Friday, April 19, 2024
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लादेन को निपटाने के बाद जरदारी को फोन करने से डर रहे थे ओबामा! लेकिन पाकिस्तान की प्रतिक्रिया से हो गए आश्चर्यचकित

‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ में बराक ओबामा लिखते हैं कि पाकिस्तान में लादेन के मारे जाने के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के साथ हुई अपनी बातचीत को लेकर सुखद रूप से आश्चर्चय चकित थे। 

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 17, 2020 10:57 IST
Former American President Barack Obama - India TV Hindi
Image Source : AP (FILE) Former American President Barack Obama 

वाशिंगटन. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा इन दिनों अपनी किताब ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ को लेकर चर्चाओं में हैं। इस किताब में बराक ओबामा ने साल 2008 के चुनाव प्रचार अभियान से लेकर पहले कार्यकाल के अंत में एबटाबाद (पाकिस्तान) में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मारने के अभियान तक की अपनी यात्रा का विवरण दिया है। ओबामा ने किताब में पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से अपनी बातचीत का भी जिक्र किया है।

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‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ में बराक ओबामा लिखते हैं कि पाकिस्तान में लादेन के मारे जाने के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के साथ हुई अपनी बातचीत को लेकर सुखद रूप से आश्चर्चय चकित थे।

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ओबामा लिखते , "बातचीत से पहले मुझे उम्मीद थी कि आसिफ अली जरदारी के साथ टेलीफोन पर वार्ता सबसे कठिन होगी, जिनपर अपने घर पाकिस्तान में देश की अखंडता और संप्रभुता को लेकर लेकर सवाल उठाए जा रहे होंगे। जब मैंने उन्हें फोन किया, तो आसिफ अली जरदारी की तरफ से मुझे बधाई दी गई और समर्थन का वादा किया गया। उन्होंने कहा, "यह बहुत अच्छी खबर है।" उन्होंने वास्तविक भावना दिखाते हुए कहा कि कैसे उनकी पत्नी,बेनजीर भुट्टो को अल-कायदा के साथ कथित तौर पर संबंध रखने वाले चरमपंथियों ने मार दिया था।"

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अपनी किताब में बराक ओबामा ने लिखा, हालांकि पाकिस्तान की सरकार द्वारा आतंक के खिलाफ हमारे ज्यादातर ऑपरेशनों में मदद की गई और अफगानिस्तान में हमारी फोर्स तक संसाधन पहुंचाने का रास्ता दिया गया, लेकिन यह भी एक खुला राज है कि पाकिस्तान की आर्मी के अंदर, खासकर उसकी इंटेलीजेंस ISI में ऊंचे पदों पर बैठे कई लोगों के तालिबान से लिंक हैं और शायद अलकायदा से भी। कई बार पाकिस्तान द्वारा इनका उपयोग अफगानिस्तान में सरकार को कमजोर करने और अफगानिस्तान की भारत से बढ़ती करीबी को रोकने के लिए किया जाता है।

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