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इस्तीफा देने के बाद भी ‘मंत्री’ हैं राजकुमार आनंद, ED के छापे पर भी किया बड़ा खुलासा

अरविंद केजरीवाल की सरकार से इस्तीफा देने के एक दिन बाद राजकुमार आनंद ने कहा है कि उन्होंने यह फैसला दबाव में नहीं लिया है और भविष्य में क्या होगा यह भी नहीं कहा जा सकता।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Apr 11, 2024 22:26 IST, Updated : Apr 11, 2024 22:26 IST
Arvind Kejriwal, Raaj Kumar Anand AAP, Delhi Liquor Scam- India TV Hindi
Image Source : PTI AAP के पूर्व नेता राजकुमार आनंद।

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार से मंत्री पद से इस्तीफा और आम आदमी पार्टी (AAP) छोड़ने के एक दिन बाद राजकुमार आनंद ने कहा कि उन्होंने यह फैसला किसी दबाव में नहीं लिया, बल्कि वह 'अन्याय' सहन नहीं कर पा रहे थे। पटेल नगर से विधायक आनंद ने यह कहकर कि 'राजनीति संभावनाओं का खेल है और कोई नहीं जानता कि भविष्य में क्या होगा', लोगों को अपने अगले कदम को लेकर अटकलें लगाने का मौका भी दे दिया है। हालांकि, AAP के नेताओं ने दावा किया है कि आनंद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। अधिकारियों ने कहा कि भले ही आनंद ने इस्तीफा दे दिया हो, लेकिन वह अभी भी 'तकनीकी रूप से' मंत्री हैं।

‘आनंद के इस्तीफे का पत्र अब तक नहीं मिला’

दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को कहा, ‘उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजने का दावा किया है, लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल न्यायिक हिरासत में हैं। निकट भविष्य में इसकी कोई संभावना नहीं है कि उनका त्यागपत्र अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री तक पहुंचेगा।’ मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदित किये जाने के बाद मंत्री के त्यागपत्र को आगे की मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा जाता है। सूत्रों ने बताया कि आनंद का त्यागपत्र अब तक नहीं मिला है। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय ने भी कहा है कि उसे विधायक के रूप में आनंद के इस्तीफे का पत्र अब तक नहीं मिला है।

‘मुझे ED से कभी कोई नोटिस नहीं मिला’

आनंद ने कहा कि दबाव में AAP छोड़ने का आरोप गलत है और उन्होंने इस दावे को भी खारिज कर दिया कि उन्हें ED से नोटिस मिला था। आनंद ने कहा, ‘मुझे ED से कभी कोई नोटिस नहीं मिला। एजेंसी के अधिकारियों ने 'शराब घोटाले' में धन के लेन-देन का पता लगाने के लिए पिछले साल नवंबर में आवास पर छापा मारा था, लेकिन वहां कुछ नहीं मिला और मामला बंद कर दिया गया।’ आनंद ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया क्योंकि उन्हें मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की अनुमति नहीं दी जा रही थी और उनके समुदाय के कार्य नहीं किये जा रहे थे।

‘...लेकिन राजनीति संभावनाओं का खेल है’

आनंद ने आरोप लगाया कि दलित नेताओं को न तो पार्टी और न ही कृषि उपज विपणन समितियों जैसी सरकारी संस्थाओं में महत्वपूर्ण पद दिये जा रहे थे। यह पूछे जाने पर कि क्या वह भविष्य में किसी अन्य दल में शामिल हो सकते हैं तो आनंद ने कहा कि कोई नहीं जानता कि भविष्य में क्या छिपा है, लेकिन राजनीति संभावनाओं का खेल है। संयोग से, सिविल लाइंस इलाके में वह सरकारी बंगला जिसमें आनंद रह रहे हैं, कुख्यात हो चला है क्योंकि इसमें रहते हुए इस्तीफा देने वाले वह AAP सरकार के तीसरे दलित मंत्री हैं। इससे पहले, सिविल लाइंस में बंगला नंबर 4 में रहे संदीप कुमार और राजेंद्र पाल गौतम ने विवादों के बाद इस्तीफा दे दिया था।

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