Saturday, April 27, 2024
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मरा हुआ दरोगा निकला जिंदा, 2016 से उठा रहा था पेंशन; वकील ने जेनऊ तोड़कर पूरी की चुनौती

बिहार के मुजफ्फरपुर से धोखाधड़ी का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक दरोगा ने खुद को सरकारी कागजों में मृत घोषित करवा दिया था और साल 2016 से सरकारी पेशन उठा रहा है। एक वकील ने इस मामले का पर्दाफाश कर दिया है।

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Updated on: February 26, 2024 14:47 IST
Muzaffarpur - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV दरोगा का सच सामने लाने वाले अधिवक्ता एसके झा

बिहार के मुजफ्फरपुर में 12 साल पहले मृत घोषित हो चुका एक दरोगा अब जिंदा निकला है। इस मामले का खुलासा करने के लिए 12 साल पहले एक वकील ने अपना जेनऊ तोड़कर ये संकल्प लिया था कि वह मृत दरोगा को जिंदा साबित करने के बाद ही वापस जेनऊ धारण करेंगे। बताया जा रहा है कि दरोगा ने अपनी पत्नी से अपना मृत्यु प्रमाणपत्र दायर करवाया था। ये मामला अब पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है। वहीं, मुजफ्फरपुर में खुद की डेथ रिपोर्ट पेश करके मृत साबित करने वाले बिहार पुलिस के दरोगा के प्रकरण को सामने लाने वाले अधिवक्ता एसके झा ने अब अपना जेनऊ धारण कर लिया है।

अपने आवास पर जिंदा मिला 'मृत' दरोगा

दरअसल, कोर्ट की फाइल में मृत दरोगा को जिंदा ढूंढ निकालने की प्रतिज्ञा, 12 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अब जाकर पूरी हुई है। इसके बाद मुजफ्फरपुर कोर्ट परिसर में मौजूद हनुमान मंदिर में आयोजित विशेष पूजा के बाद अधिवक्ता एसके झा ने वरीय अधिवक्ताओं के मौजूदगी में अपना जेनऊ धारण किया। वहीं मानवाधिकार अधिवक्ता सुबोध कुमार झा ने बताया कि उन्होंने कानून के रिकॉर्ड में दर्ज मृत दरोगा को जिंदा साबित करने के लिए पिछले 12 सालों से उसे खोज रहे थे। जहां कड़े संघर्ष और मेहनत के बाद कानून को ठेंगा दिखाने वाले दरोगा राम चन्द्र सिंह को अब जाकर कोर्ट में जिंदा साबित करने में सफलता मिली है। कथित रूप से मृत दरोगा अरवल स्थित अपने आवास पर जिंदा मिले।

दरोगा ने कोर्ट में दाखिल कराया था मृत्यु प्रमाण पत्र 

जानकारी मिली है कि दरोगा राम चन्द्र सिंह थाना कुर्था जिला अरवल के निवासी हैं। दरोगा रिटायर होने के बाद सरकार से पेंशन उठा रहे हैं। अधिवक्ता सुबोध कुमार झा ने बताया कि 2012 में दरोगा अहियापुर थाने में थे। थाने में रेप का एक केस दर्ज किया गया। जांच अधिकारी के रूप में दरोगा ने आरोप पत्र समर्पित किया। लेकिन गवाही का समय आने पर दरोगा की ओर से कोर्ट में मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल कराया गया। जबकि दरोगा व अधिवक्ता आपस में बातचीत करते रहे। यह पूरी कानूनी लड़ाई बतौर अधिवक्ता के रूप में झा ने एक चैलेंज के रूप में लिया और दरोगा को जीवित ढूंढ निकालने की चुनौती दी थी।

कैसे पकड़ा गया दरोगा का झूठ

गौरतलब है कि 4 नवंबर 2012 को मुजफ्फरपुर के अहियापुर स्थित एक गांव में स्कूल शिक्षक अनंत राम पर एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। इस मामले में अहियापुर थाने में तैनात दरोगा रामचंद्र सिंह ने मौके पर वारदात पर पहुंचकर आरोपी को गिरफ्तार किया। जब मामले का कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ तो कोर्ट ने जांचकर्ता दरोगा रामचंद्र सिंह को समन जारी कर गवाही के लिए तलब किया। जहां दरोगा की पत्नी ने एसएसपी मुजफ्फरपुर के माध्यम से कोर्ट में दरोगा का मृत्यु प्रमाण पत्र दायर करा दिया। पत्नी ने बताया था कि उनके पति राम चन्द्र सिंह की 2009 में ही मौत हो चुकी है। जबकि रामचंद्र सिंह द्वारा 2012 में रेप केस का अनुसंधान किया गया था। जब दरोगा का झूठ पकड़कर कोर्ट ने जांच का आदेश दिया तो दरोगा ने अपना तबादला करवा कर कोर्ट की नजर से ट्रेसल्स हो गए।

जिंदा साबित करने के बाद कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

अधिवक्ता ने बताया कि ये केस एडीजे 13 एसके सिन्हा की कोर्ट में चला गया। यहीं से दरोगा कोर्ट और पुलिस के रिकॉर्ड में मृत हो गए। इस मामले की जानकारी मिलने के बाद खुद वकील एसके झा इस केस की पैरवी करने लगे। सच को साबित करने के लिए उन्होंने जनेऊ धारण नहीं करने का संकल्प लिया। आरटीआई से लेकर अन्य माध्यम से जानकारी मिली कि दरोगा राम चंद्र सिंह जीवित हैं। इसके बाद जब कोर्ट द्वारा आपत्ति जताई गई, तब एसएसपी को मामले की तहकीकात करने का आदेश दिया गया। कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन दरोगा मुन्नी सिंह ने मामले की जांच की।

दरोगा जिंदा है और पेंशन उठा रहे हैं

जांच के दौरान ये देखा गया कि दरोगा रामचन्द्र सिंह की मौत 15 दिसंबर 2009 में हो चुकी है। दिलचस्प बात यह है कि 2009 में मृत दरोगा, 2012 में कैसे जांच कर सकता है। एसके झा ने कहा कि दरोगा से 2012 में मुलाकात हुई थी। दरोगा ने कहा कोर्ट और पुलिस की नजर में मेरी मौत हो चुकी है। इस केस को अब छोड़ दीजिए। मैंने 2012 में ही दरोगा के सामने जनेऊ उतार दिया। बिना जनेऊ के 12 सालों तक रहे और 12 वर्षों के बाद दरोगा जी को खोज निकाला। अधिवक्ता ने कहा कि दरोगा जीवित है और रिटायरमेंट के बाद पेंशन उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में दरोगा का गया में श्राध्द करेंगे। उन्होंने कहा कि अंधा कानून फ़िल्म में दिखाई देता है अब रियल लाइफ में दिखाई दे रहा है।

(रिपोर्ट- संजीव कुमार)

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