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जेल में रहते पूर्व पीएम इमरान खान ने पाकिस्तान के इस राज्य में बनवा दी अपनी सरकार, जानें कैसे हुआ संभव

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पीटीआई पार्टी के उम्मीदवारों ने नेशनल असेंबली में 93 सीटों पर जीत दर्ज की है। इमरान के जेल में रहते उनकी पार्टी के निर्दलीय उम्मीदवारों का यह प्रदर्शन बताता है कि यदि वह जेल से बाहर होते तो क्या हो सकता था। पीएम न सही, लेकिन उनकी पार्टी की खैबर पख्तूनख्वा में सरकार बन गई है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Mar 01, 2024 18:31 IST, Updated : Mar 01, 2024 18:31 IST
इमरान खान की तस्वीर के साथ पीटीआई नेता।- India TV Hindi
Image Source : AP इमरान खान की तस्वीर के साथ पीटीआई नेता।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल में रहते हुए खुद न चुनाव लड़ पाए और न ही दोबारा सत्ता में आने और प्रधानमंत्री बनने का उनका सपना पूरा हुआ, लेकिन जेल में रहते उन्होंने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में अपनी सरकार बनवा दी है। ली अमीन गंडापुरा को इमरान की पार्टी की ओर से खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री के तौर पर निर्वाचित किया गया है। जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी से समर्थित उम्मीदवार अली अमीन गंडापुरा शुक्रवार को अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए।

प्रांतीय विधानसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष बाबर सलीम स्वाति ने सदन के सत्र की अध्यक्षता की। वह बृहस्पतिवार को अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। खैबर पख्तूनख्वा की 106 सदस्यीय सदन में खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थित उम्मीदवार गंडापुरा को 90 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के डॉ.इबादुल्लाह खान को केवल 16 मत मिले। गंडापुरा को सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल के सदस्यों का समर्थन प्राप्त था जबकि इबादुल्लाह को पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्लियामेंटेरियंस (पीटीआई-पी) का समर्थन प्राप्त था। पीटीआई-पी खान की पार्टी से अलग हुआ धड़ा है।

नेशनल असेंबली में बहुमत से चूक गए थे इमरान

इमरान खान की पार्टी पीटीआई के उम्मीदवार उनके जेल में रहते हुए और चुनाव चिह्न छिन जाने के बाद निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़े थे। बावजूद उन्होंने 93 सीटों पर जीत दर्ज की। इस चुनाव में इमरान को भागीदार बनने की इजाजत कोर्ट ने नहीं दी थी। इसके बावजूद उनकी पार्टी के उम्मीदवारों ने सबसे ज्यादा सीटें जीती। 

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