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डोनाल्ड ट्रंप को लगा बड़ा झटका, कोर्ट ने पोर्टलैंड में सेना की तैनाती पर लगाई रोक, जानिए पूरा मामला

कोर्ट का यह आदेश अमेरिकी राष्ट्रपति की उस योजना को रोकता है, जिसमें वे पोर्टलैंड के इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट सुविधाओं की सुरक्षा के नाम पर सैन्य बल तैनात करना चाहते थे।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Published : Oct 05, 2025 09:47 am IST, Updated : Oct 05, 2025 10:05 am IST
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप- India TV Hindi
Image Source : AP अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक बड़ा कानूनी झटका लगा है। पोर्टलैंड की फेडरल कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन की ओर से ओरेगन नेशनल गार्ड के 200 सदस्यों की तैनाती पर अस्थायी रोक लगा दी है। जज करिन इमरगुट ने शनिवार को यह फैसला सुनाया, जो कम से कम 18 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा। 

ट्रंप ने पोर्टलैंड को घोषित किया था युद्धग्रस्त शहर 

यह आदेश ट्रंप की उस योजना को रोकता है, जिसमें वे पोर्टलैंड के ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट) सुविधाओं की सुरक्षा के नाम पर सैन्य बल तैनात करना चाहते थे। ट्रंप ने हाल ही में पोर्टलैंड को 'युद्धग्रस्त शहर' करार देते हुए कहा था कि वहां घरों में आग लग रही है और अराजकता फैली हुई है। 

ट्रंप ने सोशल मीडिया पर की थी ये घोषणा

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 27 सितंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर पोस्ट कर घोषणा की थी कि वे ओरेगन गवर्नर टिना कोटेक से बात कर चुके हैं और सैनिक भेजने का फैसला कर लिया है। लेकिन राज्य और शहर के अधिकारियों ने इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित बताते हुए कोर्ट का रुख किया था।

जब कोर्ट पहुंचा मामला

कानूनी लड़ाई की पृष्ठभूमि में ओरेगन अटॉर्नी जनरल डैन रेफील्ड ने 28 सितंबर को मुकदमा दायर किया था, जिसमें दावा किया गया कि ट्रंप का यह कदम असंवैधानिक है। वकीलों ने तर्क दिया कि पोर्टलैंड में हाल के विरोध प्रदर्शन छोटे, शांतिपूर्ण और सीमित हैं, जो 2020 के बड़े विरोधों से बिल्कुल अलग हैं। 

अमेरिकी संविधान के 10वें संशोधन का उल्लंघन

उन्होंने कहा कि ट्रंप केवल राजनीतिक रूप से असहमत डेमोक्रेटिक शहरों को निशाना बना रहे हैं, जो अमेरिकी संविधान के 10वें संशोधन का उल्लंघन है। जज इमरगुट, जिन्हें ट्रंप ने ही 2019 में नियुक्त किया था।  उन्होंने अपने फैसले में लिखा, 'राष्ट्रपति को सैन्य फैसलों में सम्मान दिया जाता है, लेकिन वे तथ्यों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। यहां कोई विद्रोह या कानून-व्यवस्था का गंभीर खतरा नहीं है।' (इनपुट-AP) 

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