Sunday, April 28, 2024
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वेब सीरीज 'हीरामंडी' से ओटीटी डेब्यू करेंगे संजय लीला भंसाली, बताया शो बनाने के लिए कहां से मिली प्रेरणा

निर्देशक संजय लीला भंसाली ने बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में दी हैं। अब वो ओटीटी प्लेटफॉर्म पर धूम मचाने के लिए तैयार हैं।

India TV Entertainment Desk Edited by: India TV Entertainment Desk
Published on: September 26, 2021 18:24 IST
sanjay leela bhansali- India TV Hindi
Image Source : IMAGE SOURCE/IANS संजय लीली भंसाली 

बॉलीवुड निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली ने अपनी कई फिल्मों में भारतीय कहानियों को दर्शाया है। अपनी इन कहानियों के जरिए वो दुनिया को भारतीय सभ्यता, संस्कृति और विरासत से परिचित कराते रहे हैं। उनकी एक फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ जल्द रिलीज होने वाली है और अब हर तरफ उनकी पहली वेब सीरीज ‘हीरामंडी’ की चर्चा हो रही है। इस सीरीज का ऐलान नेटफ्लिक्स ने अपने ग्लोबल इवेंट ‘टुडुम’ में किया और भंसाली ने अब ये खुलासा किया है कि ‘हीरामंडी’ की कहानी उनके पास पिछले 14 साल से मौजूद रही है।

वह बताते हैं, "मुझे याद है कि जब मैं चार साल का बच्चा था, मेरे पिता जी मुझे एक शूटिंग दिखाने ले गए थे। वह अपने दोस्तों से मिलने चले गए और मुझसे बोले कि मैं वहीं एक जगह पर बैठूं। कहने लगे कि अपने दोस्तों से मिल कर बस अभी लौटते हैं। उनके जाने के बाद मैं स्टूडियो में बैठा-बैठा सोच रहा था कि मेरे लिए इस जगह से ज्यादा सुकून भरी कोई और जगह हो ही नहीं सकती।”

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भंसाली ये भी बताते हैं कि आखिर उस दिन का उनका एहसास कैसे उनके बचपन के दूसरे एहसासों से बिल्कुल भिन्न रहा। वह कहते हैं, “ये स्टूडियो मुझे स्कूल, खेल के मैदान, किसी हमउम्र रिश्तेदार या दुनिया की किसी भी जगह से ज्यादा आरामदायक लगा। मेरे सामने एक कैबरे डांस की शूटिंग चल रही थी और वे इसे बार-बार दोहराते रहे। मुझे उस शाम की सबसे गहरी जो चीज याद है, वह है मेरे पिता का आदेश- ‘यहां बैठो और हिलना मत, और कहीं मत जाना।’ आज जब मैं उस घटना को पीछे मुड़कर देखता हूं तो पाता हूं कि मैं तो बीते 25 साल से वहीं बैठा हूं क्योंकि उसके बाद से पूरी जिंदगी मैं वहीं रहने का सपना देखता रहा और मुझे खुशी है कि मैं वहीं बैठा हुआ हूं और मुझे जो करना है वह कर रहा हूं।"

उन्होंने आगे कहा- 'मुझे अब भी याद है, बचपन में किसी थिएटर में जाना और उन प्रोजेक्टर को देखना जो पर्दे पर रोशनी की बौछार किया करते थे। यह बौछार मेरे दिमाग पर भी पड़ती थी और मेरा हमेशा फिल्म से ध्यान उचट जाता था। मेरा दिमाग किरणों की शक्ल में उड़ती उन नन्हीं परियों की तरफ चला जाता था और मुझसे कहता था- ठीक है, एक दिन मेरी कहानी भी इसी तरह लहराएगी।'

संजय लीला भंसाली को सबसे ज्यादा खुशी इस एहसास में मिलती है कि वह अपने बचपन का सपना पूरा कर सके। दुनिया भर में अपनी फिल्मों से भारतीय सिनेमा का स्तर ऊंचा करने वाले निर्देशक संजय लीला भंसाली कहते हैं, “ये तमाम चीजें जो मैंने बनाई हैं, मुझे लगता है कि मैं नौ फिल्में बना चुका हूं और 10वीं बनाने जा रहा हूं और इसमें 25 साल बीत गए। मुझे यही करते अभी 25 साल और बिताने हैं।”

उन्होंने ये भी बताया कि- "ये कहानी मेरे दोस्त मोइन बेग 14 साल पहले लेकर मेरे पास आए थे। जब हमने इसे नेटफ्लिक्स के सामने पेश किया तो उनकी बांछे खिल गईं! उन्हें लगा कि इसको एक मेगासीरीज में तब्दील करने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। यह बहुत बड़ी है, विराट है। यह आजादी से पहले की तवायफों की कहानी है। वे अपने हुनर से संगीत, शायरी और नृत्य को जिंदा रखती थीं और कोठों के भीतर चलने वाली राजनीति के बीच जीने की कला के दम पर विजेता बन कर उभरती थीं।"

बता दें कि यह सीरीज स्वतंत्र भारत के दौरान, एक चमकदार जिले 'हीरामंडी' की वेश्याओं की कहानियों और छिपी सांस्कृतिक वास्तविकता का पता लगाएगी। यह कोठे में प्यार, विश्वासघात, उत्तराधिकार और राजनीति के बारे में एक सीरीज है।

(इनपुट-आईएएनएस) 

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