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रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए अपनी जगह पक्की कर चुके ट्रंप को कोर्ट से बड़ी राहत , ये 6 आरोप हुए खारिज

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप को जॉर्जिया चुनाव हस्तक्षेप मामले में सबसे बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनके खिलाफ लगाए गए 6 आरोपों को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि आरोप की प्रचुरता अधिक देखी गई, जबकि आरोपों के सापेक्ष सुबूत नहीं हैं।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Mar 13, 2024 23:10 IST, Updated : Mar 14, 2024 6:25 IST
डोनॉल्ड ट्रंप, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति। - India TV Hindi
Image Source : AP डोनॉल्ड ट्रंप, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव से पहले कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अमेरिकी अदालत ने जॉर्जिया चुनाव हस्तक्षेप मामले में उन पर लगे 6 आरोपों को खारिज कर दिया है। इससे पूर्व राष्ट्रपति और उनके समर्थकों में जश्न का माहौल हो गया है। ट्रंप को यह राहत ऐसे वक्त मिली है, जब रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उम्मीदवार बनने की दिशा में उनका दावा लगभग पक्का हो चुका है। उनकी निकटतम प्रतिद्वंदी रही निक्की हेली ने कई प्राइमरी चुनावों में ट्रंप से हारने के बाद अपना नाम इस दावेदारी से वापस ले लिया था। ऐसे में एक बार फिर ट्रंप और बाइडेन के बीच मुकाबला होना लगभग तय हो गया है। मगर कोर्ट केस ट्रंप की राह में बाधा बनते नजर आ रहे हैं। 

ऐसे वक्त में न्यायाधीश मैकेफी ने जॉर्जिया चुनाव हस्तक्षेप मामले में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के खिलाफ छह आरोपों को खारिज करके उन्हें सबसे बड़ी राहत दी है। न्यायाधीश ने बुधवार को जॉर्जिया 2020 चुनाव हस्तक्षेप मामले में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके सहयोगियों के खिलाफ लाए गए कई मामलों को खारिज कर दिया। इसे ट्रंप की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है। रायटर्स के अनुसार ट्रंप को अब 13 के बजाय 7 आपराधिक मामलों का ही सामना करना पड़ेगा। 

आरोपों के सापेक्ष नहीं मिला साक्ष्य

ट्रंप के मामले को देख रहे न्यायाधीश स्कॉट मैक्एफ़ी ने उन पर लगाए गए अभियोग में छह मामलों को खारिज करने के लिए प्रतिवादियों के प्रस्तावों को मंजूरी देने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने अपने एक आदेश में लिखा कि राज्य प्रतिवादियों के आचरण पर आरोप लगाने में पर्याप्त सुबूत न दे पाने के कारण विफल रहा है। वास्तव में आरोप लगाने वालों ने प्रचुरता की हद पार कर दी। हालांकि अधोहस्ताक्षरी का मानना ​​है कि एक महत्वपूर्ण कानूनी तत्व के बारे में विशिष्टता की कमी "घातक" है। 

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