
Mexico City Tourism Protest 2025: मेक्सिको सिटी एक रंगीन और ऐतिहासिक शहर के रूप में जाना जाता है। यह शहर जो कि अपनी संस्कृति, खान-पान और मेहमाननवाजी के लिए मशहूर है, आजकल एक अलग ही वजह से सुर्खियों में है। 5 जुलाई 2025 को शहर के कॉन्डेसा और रोमा जैसे टूरिस्टों के पसंदीदा इलाकों में सैकड़ों लोगों ने बढ़ते टूरिज्म और जेंट्रीफिकेशन (शहरीकरण) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन शुरू में शांतिपूर्ण था, लेकिन जल्द ही हिंसक हो गया।
कुछ नकाबपोश प्रदर्शनकारियों ने दुकानों के शीशे तोड़े, हाई-एंड स्टोर्स में लूटपाट की, और विदेशी टूरिस्टों को तंग किया। कुछ जगहों पर तो 'Get Out of Mexico' यानी कि ‘मेक्सिको से निकल जाओ’ जैसे नारे भी लिखे गए। यह सब उस गुस्से का नतीजा है जो मेक्सिको सिटी के स्थानीय लोग विदेशी टूरिस्टों, खासकर अमेरिकियों की बढ़ती तादाद से महसूस कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर टूरिज्म, जो आमतौर पर किसी भी शहर के लिए खुशी और तरक्की का सबब माना जाता है, मेक्सिको सिटी के लोगों को इतना नाराज क्यों कर रहा है? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
मेक्सिको सिटी के लिए क्यों अभिशाप बना टूरिज्म?
टूरिज्म को आमतौर पर किसी भी शहर या देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक वरदान माना जाता है। यह नौकरियां पैदा करता है, स्थानीय दुकानों और रेस्तरां को फायदा पहुंचाता है, और शहर की संस्कृति को दुनिया तक ले जाता है। मेक्सिको सिटी में भी टूरिज्म हमेशा से एक बड़ा आर्थिक स्रोत रहा है। शहर के ऐतिहासिक स्मारक, रंग-बिरंगे बाजार, और स्वादिष्ट खाना हर साल लाखों टूरिस्टों को आकर्षित करते हैं।
लेकिन पिछले कुछ सालों में, खासकर 2020 के बाद, जब कोरोना महामारी के दौरान अमेरिका से तथाकथित “डिजिटल नोमैड्स” (ऐसे लोग जो ऑनलाइन काम करते हुए अलग-अलग जगहों पर रहते हैं) की बाढ़-सी आ गई, स्थिति बदलने लगी। डिजिटल नोमैड्स मेक्सिको सिटी को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि यहां रहना अमेरिका की तुलना में सस्ता है, इंटरनेट अच्छा है, और कॉन्डेसा और रोमा जैसे इलाके ट्रेंडी कैफे, रेस्तरां और हिप्स्टर वाइब्स से भरे हैं। लेकिन इनकी बढ़ती तादाद ने स्थानीय लोगों के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
‘जेंट्रीफिकेशन’ ने किया आग में घी का काम!
जेंट्रीफिकेशन का मतलब है जब कोई इलाका इतना मशहूर और महंगा हो जाता है कि वहां के पुराने बाशिंदे वहां रहने का खर्चा नहीं उठा पाते। मेक्सिको सिटी के कॉन्डेसा और रोमा जैसे इलाके, जो पहले स्थानीय लोगों के लिए किफायती थे, अब टूरिस्टों और अमीर लोगों के लिए एक हॉटस्पॉट बन गए हैं। इसका सबसे बड़ा असर किराए पर पड़ा है। इन इलाकों में किराए इतने बढ़ गए हैं कि स्थानीय लोग, जो वहां पीढ़ियों से रह रहे थे, अब वहां रह नहीं पा रहे।
उदाहरण के लिए, अगर पहले एक सामान्य मेक्सिकन परिवार कॉन्डेसा में 10,000 पेसो (लगभग 500 डॉलर) में एक घर किराए पर ले सकता था, तो अब वही घर 20,000 पेसो या उससे भी ज्यादा में मिलता है। यह बढ़ोतरी इसलिए हुई क्योंकि डिजिटल नोमैड्स और विदेशी टूरिस्ट ज्यादा किराया देने को तैयार हैं। नतीजा यह हुआ कि स्थानीय लोग इन इलाकों से बाहर कर दिए गए और उनकी जगह अमीर विदेशियों या नए बिजनेस ने ले ली।
सांस्कृतिक बदलाव की वजह से भी हुई नाराजगी
जेंट्रीफिकेशन का असर सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है। कॉन्डेसा और रोमा जैसे इलाके पहले मेक्सिको की अपनी संस्कृति, स्थानीय खाने, और पारंपरिक बाजारों के लिए जाने जाते थे। लेकिन अब वहां इंग्लिश मेन्यू वाले कैफे, विदेशी स्टाइल के रेस्तरां, और हिप्स्टर बार ज्यादा दिखते हैं। स्थानीय लोगों को लगता है कि उनकी अपनी पहचान, उनका मोहल्ला, उनकी संस्कृति अब उनके हाथ से निकल रही है। इसके अलावा, कुछ टूरिस्टों का बर्ताव भी स्थानीय लोगों को खटकता है। कई बार विदेशी टूरिस्ट स्थानीय रीति-रिवाजों या भाषा का सम्मान नहीं करते, जिससे स्थानीय लोग और चिढ़ जाते हैं।
दुनिया के और भी कई देशों में हो रहे प्रदर्शन
टूरिज्म के खिलाफ इस तरह का गुस्सा सिर्फ मेक्सिको सिटी तक सीमित नहीं है। यूरोप के कई शहरों जैसे बार्सिलोना, मैड्रिड, पेरिस, और रोम में भी टूरिज्म के खिलाफ ऐसे ही विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इन शहरों में भी स्थानीय लोग बढ़ते किराए, भीड़भाड़, और अपनी संस्कृति के खोने की शिकायत कर रहे हैं। मिसाल के तौर पर, बार्सिलोना में टूरिस्टों पर पानी की पिचकारी मारने की खबरें आई हैं, क्योंकि वहां के लोग भी अपने शहर को ‘टूरिस्ट थीम पार्क’ बनता देख परेशान हैं।
मेक्सिको सिटी में हिंसा से खड़े हुए कई सवाल
5 जुलाई के विरोध प्रदर्शन में हिंसा और लूटपाट ने कई सवाल खड़े किए हैं। भले ही स्थानीय लोगों की नाराजगी जायज़ हो, लेकिन दुकानों को तोड़ना और टूरिस्टों को तंग करना क्या सही रास्ता है? इससे न सिर्फ शहर की छवि खराब होती है, बल्कि टूरिज्म पर निर्भर उन लोगों को भी नुकसान होता है, जो इससे अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। मेक्सिको सिटी की सरकार और स्थानीय संगठनों को अब इस समस्या का हल ढूंढना होगा, जिसमें टूरिज्म का फायदा भी बना रहे और स्थानीय लोगों की परेशानियां भी कम हों।
कैसे हो सकता है इस समस्या का समाधान?
इस समस्या का समाधान आसान नहीं है, लेकिन कुछ कदम उठाए जा सकते हैं:
- किराए पर नियंत्रण: सरकार किराए की बढ़ोतरी पर कुछ नियम बना सकती है, ताकि स्थानीय लोग अपने घरों में रह सकें।
- सांस्कृतिक संरक्षण: स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रोग्राम शुरू किए जा सकते हैं, जैसे मेक्सिकन खाने और कला को प्रमोट करना।
- टूरिस्टों के लिए नियम: टूरिस्टों को स्थानीय रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए जागरूक किया जा सकता है।
- संतुलित टूरिज्म: टूरिज्म को सिर्फ कुछ इलाकों तक सीमित करने की बजाय, शहर के अन्य हिस्सों में भी बढ़ावा दिया जा सकता है, ताकि भीड़ और दबाव कम हो।
एक गहरी समस्या की तरफ इशारा कर रहे हैं ये प्रदर्शन
मेक्सिको सिटी में टूरिज्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन एक गहरी समस्या की ओर इशारा करते हैं। यह सिर्फ टूरिस्टों की संख्या बढ़ने की बात नहीं है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के अपने शहर, अपनी संस्कृति, और अपने घरों को खोने का डर है। टूरिज्म एक शहर के लिए आर्थिक फायदा ला सकता है, लेकिन अगर इसका संतुलन न हो, तो यह उसी शहर के लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। मेक्सिको सिटी को अब एक ऐसा रास्ता ढूंढना होगा, जिसमें टूरिस्ट भी आएं और स्थानीय लोग भी अपने शहर में खुशी से रह सकें। यह सिर्फ मेक्सिको सिटी की कहानी नहीं है, बल्कि दुनिया के कई शहर इस समस्या से जूझ रहे हैं। (AP से इनपुट्स के साथ)