
येरुशलम: इजरायल-ईरान में करीब 8 दिनों से भीषण युद्ध जारी है। दोनों देश एक दूसरे पर फाइटर जेट और मिसाइलों से हमला कर रहे हैं। इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम वैसे तो पूरी दुनिया में मशहूर है। मगर ईरान ने अपने मिसाइल हमलों से इजरायल के कई अहम ठिकानों पर तबाही मचा कर यह साफ कर दिया है कि इजरायल के आयरन डोम उसके सभी मिसाइल हमलों को रोकने में सक्षम नहीं हैं। मगर न्यूययॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इजरायल जानबूझकर ईरान की सभी मिसाइलों को इंटरसेप्ट नहीं कर रहा है। इसके पीछे इजरायल की अपनी सोची-समझी और सीक्रेट रणनीति है।
ईरानी मिसाइलों के आगे कब तक टिकेंगे इजरायली इंटरसेप्टर
जिस तरह से ईरान तेल अवीव समेत उसके अन्य शहरों पर मिसाइलों की बारिश कर रहा है, उससे यह सवाल उठ रहा है कि इजरायली इंटरसेप्टर उसके आगे कब तक टिक पाएंगे। इसी सवाल का जवाब इजरायल-ईरान युद्ध की दिशा तय कर सकता है। इसका जवाब काफी हद तक अमेरिकी हस्तक्षेप की संभावना पर भी टिका है, जो युद्ध की दिशा बदल सकता है। इसके अलावा ईरान के परमाणु कार्यक्रम के भविष्य से परे दो अहम कारक इज़रायल-ईरान युद्ध की अवधि और स्वरूप तय कर सकते हैं। इसमें पहला यह कि इज़रायल का मिसाइल इंटरसेप्टर का भंडार कितना बड़ा है और दूसरा यह कि ईरान की लंबी दूरी की मिसाइलों की संख्या कितनी है?
ईरान के शुरुआती हमलों को इजरायल ने कर दिया था नाकाम
हमास और हिजबुल्ला के समर्थन में सबसे पहले जब ईरान ने इजरायल पर 180 से अधिक मिसाइलों को दागा था तो उनमें से अधिकांश को इजरायल ने सफलतापूर्व रोक दिया था। इसके बाद जब पिछले सप्ताह ईरान ने इज़रायली हमलों के जवाब में पलटवार करना शुरू किया, तब भी इज़रायल की विश्व-प्रसिद्ध रक्षा प्रणाली ने अधिकांश आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को सफलतापूर्वक रोक दिया था। इसने इज़रायली वायु सेना को ईरान पर जवाबी हमले के लिए अधिक समय और सुरक्षा दी। मगर अब ईरान की कई मिसाइलें इजरायल के अहम ठिकानों को टारगेट कर रही हैं। आखिर उन्हें इजरायल क्यों नहीं रोक रहा?...इसके पीछे भी इजरायल की अपनी खास रणनीति है।
इजरायली सुरक्षा एजेंसियों को सता रही कौन सी चिंता
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ईरान के हमलों को रोकने के लिए अब इज़रायल इंटरसेप्टर मिसाइलें बहुत तेज़ी से इस्तेमाल कर रहा है। मगर जो इंटरसेप्टर मिसाइलें दुश्मन के हमलों को नाकाम करने में खत्म हो जा रही हैं, अब इजरायल को उनकी भरपाई करना मुश्किल लग रहा है। इससे इजरायल की सुरक्षा एजेंसियों के बीच चिंता बढ़ गई है कि कहीं ऐसा न हो कि ईरान की मिसाइलें खत्म होने से पहले ही इज़रायल के इंटरसेप्टर खत्म हो जाएं।
अब तक की स्थिति
इज़रायली अधिकारियों के अनुसार अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो युद्ध की शुरुआत में ईरान के पास लगभग 2,000 बैलिस्टिक मिसाइलें थीं। उनमें से एक-तिहाई से आधी मिसाइलें अब या तो इस्तेमाल की जा चुकी हैं या इज़राइल द्वारा उनके भंडारण स्थलों को नष्ट कर दिया गया है। यही वजह है कि ईरान भी अब काफी कम मिसाइलें दाग रहा है, संभवतः इसलिए कि वह अपनी सीमित संख्या को बचाना चाहता है।
इजरायल के इंटरसेप्टर की क्या है स्थिति
ईरान के मिसाइल हमलों को रोकने के लिए इज़रायल ने अब तक सैकड़ों इंटरसेप्टर इस्तेमाल किए हैं, लेकिन कितने कुल उपयोग किए गए हैं यह स्पष्ट नहीं है क्योंकि कुछ मिसाइलों को एक से अधिक बार निशाना बनाया गया हो सकता है। मगर इजरायल की सुरक्षा एजेंसियों को अब जरूर यह चिंता सताने लगी है कि उसके इंटरसेप्टर खत्म हो रहे हैं। बुधवार तक, ईरान ने इजरायल पर लगभग 400 मिसाइलें दागीं हैं, जिनमें से लगभग 40 मिसाइलें इज़रायली रक्षा प्रणाली को पार कर गईं। बाकी या तो इंटरसेप्टर से गिरा दी गईं या खाली जगहों व समुद्र में गिरीं।
इजरायल ने बदली युद्ध की रणनीति
न्यूयर्क टाइम्स के अनुसार अब इज़रायल को अपने इंटरसेप्टर का इस्तेमाल सोच-समझकर करना पड़ रहा है। इज़रायली एयर डिफेंस के पूर्व प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल रान कोचव के अनुसार "अगर कोई मिसाइल हाइफ़ा की रिफाइनरी को निशाना बना रही है, तो उसे रोकना ज्यादा ज़रूरी है, बनिस्बत उस मिसाइल के जो नेगेव रेगिस्तान में गिरने वाली हो।" इसका मतलब है कि घनी आबादी वाले इलाकों और रणनीतिक स्थलों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। ताकि इजरायल अपने इंटरसेप्टर को घातक हमलों को नाकाम करने के लिए कुछ बचाकर रख सके।
इज़रायल का एयर डिफेंस सिस्टम
इज़रायल के पास दुनिया की सबसे उन्नत और बहु-स्तरीय (multi-layered) एयर डिफेंस प्रणाली है। इसका उद्देश्य रॉकेट, मिसाइल, ड्रोन और अन्य हवाई हमलों से नागरिकों और सैन्य ठिकानों की रक्षा करना है। इसमें शामिल हैं:
- Iron Dome (आयरन डोम) – कम दूरी की मिसाइलों और रॉकेटों को रोकने के लिए है।
- David’s Sling – यह मध्यम दूरी की मिसाइलों के लिए है।
- Arrow 2 और Arrow 3 – यह लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए है।
- Laser Defense System (Iron Beam - विकासाधीन) – यह भविष्य की लेज़र-आधारित प्रणाली है।
Iron Dome क्या है?
Iron Dome इज़रायल द्वारा विकसित एक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जो कम दूरी की रॉकेटों, मोर्टार, और आर्टिलरी गोले को मार गिराने के लिए बनाया गया है। यह प्रणाली खास तौर पर हमास, हिज़बुल्लाह और अन्य आतंकवादी संगठनों द्वारा दागे गए रॉकेटों से नागरिक इलाकों की रक्षा करने के लिए डिजाइन की गई है। इसे इज़रायली की Rafael Advanced Defense Systems कंपनी ने बनाया है। यह वर्ष 2011 से सक्रिया है। अमेरिका ने इसकी फंडिंग और तकनीकी सहयोग किया है।
Iron Dome कैसे काम करता है?
Iron Dome तीन मुख्य हिस्सों में काम करता है।
रडार सिस्टम (Radar Unit): दुश्मन की मिसाइल/रॉकेट को ट्रैक करता है और उसकी गति, दिशा और संभावित लक्ष्य का अनुमान लगाता है।
बैटल मैनेजमेंट यूनिट (Battle Management & Control – BMC)- यह निर्णय लेता है कि कौन सा रॉकेट खतरनाक है और कौन सा नहीं। जो मिसाइल आबादी वाले क्षेत्रों की ओर आ रही है, सिर्फ उन्हीं को निशाना बनाया जाता है। यह मूल्य-प्रभावी रणनीति है।
इंटरसेप्टर मिसाइल (Tamir Missile)
खतरनाक रॉकेट को हवा में ही टक्कर मारकर नष्ट कर देती है। यह टक्कर आमतौर पर आकाश में ही होती है, जिससे ज़मीन पर कम नुकसान हो। आयरन डोम की सटीकता दर 90% से अधिक है। अब तक हज़ारों रॉकेटों को सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट कर चुका है।
Iron Dome सभी मिसाइलों को क्यों नहीं रोकता?
- सभी रॉकेट खतरनाक नहीं होते – अगर कोई रॉकेट खुले मैदान या समुद्र में गिरने वाला हो, तो उसे इंटरसेप्ट नहीं किया जाता।
- मिसाइल की गति और संख्या – एकसाथ दागी गई बड़ी संख्या में मिसाइलें सिस्टम पर दबाव डाल सकती हैं।
- इंटरसेप्टर की सीमित संख्या – संसाधनों को बचाने के लिए चुनिंदा मिसाइलों को ही रोका जाता है।
- रणनीतिक प्राथमिकता – घनी आबादी वाले या सैन्य महत्व के क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाती है।