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बिहार में 2.97 करोड़ परिवार, सिर्फ 18.23 लाख के पास सरकारी नौकरी, 20 महीने में 2.80 करोड़ जॉब कैसे देंगे तेजस्वी?

तेजस्वी यादव के लिए 20 महीने के अंदर 2.80 करोड़ सरकारी नौकरी तैयार करना लगभग असंभव होगा। ऐसे में हर परिवार को सरकारी नौकरी की बात वादा कम और जुमला ज्यादा प्रतीत होती है।

Edited By: Shakti Singh
Published : Oct 09, 2025 05:49 pm IST, Updated : Oct 09, 2025 11:50 pm IST
Tejashwi yadav- India TV Hindi
Image Source : PTI तेजस्वी यादव ने हर घर सरकारी नौकरी का वादा किया है

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सभी दल और राजनेता अलग-अलग वादे और दावे कर रहे हैं। खाते में पैसा डालने से लेकर पेंशन की राशि बढ़ाने तक और मुफ्त बिजली से लेकर वेतन बढ़ाने तक के वादे किए जा चुके हैं। इसी बीच तेजस्वी यादव ने बिहार के हर परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। तेजस्वी का कहना है कि वह सरकार बनने पर 20 महीने के अंदर यह वादा पूरा करेंगे। आइए जानते हैं कि इस नौकरी का फॉर्मूला क्या है? इससे किन परिवारों को नौकरी मिलेगी और तेजस्वी अपना वादा कैसे पूरा करेंगे?

तेजस्वी यादव के अनुसार अगर बिहार में उनकी सरकार बनती है तो सरकार बनने के 20 महीने के भीतर हर घर से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाएगी। इसके लिए कानून बनाया जाएगा। हालांकि, उन्हीं परिवारों को इस योजना का फायदा मिलेगा, जिनमें कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में नहीं है।

कम से कम 2.80 करोड़ नौकरी देनी होगी

बिहार में हुई जातिगत जनगणना के मुताबिक, कुल 2 करोड़ 97 लाख परिवार हैं। बिहार में सरकारी नौकरी करने वालों की संख्या 18 लाख 23 हजार 261 है। अगर यह मान लिया जाए कि सरकारी नौकरी करने वाला हर व्यक्ति अलग परिवार का है तो भी बिहार में 2 करोड़ 80 लाख ऐसे परिवार हैं, जिनमें कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं है। ऐसे में तेजस्वी यादव को अपना वादा पूरा करने के लिए कम से कम 2 करोड़ 80 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देनी होगी। हकीकत देखी जाए कई परिवार ऐसे मिलेंगे, जिनमें एक से ज्यादा लोग सरकारी नौकरी में हैं। ऐसे में तेजस्वी को 2.8 करोड़ से ज्यादा सरकारी नौकरी बनानी होंगी।

इन सवालों के जवाब जरूरी

तेजस्वी यादव हर उस परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देने की बात कर रहे हैं, जिनमें कोई सरकारी नौकरी में नहीं है। ऐसा करने के लिए उन्हें 2 करोड़ 80 लाख से ज्यादा लोगों को नौकरी देनी होगी।

पहला सवाल: 2 करोड़ 80 लाख से ज्यादा लोगों को नौकरी देने के लिए फंड कहां से आएगा?

दूसरा सवाल: अगर फंड का इंतजाम भी हो जाएगा तो फिर आरक्षण के नियमों का पालन कैसे होगा?
तीसरा सवाल: सरकारी नौकरी संविदा पर होगी या परमानेंट होगी?
चौथा सवाल: अगर परमानेंट नौकरी होगी तो एजुकेशन का क्राइटेरिया क्या होगा?
पांचवां सवाल: उम्र की सीमा क्या होगी?

आरक्षण के नियम बनेंगे परेशानी

सरकारी नौकरी में आरक्षण का प्रावधान है। अगर बिहार के हर परिवार को सरकारी नौकरी देनी है तो फिर आरक्षण के नियम का पालन कैसे होगा। मौजूदा समय में अलग-अलग जाति के लोगों की सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी भी अलग है। ऐसे में तेजस्वी को अपना वादा पूरा करने के लिए नया नियम बनाने के साथ ही पुराने नियमों में भी बदलाव करना होगा। यह आसान नहीं होगा और तेजस्वी आरक्षण के नियम बदलने की कोशिश करें, इसके आसार बेहद कम हैं। इसी वजह से तेजस्वी की बात वादा कम और जुमला ज्यादा प्रतीत होती है।

जातिवार सरकारी नौकरी के आंकड़े

बिहार में जनरल कैटेगरी की आबादी 15% है और सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 3.19% है। सरकारी नौकरी में सामान्य वर्ग के लोगों की संख्या 6 लाख 41 हजार 281 है। वहीं, पिछड़ा वर्ग की आबादी 27% है और सरकारी नौकरी में भागीदारी 1.75% है। पिछड़ा वर्ग के 6 लाख 21 हजार 481 लोगों के पास सरकारी नौकरी है। ईबीसी की बिहार की कुल आबादी में 36% की हिस्सेदारी है, लेकिन सरकारी नौकरी में उनकी भागीदारी सिर्फ 0.98% है। अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 2 लाख 38 हजार 932 लोगों के पास ही सरकारी नौकरी है। इसी तरह एससी की आबादी 20% है और नौकरी में हिस्सेदारी 1.13% है। यानि अनुसूचित जाति के 2 लाख 91 हजार 4 लोगों के पास सरकारी नौकरी है।

बिहार में सरकारी नौकरी में किसकी कितनी हिस्सेदारी ?

कैटेगरी आबादी नौकरी
सामान्य 15% 3.19%
पिछड़ा वर्ग 27% 1.75%
अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36% 0.98%
अनुसूचित जाति 20% 1.13%
अनुसूचित जनजाति 1.68% 1.37%

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