विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की वर्चुअल मीटिंग शनिवार को हुई। इस बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने का प्रस्ताव भी सामने आया, लेकिन उन्होंने खुद संयोजक बनने से इनकार कर दिया। इस बीच, बिहार के वित्त मंत्री और जेडीयू नेता विजय चौधरी ने I.N.D.I.A गठबंधन में सीट शेयरिंग में हो रही देरी और नीतीश कुमार की ओर से संयोजक पद स्वीकार नहीं करने के मामले पर इंडिया टीवी से बातचीत बातचीत की।
उन्होंने कहा, "हमलोग शुरू से ही 23 जून को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ही पहल पर पहली बैठक पटना में हुई थी उसी के बाद से हमलोगों की राय थी कि अब अन्य बातों को छोड़कर सीट शेयरिंग पर ही गंभीर बात होनी चाहिए, क्योंकि सभी लोग जानते हैं कि किसी भी गठबंधन की सफलता अंत में मुकम्मल सीट शेयरिंग होने यानी आपसी सहमति से सीटों की संख्या का बंटवारा होने पर ही निर्भर करता है। इसे जितना जल्दी कर लेते उतना अच्छा था। करीब 7 महीने बीत गए, उस समय से एक दो महीने के अंदर बात हो जाती, तो आज स्वाभाविक रूप से I.N.D.I.A गठबंधन के नेता या इस गठबंधन का चुनावी अभियान काफी आगे बढ़ गया होता।"
देरी क्यों हो रही है?
देरी होने के सवाल पर उन्होंने कहा, "कांग्रेस का कहना था कि उनको पांच राज्यों में चुनाव देखना है। मुख्यमंत्री ने भी उस समय कहा था कि वह उधर व्यस्त हैं। उसके बाद पिछली बैठक वर्चुअल हुई। अब उसमें संयोजक या अध्यक्ष बनाने की बात हुई। पिछली बैठक में एक बात स्पष्ट हो गई कि मीडिया के जरिए भी एक भावना बनाई जा रही थी कि नीतीश कुमार और जेडीयू इनको संयोजक बनाना चाहते हैं और बाकी दल तैयार नहीं हो रहे हैं। अब तो सारे देश ने देख लिया, स्थिति ठीक उल्टी है, सभी लोग इनको संयोजक बनाना चाह रहे थे और नीतीश कुमार जी ने मना कर दिया।"
लेकिन राहुल गांधी ने तो मीटिंग में नीतीश कुमार पर ममता बनर्जी की असहमति की बात कही थी?
राहुल गांधी की ओर से ममता बनर्जी की असहमति की जानकारी मीटिंग में दिए जाने पर विजय चौधरी ने कहा, "यह खबर भी जान लीजिए कि किसी के चाहने या नहीं चाहने की अंदरूनी बात के बावजूद इनको बनाया जा रहा था, यह तो और स्पष्ट बात है कि चाहे कोई विरोध करे, किसी को अच्छा लगे, बुरा लगे, लेकिन I.N.D.I.A में नीतीश कुमार को संयोजक बनाया जा रहा था। ऐसा विधिवत प्रस्ताव बैठक में आया था, जिसको उन्होंने मना कर दिया, अब किनको अच्छा लग रहा था, किनको बुरा लग रहा था, इससे कोई लेना-देना हमलोग का नहीं है।"
फिर नीतीश ने इनकार क्यों किया?
उन्होंने कहा, "हम लोग शुरू से कहते थे कि इस पद का कोई खास अर्थ नहीं है। अब तो और समय बीत गया। दो महीने बाद चुनाव की अधिसूचना जारी होगी। अब मामला है कि बैठकर सीटों का बंटवारा कर लीजिए और संयुक्त चुनाव अभियान में लगिए, अब पद बांटने का वक्त ही नहीं बचा है।"
क्या नीतीश कुमार मनाए जाने पर मान जाएंगे?
विजय चौधरी ने कहा कि मनाने की कहां बात है। इसमें रूठने-मनाने की बात नहीं है। हमलोग का कहना है कि बात अब पद से आगे बढ़ना चाहिए, इसमें उलझने में सिर्फ समय जाया होगा।
क्या NDA में वापसी की संभावना को लेकर संयोजक पद स्वीकार नहीं किया?
उन्होंने कहा, इसका कारण और औचित्य इस तरह से सोचने वाले ही बता सकते हैं। हमलोग को जो पता है और यह हमारी पार्टी का मानना है कि उन्होंने मना इसलिए किया कि शुरू से वो मना कर रहे थे।
कांग्रेस कह रही है कि देरी नहीं हुई है, NDA में सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है?
इसे लेकर विजय चौधरी ने कहा, देरी तो हो ही रही है, जितना जल्दी हो जाए उतना अच्छा है।
क्या आप लोगों को ये चिंता भी है कि NDA की तैयारी आप लोगों से आगे है?
जेडीयू नेता ने कहा, हम किसी दूसरे को देखकर तैयारी थोड़े ही करते हैं।
नीतीश कुमार I.N.D.I.A गठबंधन छोड़कर NDA में आ सकते हैं?
उन्होंने कहा, मको तो कहीं से नहीं लगता है, जो सोच रहे ऐसा वही बता सकते हैं।
नीतीश कुमार अयोध्या जाएंगे?
इसे लेकर विजय चौधरी ने कहा, मंदिर बना है, जिनको जाने में अच्छा लगेगा वो जाएंगे, केवल 22 जनवरी को ही भगवान वहां रहेंगे, ऐसा है क्या...
वहीं, आरजेडी विधायक के श्रीराम को काल्पनिक कहने पर उन्होंने कहा, जिनको जिसमें अच्छा लगता है, किसी को मूर्ति-पहाड़-वृक्ष में भगवान दिखते हैं, वहां पूजा करते हैं।