
पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में मिली सफलता के बाद भारत के तीनों सेना के अधिकारियों ने ज्वाइंट प्रेस कांफ्रेंस की और खुलासा किया कि भारतीय सशस्त्र बलों ने कैसे पाकिस्तान को एक मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम यानी बहुस्तरीय वायु रक्षा (एडी) प्रणाली की मदद से धूल चटाई। भारतीय सेना ने 7 से 10 मई के बीच पाकिस्तान की तरफ से किए गए कई एयर स्ट्राइक को नाकाम कर दिया और पाकिस्तान को उसकी औकात दिखा दी। इस वायु रक्षा प्रणाली के रडार सिस्टम, मिसाइल बैटरियों और रियल टाइम अटैक करने के मजबूत नेटवर्क की मदद से पाक के नापाक इरादों को हवा में ही बेससर कर दिया।
रक्षा मंत्रालय की विशेष ब्रीफिंग में, तीनों सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि कैसे रणनीतिक प्रयासों से सफलता पाई, कैसे भारत का एकीकृत वायु रक्षा ग्रिड उस समय सक्रिय हो गया जब पाकिस्तानी ड्रोन, लड़ाकू विमान और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों ने भारतीय हवाई क्षेत्र में घुसपैठ करने का प्रयास किया। इस एयर डिफेंस सिस्टम ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और पाकिस्तान की तरफ से किए गए हवाई हमले को हवा में ही निष्क्रिय कर दिया, जिससे एयरबेस, रडार पोस्ट, लॉजिस्टिक्स हब और आबादी वाले शहरी क्षेत्रों सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचो की सुरक्षा हुई।
अधिकारियों ने बताया कि फोर लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम में लंबी दूरी के निगरानी रडार, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, आकाश मिसाइल प्रणाली और बहुत कम दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली शामिल थीं, जिन्होंने पाकिस्तान को पुख्ता जवाब दिया।
कैसे काम करता है पहला लेयर:
भारत के एयर डिफेंस सिस्टम की सबसे भीतरी परत को बहुत कम दूरी के हवाई खतरों, विशेष रूप से कम ऊंचाई वाले ड्रोन और विमानों का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस परत में L-70 एंटी-एयरक्राफ्ट गन, इग्ला और स्ट्रेला मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS), ZU-23-2B ट्विन-बैरल गन, साथ ही शिल्का और तुंगुस्का जैसे ट्रैक किए गए प्लेटफ़ॉर्म सहित कई प्रणालियां शामिल हैं। ये सिस्टम 10 किलोमीटर के दायरे में लक्ष्यों को भेदने में सक्षम हैं, जो तत्काल हवाई खतरों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण ढाल प्रदान करते हैं।
कैसे काम करता है दूसरा लेयर:
एयर डिफेंस सिस्टम के दूसरे लेयर को पॉइंट डिफेंस लेयर के रूप में जाना जाता है, और यह महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और हाई रेंज वाले स्थानों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। यह लेयर आकाश, स्पाइडर, समर, पिकोरा और ओसा-एके सहित कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों से सुसज्जित है। इन प्रणालियों को 50 किलोमीटर तक की सीमा के भीतर आने वाले हवाई खतरों को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो विशिष्ट रणनीतिक क्षेत्रों पर केंद्रित और प्रभावी रक्षात्मक कवर प्रदान करता है।
कैसे काम करता है तीसरा लेयर:
इस लेयर में मध्यम दूरी की मिसाइल प्रणाली शामिल है जिसे लंबी दूरी पर हवाई खतरों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस लेयर में स्वदेशी आकाश प्रणाली और भारत-इजरायल मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) शामिल हैं। इस स्तर की प्रमुख संपत्तियों में बराक और रक्षक जैसे मिसाइल प्लेटफॉर्म हैं, जो 100 किलोमीटर दूर तक आने वाले लक्ष्यों को बेअसर कर सकते हैं, जो काफी ऊंचाई और लंबी दूरी के खतरों के खिलाफ एक मजबूत ढाल का निर्माण करते हैं।
कैसे काम करता है चौथा लेयर:
भारत की वायु रक्षा वास्तुकला की चौथी और सबसे बाहरी लेयर का निर्माण रूसी मूल की S-400 ट्रायम्फ प्रणाली करती है। अपनी उन्नत क्षमताओं के लिए प्रसिद्ध, S-400 400 किलोमीटर तक की दूरी से आने वाले खतरों का पता लगा सकता है, उन्हें ट्रैक कर सकता है और खत्म कर सकता है - चाहे वह दुश्मन के विमान हों या मिसाइल।
क्या है आकाश मिसाइल
भारत द्वारा विकसित आकाश मिसाइल प्रणाली सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वालों में से एक मिसाइल है। आकाश ने हाल की शत्रुता के दौरान कई हवाई खतरों को सफलतापूर्वक रोका और भारत की वायु रक्षा कवच के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत किया।
कैसे काम करती है आकाश मिसाइल
आकाश मिसाइल में एक ठोस ईंधन, रैमजेट प्रणोदन प्रणाली है, जो मैक 2.5 से 3.5 (4,200 किमी/घंटा तक) की गति तक पहुंचने में सक्षम है। इसकी परिचालन सीमा 4.5 से 25 किमी है और यह 18 किमी तक की ऊंचाई पर लक्ष्यों को भेद सकती है। आकाश मिसाइल का कमांड एक डिजिटल ऑटोपायलट करता है, जो लक्ष्य चूकने की स्थिति में क्षति को कम करने के लिए इसमें सेल्फ डेस्ट्रॉयड सिस्टम शामिल है। प्रत्येक मिसाइल 60 किलोग्राम का वारहेड ले जाने में सक्षम है, जो पारंपरिक वारहेड या न्यूक्लियर वारहेड हो सकता है। इस प्रणाली में एक मिसाइल से 88% और दो मिसाइलों के साथ दागे जाने पर 99% तक मार करने की संभावना है।