Saturday, December 14, 2024
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यूपी में बदले गए 8 रेलवे स्टेशनों के नाम, जानिए कैसे और कौन बदलता है नाम, क्या है प्रोसेस?

लखनऊ डिवीजन के आठ रेलवे स्टेशनों के नाम बदल दिए गए हैं। क्या आप जानते हैं कब क्यों और कैसे बदले जाते हैं रेलवे स्टेशनों के नाम, क्या होती है पूरी प्रक्रिया? जानिए

Edited By: Kajal Kumari @lallkajal
Published : Aug 28, 2024 12:04 IST, Updated : Aug 28, 2024 14:00 IST
railway stations name change process- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE कौन बदलता है रेलवे स्टेशनों के नाम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लखनऊ मंडल के 8  रेलवे स्टेशनों के नाम मंगलवार को बदल दिए गए हैं। उत्तर रेलवे द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि कासिमपुर हाल्ट अब जायस सिटी के नाम से, जायस रेलवे स्टेशन को गुरु गोरखनाथ धाम नाम से, मिसरौली को मां कालिकन धाम के नाम से, बनी रेलवे स्टेशन को स्वामी परमहंस के नाम से, निहालगढ़ को महाराजा बिजली पासी के नाम से, अकबरगंज को मां अहोरवा भवानी धाम के नाम से, वारिसगंज को अमर शहीद भाले सुल्तान के नाम से और फुरसतगंज को तपेश्वरनाथ धाम के नाम से जाना जाएगा।

बता दें कि इन स्टेशनों का नाम संतों, स्वतंत्रता सेनानियों और स्थानीय आश्रमों के नाम पर रखा गया है। ऐसा पहली बार नहीं है कि रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए हैं। पहले भी कई रेलवे स्टेशनों के नाम बदले बदले जा चुके हैं। ऐसे में हमारे मन में एक सवाल जरूर उठता है कि आखिर रेलवे स्टेशन के नाम को बदलने का अधिकार किसके पास होता है और इसमें कैसे बदलाव किया जाता है?

क्यों बदले जाते हैं रेलवे स्टेशनों के नाम

रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने के कई अलग-अलग कारण होते हैं। फिलहाल जिन 8 स्टेशनों के नाम बदले हैं, उनकी सांस्कृतिक पहचान और विरासत को संरक्षित करने की मांग के बाद नाम में बदलाव किया गया है। जैसे प्रमुख गुरु गोरखनाथ धाम आश्रम जायस रेलवे स्टेशन के पास है इसलिए प्रस्ताव रखा गया कि स्टेशन का नाम बदलकर आश्रम के नाम पर रखा जाए, जबकि अकबरगंज और फुरसतगंज रेलवे स्टेशनों के पास भगवान शिव और देवी काली के कई मंदिर हैं, इसलिए उनका नाम बदलकर मां कालीकरण धाम, स्वामी परमहंस, मां अहोरवा भवानी धाम और तपेश्वरनाथ धाम रेलवे स्टेशन रखा गया है। इसी तरह से स्टेशनों के नाम उनकी मांग के अनुसार बदले जाते हैं।

क्या होता है प्रोसेस

रेलवे स्टेशन के नाम बदलने का आधिकार रेलवे बोर्ड के पास नहीं होता है बल्कि स्टेशनों के नाम बदलने का फैसला राज्य सरकार के पास होता है, वही यह फैसला करती है कि किस स्टेशन का नाम बदला जाना है। नाम तय करने के बाद राज्य सरकार उसे गृहमंत्रालय, नोडल मंत्रालय के पास भेजती है और इस अनुरोध को हरी झंडी मिल जाने के बाद नाम परिवर्तन की मंजूरी मिल जाती है। लेकिन यह भी ध्यान रखा जाता है कि जो नाम बदला जा रहा है उस नाम का पहले से कोई रेलवे स्टेशन न हो।

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