Thursday, December 12, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. विदेश
  3. एशिया
  4. 11 साल पहले गिरफ्तार कथित भारतीय को निर्वासित नहीं करने पर पाक अदालत ने अपने ही सरकार को फटकारा, जानें मामला

11 साल पहले गिरफ्तार कथित भारतीय को निर्वासित नहीं करने पर पाक अदालत ने अपने ही सरकार को फटकारा, जानें मामला

पाकिस्तान की अदालत ने अपनी सरकार को फटकारने के साथ कहा, "उम्मीद है कि सुनवाई की अगली तारीख पर, गृह मंत्रालय के सचिव मामले के तथ्यों से अच्छी तरह परिचित एक अधिकारी को भेजेंगे या अपीलकर्ता के निर्वासन के संबंध में डीएजी (डिप्टी अटॉर्नी जनरल) के माध्यम से अपनी अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करेंगे।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Mar 16, 2024 18:43 IST, Updated : Mar 16, 2024 18:48 IST
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट।- India TV Hindi
Image Source : AP पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट।

कराची: पाकिस्तान की एक अदालत ने 11 साल पहले गिरफ्तार किए गए एक कथित भारतीय नागरिक को अदालती आदेशों के बावजूद निर्वासित करने में विफल रहने पर गृह मंत्रालय की आलोचना की और चेतावनी दी कि संबंधित सचिव को यह सफाई देने के लिए बुलाया जाएगा कि उनका विभाग ऐसे मामलों में किस तरह काम कर रहा है। शनिवार को ‘डॉन’ समाचार पत्र ने खबर दी है कि सिंध उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मोहम्मद करीम खान आगा की एकल पीठ ने शुक्रवार को गृह मंत्रालय को मामले के तथ्यों से अच्छी तरह वाकिफ एक अधिकारी नियुक्त करने या अगली सुनवाई के दौरान अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

मोबिना टाउन थाने की पुलिस ने 2013 में अबुल हसन इस्पहानी रोड के पास अब्दुल मुगनी नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था और उसपर विदेशी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था। एक सत्र अदालत ने 2017 में उसे छह महीने की जेल की सजा सुनाई थी। अभियुक्त ने अपनी सजा के खिलाफ सिंध उच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर की थी। खबर में कहा गया है कि सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता एक भारतीय नागरिक है, जबकि गृह मंत्रालय प्रयासों की कमी के कारण उसकी राष्ट्रीयता की पुष्टि नहीं कर पाया।

कोर्ट ने कही ये बात

पीठ ने कहा कि चूंकि अपीलकर्ता अपनी सजा काट चुका है, इसलिए जेल अधीक्षक को गृह विभाग के मार्फत उसे वापस उसके देश भेजने का इंतजाम करने का निर्देश दिया गया था। शुक्रवार को मंत्रालय के एक अनुभाग अधिकारी ने कहा कि कुछ प्रक्रियात्मक मुद्दों के कारण उसका निर्वासन नहीं हुआ। न्यायमूर्ति आगा ने अपने आदेश में कह,: “मुझे यह काफी असाधारण लगता है कि सात साल बीत जाने के बाद भी, गृह मंत्रालय यह पुष्टि नहीं कर पाया है कि अपीलकर्ता भारतीय नागरिक है या नहीं। प्रथम दृष्टया इसकी वजह गृह मंत्रालय की ओर से प्रयासों की कमी है।” (भाषा)

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Asia News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement