Monday, April 29, 2024
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G20 नेताओं के लिए यूक्रेन संकट पर आम सहमति बनाना हुआ चुनौतीपूर्ण, घोषणापत्र जारी करना होता है अनिवार्य

जी-20 सम्मेलन का नई दिल्ली में आज से आगाज हो गया है। मगर इस दौरान यूक्रेन संकट पर आम सहमति बना पाना जी-20 नेताओं के लिए सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। चीन और रूस अन्य देशों के बयानों पर आम सहमति बनाने नहीं दे रहे। अब अध्यक्ष के नाते दुनिया भारत से घोषणापत्र के लिए आम सहमति की उम्मीद लगाए बैठी है।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: September 09, 2023 11:16 IST
G20 सम्मेलन परिसर का एक दृश्य।- India TV Hindi
Image Source : AP G20 सम्मेलन परिसर का एक दृश्य।

नई दिल्ली के भारत मंडपम में दुनिया भर के नेता जी-20 में भाग ले रहे हैं। आज और कल यानि 9,10 सितंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में यूक्रेन संकट का समाधान ढूंढ़ना सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। अभी तक यूक्रेन युद्ध पर आम सहमति से घोषणापत्र जारी नहीं हो सका है। चीन और रूस की असहमति इसके पीछे की प्रमुख वजह है। यूरोपीय देशों की मंशा के अनुरूप रूस और चीन घोषणापत्र जारी नहीं होने देना चाहते। ऐसे में भारत पर अध्यक्ष होते के नाते जी-20 के सभी देशों में सहमति बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। क्योंकि इसके बिन घोषणापत्र जारी नहीं हो सकता और इसका जारी न होना विफलता मानी जाती है। इसलिए दुनिया को भारत पर आखिरी उम्मीद है कि वह इसमें जरूर सफल हो पाएगा।

हालत यह है कि जी20 शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले तक यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं हो पाया है कि नेताओं के घोषणा पत्र में यूक्रेन संकट का जिक्र होगा या नहीं। चीन इस विवादास्पद मुद्दे पर मतभेदों को पाटने में मुख्य बाधा बनकर उभरता दिख रहा है। कई सूत्रों ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि विवादास्पद मुद्दे पर अभी तक कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है, और जी20 शेरपा इसका सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के लिए गहन बातचीत कर रहे हैं। दो सूत्रों ने बताया कि जी7 देश यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ के बिना किसी भी घोषणापत्र पर सहमत नहीं हुए, साथ ही अन्य पेचीदा मुद्दे भी हैं। एक सूत्र ने कहा, “लेकिन हमें उम्मीद है कि वे मान जाएंगे।

ऐसे जारी होता है घोषणापत्र

” जी20 समूह आम सहमति के सिद्धांत के तहत काम करता है और ऐसी आशंका रही है कि आम राय की कमी के कारण शिखर सम्मेलन में कोई संयुक्त बयान जारी न किया जाए। पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान रूस और चीन दोनों ने घोषणापत्र में यूक्रेन संघर्ष पर दो पैराग्राफ शामिल करने पर सहमति जताई थी, लेकिन इस साल वे इससे पीछे हट गए, जिससे भारत के लिए मुश्किलें पैदा हो गईं। इस बीच, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) आम सहमति से घोषणापत्र को अंतिम रूप देने के भारत के प्रयासों का समर्थन करता है, लेकिन यूरोपीय संघ रूस की आक्रामकता के सामने यूक्रेन का समर्थन करने के लिए दृढ़ और एकजुट है। यूक्रेन संकट के कारण नेताओं के घोषणापत्र में रुकावट आने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर मिशेल ने कहा, "मुझे नहीं पता कि यह संभव है या नहीं, अंतिम विज्ञप्ति पर सहमति बनेगी, हम देखेंगे। लेकिन हम अपने सिद्धांतों की रक्षा करेंगे और भारत द्वारा किए गए प्रयासों का भी समर्थन करेंगे।  (भाषा)

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