ओसीत्जकी का निधन एक अस्पताल में हुआ था और वह भी हिरासत में थे। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों, पश्चिम की सरकारों और स्थानीय कार्यकर्तओं ने प्रशासन से आग्रह किया था कि शियाओबो को रिहा किया जाए और उनकी आखिरी इच्छा के मुताबिक इलाज के लिए विदेश जाने की इजाजत दी जाए।

जर्मनी ने शियाओबो को चीन से मानवता का संकेत करार देते हुए उनका इलाज करने की पेशकश की थी। अमेरिका ने भी उनके इलाज की इच्छा जताई थी। चीन के अधिकारियों का कहना था कि शियाओबो को देश के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सकों से इलाज मिल रहा है। पिछले साल मई में शियाओबो के कैंसर की चपेट में आने का पता चला था और इसके बाद मेडिकल पैरोल दे दी गई थी। शियाओबो को 2008 में चार्टर-8 के सह-लेखन की वजह से गिरफ्तार किया गया था। चार्टर-8 एक याचिका थी जिसमें चीन में मौलिक मानवाधिकारों की रक्षा करने और राजनीतिक व्यवस्था में सुधार का आवाह्न किया गया था।

दिसंबर, 2009 में उनको 11 साल की सजा सुनाई गई थी। साल 2010 में उनको शांति का नोबेल मिला। नोबेल पुरस्कार समारोह में उनकी कुर्सी खाली छोड़ दी गई थी। उनको बीजिंग में 1989 में थेनआनमन चौक के प्रदर्शनों में भूमिका के लिए भी जाना जाता है। शियाओबो की पत्नी लियू शिया को साल 2010 में नजरबंद कर दिया गया था लेकिन उन्हें अस्पताल में पति को देखने की इजाजत दी गई थी।

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