Saturday, April 20, 2024
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हाथरस गैंगरेप केस की चार्जशीट, जानिए- आखिर 14 सितंबर को क्या हुआ था?

केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने शुक्रवार को हाथरस गैंगरेप केस में चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। चार्जशीट में सीबीआई ने पीड़िता के 22 तारीख को दिए गये उसके आखिरी बयान को ही मृत्युकालिक कथन (डाईंग डिक्लेरेशन) माना है, जिसके आधार पर आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप, मर्डर और SC/ST एक्ट में केस दर्ज किया गया है।

Abhay Parashar Reported by: Abhay Parashar @abhayparashar
Published on: December 21, 2020 16:54 IST
हाथरस गैंगरेप केस की चार्जशीट, जानिए- आखिर 14 सितंबर को क्या हुआ था?- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO हाथरस गैंगरेप केस की चार्जशीट, जानिए- आखिर 14 सितंबर को क्या हुआ था?

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने शुक्रवार को हाथरस गैंगरेप केस में चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। चार्जशीट में सीबीआई ने पीड़िता के 22 तारीख को दिए गये उसके आखिरी बयान को ही मृत्युकालिक कथन (डाईंग डिक्लेरेशन) माना है, जिसके आधार पर आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप, मर्डर और SC/ST एक्ट में केस दर्ज किया गया है। चार्जशीट में लिखा गया है कि शुरुआत में सीओ सादाबाद के निरीक्षण में पूरे मामले की जांच चली, जिसके बाद केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। सीबीआई ने 11 अक्टूबर को मुकदमा दर्ज किया और जांच शुरू कर दी। चार्जशीट में लिखा गया है कि केस से जुड़े तमाम कागजात, लोकल पुलिस की केस डायरी, वह तमाम चीजें जो केस से जुड़ी हुई थीं, सभी लोकल पुलिस और प्रशासन ने सीबीआई को सौंप दी।

14 सितंबर 2020 को क्या हुआ था?

चार्जशीट के मुताबिक, सबसे पहले 14 सितंबर की सुबह साढ़े 10 बजे हाथरस के चंदपा थाने में पीडिता के बड़े भाई सतेंद्र की शिकायत पर धारा 307 और SC/ST एक्ट के तहत एफआईआर नंबर 136/2020 दर्ज की गई। जिसमें सतेंद्र कुमार ने आरोप लगाते हुए कहा, 'सुबह तकरीबन 7:30 बजे मैं, मेरी बहन और मां, तीनों खेत से घास काटने के लिए गए थे। मैं घास का बंडल लेकर वापस आ गया था। इसी बीच जब मेरी मां घास काट रही थी, तब थोड़ी दूरी पर आरोपी संदीप ने मेरी बहन का गला घोटने की कोशिश की, पूरी घटना को अंजाम बाजरे के खेत में दिया गया और मेरी बहन को जान से मारने की कोशिश की गई। मेरी बहन चीखती रही, उसकी चीखें सुनकर जब मेरी मां मौके पर पहुंची तो वहां से संदीप भाग चुका था। यह पूरी घटना करीब 9:30 बजे की है। हम वाल्मीकि कम्युनिटी से हैं।'

चार्जशीट के मुताबिक, सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि 14 सितंबर की सुबह तकरीबन 7:30 बजे पीड़िता अपनी मां और बड़े भाई के साथ मिलकर खेत में घास काटने के लिए गई थी। शुरुआत में पता चला कि तीनों गांव के ही सरकारी अस्पताल के पीछे एक 200 मीटर के एरिया में घास काट रहे थे। पीड़िता की मां वहां से कुछ दूरी पर एक दूसरे खेत में घास काटने के लिए चली गई, पीड़िता का भाई पशुओं के लिए चारे का बंडल बांधकर घर के लिए रवाना हो गया। उसके बाद पीड़िता अपनी मां के पास उस जगह पहुंची, जहां उसकी मां घास काट रही थी। पीड़िता की मां ने पीड़िता को घास काटने के लिए बोला लेकिन पीड़िता ने मां को बोला कि उसे थकान और प्यास महसूस हो रही है इसलिए वह घास नहीं काट सकेगी। तभी पीड़िता की मां ने पीड़िता को घास का वो बंडल बांधने के लिए कहा जिसे वह काट चुकी थी।

चार्जशीट के मुताबिक, बेटी को यह तमाम निर्देश देने के बाद मां वहां से चली गई और वहां से 50 मीटर दूर दूसरे खेत में घास काटने लगी। इसी बीच पीड़िता घास के बंडल बांध रही थी। कुछ देर घास काटने के बाद पीड़िता की मां जब उसी जगह वापस पहुंची जहां उसने पीड़िता को छोड़ा था तो उसने देखा कि पीड़िता वहां पर नहीं है। पीड़िता गायब थी, पीड़िता की मां ने पीड़िता को तलाशना शुरू किया, तभी उनकी नजर पीड़िता की चप्पल पर पड़ी जो खेतों में बनी मेढ़ के पास पड़ी हुई थी, यह मेढ़ बाजरे के खेत में थी। पीड़िता की मां ने देखा कि बाजरे के खेत में उनकी बेटी बेसुध पड़ी हुई है। मेढ़ से पीड़िता की दूरी 10 फीट की थी। इसी बीच गांव में रहने वाला एक लड़का छोटू, वहां अचानक पहुंच गया। छोटू को पीड़िता की मां ने पीड़िता के बड़े भाई को घर से बुलाने के लिए कहा। 

चार्जशीट के मुताबिक, इसी बीच पीड़िता को उसकी मां घसीटते हुए मेढ़ के पास लेकर आई और उसे वहां लेटा दिया। छोटू तुरंत पीड़िता के घर के लिए रवाना हो गया। खेत से घर जाने के रास्ते में उसने गांव में ही रहने वाली मुन्नी देवी और इसी केस में एक आरोपी लवकुश को भी घटना के बारे में बताया, जो एक अन्य खेत में घास काट रहे थे। वहां से पीड़िता और उसकी मां की दूरी तकरीबन 100 मीटर की थी। छोटू ने घर जाकर पीड़िता के बड़े भाई की 5 साल की बेटी को सारी बात बताई और घर में अपने पिता को जानकारी देने की बात कही। जिसके बाद छोटू सीधा अपने घर के लिए रवाना हो गया। छोटू ने तुरंत अपने घर जाकर भी सारी बात अपने बड़े भाई और मां को भी बताई। छोटू का बड़ा भाई भी तुरंत मौका-ए-वारदात के लिए रवाना हो गया। छोटू के बड़े भाई ने घर से खेत की तरफ रवाना होते हुए रास्ते में यह बात अपने साले को भी बताई। 

चार्जशीट के मुताबिक, रास्ते में उन्होंने पीड़िता के भाई को घर के बाहर खड़े हुए देखा तभी छोटू के बड़े भाई ने पीड़िता के भाई को बोला कि उसकी बहन की तबीयत खराब है, वहां क्यों खड़ा है, सीधा खेत की तरफ चले, जहां पीड़िता अपनी मां के साथ मौजूद है। गांववाले और पीड़िता का बड़ा भाई जैसे ही घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि पीड़िता पानी की मेढ़ के पास बेसुध हालत में पड़ी हुई है। पीड़िता के बड़े भाई ने अपनी मां के साथ मिलकर तुरंत पीड़िता को अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाया और सीधा चंदपा थाने के लिए रवाना हो गया। सुबह तकरीबन 9:14 पर पीड़िता का भाई और मां पीड़िता को थाने लेकर पहुंच चुके थे। इसी बीच पीड़िता के पिता, उसकी बहन और पीड़िता की दादी भी चंदपा थाने पहुंच गए। पीड़िता के भाई ने पीड़िता को थाने के चबूतरे पर लेटाया हुआ था। 

चार्जशीट के मुताबिक, पीड़िता के भाई सत्येंद्र ने पुलिस को बताया कि गांव के ही रहने वाले संदीप ने पीड़िता को गला दबाकर जान से मारने की कोशिश की है। थाने में शिकायत लिखवाते वक़्त वहां पर एक पत्रकार भी मौजूद था जिसकी मौजूदगी में यह बयान पीड़िता के भाई ने वहां पर दिया था। पीड़िता के भाई और मां के बयान वहां मौजूद कुछ अन्य पत्रकारों ने भी और पुलिसकर्मियों ने भी मोबाइल पर रिकॉर्ड किए थे। चार्जशीट में लिखा है कि जांच के दौरान पता चला कि पीड़िता को सबसे पहले हाथरस के जिला अस्पताल में सुबह 9:57 मिनट पर एक ऑटो के जरिए लेडी कॉन्स्टेबल की मौजूदगी में भेजा गया था। सुबह 11:35 पर पीड़िता को जिला अस्पताल में मौजूद डॉक्टर रमेश बाबू ने देखा और तुरंत अलीगढ़ अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। लेकिन उस वक्त पीड़िता की हाथरस में कोई एमएलसी नहीं की गई थी। 

चार्जशीट के मुताबिक, सुबह 12:10 पर पीड़िता को अलीगढ़ हॉस्पिटल के लिए रेफर किया गया था। चार्जशीट में लिखा गया है कि 22 सितंबर को अलीगढ़ के सरकारी अस्पताल में पीड़िता का चेकअप किया गया था, जिसमें उसके साथ रेप की कोई पुष्टि नहीं की गई थी। साथ ही, यह लिखा गया था कि पीड़िता के गर्दन और पीठ में चोट है। जिस वक्त सीबीआई ने केस अपने हाथों में लिया उस वक्त एक मल्टी इंस्टीट्यूशनल मेडिकल बोर्ड गठित किया गया था, जिसको एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेंसिक मेडिसिन के डॉक्टर आदर्श कुमार ने लीड किया और उन्होंने राय दी कि पीड़िता के साथ सेक्सुअल असॉल्ट की कोशिश को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। हो सकता है कि समय पर फॉरेंसिक एग्जामिनेशन, रिपोर्टिंग और डॉक्यूमेंटेशन ना होने के  कारण सेक्सुअल असॉल्ट की पुष्टि नहीं हो पा रही है लेकिन जिस तरीके से घटना के एक हफ्ते बाद भी पीड़िता को ब्लीडिंग हो रही है वह इस तरफ इशारा जरूर कर रही है।

चार्जशीट के मुताबिक, इसी बीच इन्वेस्टिगेशन के दौरान यह भी पता चला कि डॉक्टर एमएस हुडा, जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टेक्नोलॉजी के हेड हैं, उन्होंने जब पीड़िता की स्थिति को बिगड़ते हुए देखा था तो सीएमओ को तुरंत उसके डाईंग डिक्लेरेशन रिकॉर्ड करने के लिए बोला, तभी नायब तहसीलदार मनीष कुमार, तहसील कोल, अलीगढ़ के समक्ष पीड़िता के 22 सितंबर की शाम 5:40 पर आखिरी बयान दर्ज किए गए। जिसमें पीड़िता ने यह बात कबूली कि उसके साथ संदीप, रामू, रवि और लवकुश ने गैंगरेप जैसी संगीन वारदात को अंजाम दिया है। करीब 2000 पन्नों की चार्जशीट में लिखा है कि इसके बाद पीड़िता को सीधे अलीगढ़ से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रेफर कर दिया गया क्योंकि उसकी स्थिति काफी ज्यादा बिगड़ रही थी। लेकिन इलाज के दौरान 29 सितंबर की सुबह 6:55 पर पीड़िता ने सफदरजंग अस्पताल में आखिरी सांस ली।

चार्जशीट में सीबीआई ने पीड़िता और संदीप के बीच रिश्तों का भी खुलासा किया। चार्जशीट में लिखा है कि जांच के दौरान पता चला कि आरोपी संदीप और अन्य आरोपियों का घर बुलगढ़ी गांव में पीड़िता के घर के नजदीक ही है। पिछले दो-तीन साल पहले पीड़िता और संदीप के बीच अफेयर शुरू हुआ था। जांच के दौरान यह भी पता चला कि पीड़िता और संदीप चोरी-छिपे सुनसान जगह पर मिलते भी थे, जिसकी तस्दीक सीबीआई के सामने गांववालों ने भी की है। गांववालों के बयान भी रिकॉर्ड किए गए हैं, जिनमें न सिर्फ पीड़िता के पड़ोसी शामिल हैं बल्कि आरोपी संदीप के कुछ दोस्तों के बयान भी दर्ज किए गए हैं। आरोपी और पीड़िता के मोबाइल नंबर की जब तफ्तीश शुरू की गई, उनकी सीडीआर खंगाली गई तो पता चला कि अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 के बीच पीड़िता और संदीप के बीच काफी बातचीत हुई है। हालांकि, यह बातचीत काफी छोटे-छोटे वक्त के लिए की गई। 

चार्जशीट के मुताबिक, पीड़िता जिस नंबर पर बातचीत करती थी वह नंबर उसके परिवार के एक सदस्य के नाम पर था। यह बातें साबित करती हैं कि मार्च 2020 तक पीड़िता और संदीप दोनों एक दूसरे के लगातार संपर्क में थे लेकिन उसके बाद पीड़िता और संदीप की कोई बातचीत के निशान नहीं दिखाई दिए। सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, जब पीड़िता के परिवार को संदीप और उसके बीच की दोस्ती के बारे में या कहें रिश्तों के बारे में पता चला तो उसके बाद दोनों की बातचीत बंद हो गई थी यानि उनके अफेयर पर डेंट पड़ गया था। हालांकि, पीड़िता की तरफ से मार्च 2020 के बाद आरोपी संदीप के नंबर पर कोई कॉल नहीं किया गया। लेकिन, संदीप लगातार अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के नंबर से पीड़िता से संपर्क करने की कोशिश करता रहा। 

चार्जशीट में लिखा है कि जांच के दौरान पता चला है कि आरोपी संदीप ने 3 अगस्त को अपने एक दोस्त भूदेव उर्फ पांडे को मोबाइल कॉल कर पीड़िता के नंबर पर उसे कॉन्फ्रेंस में जोड़ने के लिए बोला था। भूदेव ने तकरीबन चार बार पीड़िता के परिवार के नंबर पर कॉल किया लेकिन फोन नहीं उठाया गया। भूदेव ने बताया कि वह संदीप और पीड़िता के बीच के रिश्तो के बारे में अच्छे से जानता था, इसीलिए वह मना नहीं कर पाया। जांच के दौरान, भूदेव उर्फ पांडे ने यह भी बताया कि मार्च के बाद से पीड़िता संदीप से बातचीत बिल्कुल बंद कर चुकी थी, उसके मोबाइल फोन से जो कॉल आते थे उनको भी नहीं उठाती थी। 

चार्जशीट के अनुसार, भूदेव ने बताया कि अचानक से पीड़िता के इस तरह के व्यवहार से संदीप काफी गुस्से में था और पीड़िता पर उसे शक होने लगा था कि पीड़िता का किसी अन्य लड़के के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है। संदीप को शक था कि उसका अपनी बहन के पति या फिर उसके देवर के साथ अफेयर शुरू हो गया है। इसी बात ने आरोपी संदीप के दिमाग में शक पैदा कर दिया था। जांच के दौरान यह भी पता चला कि 22 सितंबर को पीड़िता ने अपनी डाईंग डिक्लेरेशन में जिन चार लड़कों का नाम लिया वह सभी बुलगढ़ी गांव में उसी जगह के आस-पास मौजूद थे, जहां पीड़िता के साथ गैंगरेप हुआ था। 

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