Friday, May 03, 2024
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जानें अमेरिका कैसे दूसरे देशों पर रखता है नियंत्रण?...रूस ने खोल दी पोल

Russia Attack on US: दूसरे देशों को अपने कब्जे में रखने के लिए अमेरिका क्या-क्या हथकंडे अपनाता है, इस बारे में जान पाना सबके वश की बात नहीं है। अमेरिका के पास ऐसी कई युक्तियां हैं, जिससे वह दूसरे देशों पर नियंत्रण रखने में कामयाब हो ही जाता है। यही वजह है कि दुनिया के अधिकांश देश अमेरिका की कठपुतली बने हैं।

Dharmendra Kumar Mishra Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: December 06, 2022 18:44 IST
जो बाइडन, अमेरिका के राष्ट्रपति- India TV Hindi
Image Source : AP जो बाइडन, अमेरिका के राष्ट्रपति

Russia Attack on US: दूसरे देशों को अपने कब्जे में रखने के लिए अमेरिका क्या-क्या हथकंडे अपनाता है, इस बारे में जान पाना सबके वश की बात नहीं है। अमेरिका के पास ऐसी कई युक्तियां हैं, जिससे वह दूसरे देशों पर नियंत्रण रखने में कामयाब हो ही जाता है। यही वजह है कि दुनिया के अधिकांश देश अमेरिका की कठपुतली बने हैं। विशेषकर पाकिस्तान और दक्षिण कोरिया जैसे देश। यूरोपीय देशों पर अमेरिका अधिक हावी है। यह देश वही करते हैं जो अमेरिका कहता है। साउथ-ईस्ट एशिया क्षेत्र में भी अमेरिकी नियंत्रण कम नहीं है। इसके पीछे अमेरिका की खास चाल और रणनीति है। अब रूस ने अमेरिका की इस चाल की पोल खोल दी है।

रूसी राज्य ड्यूमा के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन ने कहा कि दुनिया को बहु-ध्रुवीय होना चाहिए, लेकिन अमेरिका अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए अन्य देशों के विकास को रोकने का प्रयास करता है। वोलोडिन ने सोमवार को मास्को में आयोजित सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन की संसदीय सभा (सीएसटीओपीए) के 15वें पूर्ण सत्र में कहाकि दूसरे देशों के पारंपरिक मूल्यों, इतिहास, संस्कृति और धर्म को नष्ट करने के प्रयास में अमेरिका जैसे देशों द्वारा संघर्षों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।" अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी अन्य देशों के आंतरिक मामलों में दखल देने और उनकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के आदी हैं। अपनी इसी चाल के जरिये वह दूसरे देशों पर नियंत्रण रखने का प्रयास करते हैं।

आंतरिक मामलों में दखलंदाजी अमेरिका की आदत

रूस के अनुसार किसी देश के आंतरिक मामलों में दखल देना अमेरिका की आदत है। खासकर वह दो देशों के बीच विवादों में अधिक दखल देता है। अमेरिका ऐसा देश है जो अपने फायदे के लिए दूसरे देश में विरोध की आग को भड़काता है। ताकि वह देश को अंदर से कमजोर करके उसे अपने प्रभाव में ले सके। सीएसटीओपीए के अध्यक्ष वोलोडिन ने जोर देकर कहा कि अमेरिका की इस चाल को समझना जरूरी है। उन्होंने कहा कि  वैश्विक चुनौतियों और खतरों के सामने सीएसटीओ सदस्य राज्यों को सूचना सुरक्षा सुनिश्चित करने, आतंकवाद का मुकाबला करने और पारंपरिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए सामान्य समाधान खोजना चाहिए। 1992 में स्थापित सीएसटीओ छह पूर्व सोवियत गणराज्यों को यूरेशिया में शांति और स्थिरता की रक्षा के उद्देश्य से समूहित करता है।

 

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