Thursday, November 06, 2025
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Explanier: क्या बड़े परमाणु युद्ध की ओर बढ़ रही दुनिया?...न्यूक्लियर टेस्ट को लेकर ट्रंप के ऐलान ने बढ़ाई हलचल

दुनिया के विभिन्न देशों के बीच चल रहे युद्ध और संघर्षों के बीच परमाणु हथियारों की होड़ लगने लगी है। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने परमाणु परीक्षण करने के ऐलान ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Nov 01, 2025 04:13 pm IST, Updated : Nov 01, 2025 04:13 pm IST
अमेरिका की नेवादा साइट पर 24 जून 1957 को परमाणु परीक्षण का एक दृश्य।- India TV Hindi
Image Source : AP अमेरिका की नेवादा साइट पर 24 जून 1957 को परमाणु परीक्षण का एक दृश्य।

वाशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 30 अक्टूबर को दिये गए एक अप्रत्याशित ऐलान ने पूरी दुनिया को हिला दिया है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए कहा कि उन्होंने पेंटागन को निर्देश दिया है कि अमेरिका 33 वर्षों के बाद न्यूक्लियर हथियारों का परीक्षण फिर से शुरू करे। ट्रंप की ओर से यह घोषणा दक्षिण कोरिया के बुसान में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ व्यापार वार्ता से ठीक पहले की गई, जिसने वैश्विक तनाव को नई ऊंचाई दे दी है। ट्रंप ने इसे रूस और चीन की "न्यूक्लियर गतिविधियों" का जवाब बताया, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम परमाणु हथियारों के प्रसार को बढ़ावा देगा और दुनिया को महायुद्ध की कगार पर ले जा सकता है।

दुनिया में बढ़ी परमाणु हथियारों के परीक्षण की होड़ 

ट्रंप का ऐलान तब सामने आया जब रूस ने 21 अक्टूबर को न्यूक्लियर-सक्षम बुरेवेस्टनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो 8,700 मील की दूरी (14000 किलोमीटर) तय कर 15 घंटे हवा में रही। मॉस्को ने इसे "राष्ट्रीय सुरक्षा" का हिस्सा बताया। इसके तुरंत बाद रूस ने "Poseidon न्यूक्लियर ड्रोन" का भी टेस्ट किया, जो उसकी सरमत मिसाइल से 1000 गुना ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है। ऐसे में अमेरिका द्वारा फिर से परमाणु परीक्षण शुरू करने का अब ट्रंप का यह नया बयान रूस के हालिया परीक्षणों से प्रेरित लगता है। क्रेमलिन ने ट्रंप के ऐलान पर सदमा जताते हुए कहा कि यदि अमेरिका वास्तविक विस्फोट परीक्षण करेगा तो "उचित कदम" उठाए जाएंगे। 

रूस-चीन से लेकर ईरान तक में हड़कंप

ट्रंप के इस बयान से सिर्फ रूस ही नहीं, बल्कि ईरान और चीन भी भड़क उठा है। ईरान ने इसे "अनिरुचिपूर्ण" करार दिया, जबकि चीन ने चुप्पी साधी.. लेकिन उसके न्यूक्लियर स्टॉकपाइल के विस्तार की खबरें तनाव बढ़ा रही हैं। अमेरिकी सीनेटर माज़ी हिरोनो ने इसे "अनियंत्रित और खतरनाक" बताया। साथ ही यह भी कहा कि 1992 के बाद अमेरिका ने परीक्षण न करने का फैसला पर्यावरण, स्वास्थ्य और प्रसार रोकने के लिए लिया था। 

अमेरिका ने अब तक किए कितने परमाणु परीक्षण

इतिहास गवाह है कि न्यूक्लियर परीक्षणों का दौर शीत युद्ध की देन था। 1945 से 1996 तक अमेरिका ने 1,000 से अधिक परमाणु परीक्षण किए, लेकिन 1992 में स्वैच्छिक मोरेटोरियम लगा। व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) 1996 में बनी, जिसपर अमेरिका ने हस्ताक्षर तो किया, लेकिन सीनेट ने अनुमोदन नहीं किया। उत्तर कोरिया के अलावा कोई देश 1990 के दशक के बाद वास्तविक विस्फोट परीक्षण नहीं कर पाया। 


अमेरिका का परीक्षण भड़का सकता है न्यूक्लियर होड़

ट्रंप का यह कदम तकनीकी रूप से जटिल है। मगर उनका यह ऐलान न्यूक्लियर हथियारों की होड़ को और अधिक बढ़ा सकता है। हालांकि अमेरिका की नेवादा टेस्ट साइट को फिर से तैयार करने में वर्ष लग सकते हैं, लेकिन यह कदम राजनीतिक रूप से विस्फोटक है। यह तत्काल संभव नहीं है, फिर भी यह हथियारों की होड़ को भड़काएगा। 


परमाणु युद्ध का बढ़ सकता है वैश्विक खतरा

अगर अमेरिका ने परमाणु परीक्षण किया तो दुनिया में परमाणु युद्ध का वास्तविक खतरा बढ़ सकता है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) की 2025 रिपोर्ट ने भी चेतावनी दी है कि कमजोर हथियार नियंत्रण व्यवस्था के बीच न्यूक्लियर हथियारों की नई होड़ शुरू हो रही है। 

किस देश के पास हैं सबसे ज्यादा परमाणु हथियार


 वैश्विक न्यूक्लियर हथियारों की संख्या शीत युद्ध के बाद 70,000 से घटकर 12,241 हो गई। अमेरिका और रूस के पास विश्व के 90 फीसदी परमाणु हथियार हैं। इनमें से रूस  के पास 5,580 परमाणु बम और अमेरिका के पास 5,044 परमाणु बमों की खेप है। वहीं चीन 2030 तक 1,000 न्यूक्लियर हथियारों के लक्ष्य को लेकर चल रहा है। संयुक्त राष्ट्र की सितंबर 2025 रिपोर्ट में कहा गया कि यूक्रेन युद्ध, ताइवान संकट और मध्य पूर्व तनाव से इसका जोखिम बढ़ा है। 


अमेरिका का रूस, चीन व उत्तर कोरिया के साथ बढ़ सकता है परमाणु तनाव

 कार्नेगी एंडोमेंट की अप्रैल 2025 रिपोर्ट चेताती है कि अमेरिका-चीन-रूस-उत्तर कोरिया तनाव से पारंपरिक युद्ध न्यूक्लियर में बदल सकता है। भारत जैसे देशों के लिए यह चिंताजनक है, जहां 'नो फर्स्ट यूज' नीति है, लेकिन पड़ोसी पाकिस्तान और चीन की होड़ से भारत पर भी दबाव बढ़ रहा। विशेषज्ञ कहते हैं कि आधुनिक तकनीकें जैसे एआई और हाइपरसोनिक मिसाइलें जोखिम दोगुना कर रही हैं। ट्रंप के सलाहकारों को भी यह ऐलान चौंका गया है। 

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