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समलैंगिक विवाह को मान्यता देने को लेकर थाइलैंड के सदन ने किया बड़ा फैसला, भारी बहुमत से विधेयक पारित

थाइलैंड की संसद ने देश में समलैंगिक लोगों के विवाह को कानूनी मान्यता देने के लिए भारी बहुमत से विधेयक पारित कर दिया है। 415 सदस्यों वाले निचले सदन में इसके पक्ष में कुल 400 मत पड़े। अब इस विधेयक को उच्च सदन में भेजा जाएगा। निचले सदन में विधेयक पारित होने के बाद समलैंगिकों में जश्न का माहौल है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Mar 27, 2024 15:58 IST, Updated : Mar 27, 2024 15:58 IST
थाईलैंड ने समलैंगिक विवाह को दी मान्यता।- India TV Hindi
Image Source : AP थाईलैंड ने समलैंगिक विवाह को दी मान्यता।

थाइलैंड में समलैंगिक विवाह को लेकर बड़ा फैसला किया गया है। इस मामले में लंबे समय से समलैंगिकों की मांगों पर गौर करते हुए थाइलैंड की संसद के निचले सदन ने बुधवार को एक विवाह समानता विधेयक को भारी बहुमत से पारित कर दिया, जिसमें समलैंगिक विवाह समेत किसी भी लैंगिक पहचान के लोगों के बीच विवाह संबंधों को मान्यता दी गई है। इस विधेयक के पारित होते ही समलैंगिकों में खुशी की लहर दौड़ गई। विधेयक के पारित होने के बाद थाइलैंड के विभिन्न शहरों में समलैंगिकों ने एकत्र होकर सड़कों पर जश्न मनाया।

इस विधेयक के कानून बनने के साथ थाइलैंड किसी भी लैंगिक पहचान वाले जीवनसाथियों के समानता के अधिकार को कानूनी मान्यता देने वाला दक्षिण पूर्व एशिया का पहला देश बन जाएगा। प्रतिनिधि सभा में उपस्थित 415 सदस्यों में से 400 ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया, वहीं 10 लोगों ने इसके खिलाफ मतदान किया। पांच सदस्यों ने मतदान से दूरी बनाई या उसमें भाग नहीं लिया। विधेयक में नागरिक और व्यावसायिक संहिता में संशोधन कर ‘पुरुषों और महिलाओं’ तथा ‘पति और पत्नी’ शब्दों की जगह ‘लोग’ और ‘वैवाहिक जीवनसाथी’ शब्द डाले गए हैं।

एलजीबीटीक्यू प्लस को मिलेंगे सभी अधिकार

यह विधेयक ‘एलजीबीटीक्यू प्लस’ दंपतियों को पूरी तरह कानूनी, वित्तीय और चिकित्सा अधिकार प्रदान करेगा। विधेयक अब सीनेट में जाएगा, जो निचले सदन से पारित होने वाले किसी भी विधेयक को बमुश्किल ही कभी खारिज करता है। इसके बाद विधेयक को थाइलैंड के नरेश की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। इसके कानून बनने के बाद थाइलैंड दक्षिण पूर्व एशिया का पहला और एशिया में ताइवान तथा नेपाल के बाद तीसरा ऐसा देश बन जाएगा, जहां इस तरह का कानून पारित हुआ है। (एपी) 

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